विशेष विश्लेषण | महेंद्र सिंह | नोएडा 1 नवंबर 2025
नोएडा और ग्रेटर नोएडा, जो कभी दिल्ली की परछाई माने जाते थे, अब भारत की आर्थिक और औद्योगिक राजधानी बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है—जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट, जो न केवल उत्तर भारत बल्कि पूरे देश की अर्थव्यवस्था का नया इंजन बनने जा रहा है। यह एयरपोर्ट केवल विमानों की उड़ानें नहीं बढ़ाएगा, बल्कि उद्योग, व्यापार, शिक्षा, रोजगार और निवेश के नए द्वार खोलेगा।
औद्योगिक विस्तार और निवेश की नई धारा
जेवर एयरपोर्ट के निर्माण ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा को निवेश का सबसे आकर्षक गंतव्य बना दिया है। जहां पहले उद्योगपति पुणे, चेन्नई या बेंगलुरु की ओर रुख करते थे, वहीं अब वे एनसीआर के दक्षिणी भाग में संभावनाएँ तलाश रहे हैं। एयरपोर्ट के इर्द-गिर्द बनने वाले औद्योगिक गलियारे (Industrial Corridor) में इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल, फार्मा और लॉजिस्टिक्स सेक्टर के निवेश तेजी से बढ़ रहे हैं।
यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) ने एयरपोर्ट के आसपास लगभग 5,000 हेक्टेयर भूमि औद्योगिक विकास के लिए आरक्षित की है। यहां फिल्म सिटी, डेटा सेंटर पार्क, लॉजिस्टिक्स हब और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग जोन जैसे प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं। एचसीएल और फॉक्सकॉन की ₹3,700 करोड़ की सेमीकंडक्टर यूनिट इसका बड़ा उदाहरण है, जो 2,000 से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार देगी और अप्रत्यक्ष रूप से हजारों अवसरों का सृजन करेगी।
रोजगार के अवसरों में विस्फोटक वृद्धि
एयरपोर्ट के संचालन के साथ ही क्षेत्र में 4.5 लाख से अधिक रोजगार अवसर पैदा होंगे। इसमें निर्माण, परिवहन, आतिथ्य, सुरक्षा, शिक्षा और आईटी जैसे क्षेत्र शामिल हैं। Google, Microsoft, Samsung, Mahindra, Tata जैसी कंपनियों के यहां अपने ऑपरेशन सेंटर स्थापित करने की संभावना से यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है।
इससे स्थानीय युवाओं को न केवल रोजगार मिलेगा, बल्कि कौशल विकास के नए अवसर भी खुलेंगे। सरकार और निजी क्षेत्र द्वारा चलाए जा रहे स्किल ट्रेनिंग प्रोग्राम्स इस क्षेत्र को उत्तर भारत का “Employment Capital” बना सकते हैं।
रियल एस्टेट और इंफ्रास्ट्रक्चर में अभूतपूर्व उछाल
नोएडा और ग्रेटर नोएडा पहले ही रियल एस्टेट निवेश का केंद्र माने जाते थे, लेकिन जेवर एयरपोर्ट के बाद यह सेक्टर अब ‘नई उड़ान’ भर रहा है। भूमि की कीमतों में पिछले कुछ वर्षों में 40% की वृद्धि हुई है और 2030 तक इसमें और 50% बढ़ोतरी की संभावना जताई जा रही है।
यमुना एक्सप्रेसवे के किनारे विकसित हो रही स्मार्ट टाउनशिप, लक्ज़री अपार्टमेंट्स, और इको-फ्रेंडली कमर्शियल ज़ोन आने वाले समय में ग्रेटर नोएडा को दिल्ली-गुड़गांव के समान स्तर पर खड़ा कर देंगे। YEIDA और नोएडा अथॉरिटी द्वारा किए जा रहे रोड नेटवर्क विस्तार, मेट्रो एक्सटेंशन और रैपिड रेल कॉरिडोर जैसे प्रोजेक्ट्स क्षेत्र की कनेक्टिविटी को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूती देंगे।
पर्यटन और आतिथ्य उद्योग में नया स्वर्ण युग
जेवर एयरपोर्ट आगरा, मथुरा, वृंदावन और फतेहपुर सीकरी जैसे विश्व-प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों के बीच स्थित है। इसके कारण आने वाले वर्षों में यह पूरा क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय टूरिस्ट सर्किट का हिस्सा बनेगा। होटल, रिसॉर्ट, रेस्टोरेंट, ट्रैवल एजेंसी और मनोरंजन उद्योग में अभूतपूर्व वृद्धि होगी।
सरकार ने एयरपोर्ट के निकट 2,500 एकड़ में एक “रेक्रिएशनल हब” विकसित करने की योजना बनाई है, जिसमें थीम पार्क, वाटर पार्क, कला दीर्घाएं, ओपन थिएटर और नेचर पार्क शामिल होंगे। यह न केवल पर्यटन को गति देगा बल्कि एनसीआर को भारत का “एंटरटेनमेंट हब” बनाएगा।
आर्थिक आत्मनिर्भरता की नई दिशा
जेवर एयरपोर्ट और उससे जुड़े प्रोजेक्ट्स केवल आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा नहीं दे रहे, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को भी मजबूत कर रहे हैं। एयरपोर्ट के साथ-साथ बनने वाले एरोट्रोपोलिस (Aerotropolis) मॉडल से व्यापार, टेक्नोलॉजी, इनोवेशन और सेवाक्षेत्र एक ही पारिस्थितिकी तंत्र में विकसित होंगे। इससे न केवल निवेशकों को लाभ होगा, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी स्थायी मजबूती मिलेगी।
सामाजिक और शैक्षिक विकास के अवसर
बढ़ते उद्योगों और रोजगार अवसरों के साथ-साथ शिक्षा संस्थानों की मांग में भी वृद्धि होगी। विश्वविद्यालय, तकनीकी कॉलेज, हॉस्पिटल और रिसर्च सेंटर इस क्षेत्र की नई पहचान बनेंगे। पहले जो क्षेत्र दिल्ली की छाया में सीमित था, वही अब खुद “ज्ञान, उद्योग और विकास का केंद्र” बनने की ओर अग्रसर है।
जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट केवल एक इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट नहीं है, बल्कि यह उत्तर भारत के आर्थिक पुनर्जागरण का प्रतीक है। नोएडा और ग्रेटर नोएडा को अब दिल्ली की परछाई नहीं, बल्कि भारत के विकास मॉडल का केंद्र कहा जा सकता है। आने वाले कुछ वर्षों में जब एयरपोर्ट पूरी तरह से चालू होगा, तब यह क्षेत्र देश की GDP में महत्वपूर्ण योगदान देगा — और भारत की उड़ान सचमुच नई ऊंचाइयों को छू लेगी।




