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जेवर एयरपोर्ट: यमुना एक्सप्रेसवे पर रियल एस्टेट की जंग

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स्पेशल रिपोर्ट । महेंद्र सिंह  | नोएडा 1 नवंबर 2025

नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट, जिसे आमतौर पर जेवर एयरपोर्ट कहा जाता है, उत्तर भारत की विकास गाथा का नया अध्याय लिखने जा रहा है। इसकी नींव से लेकर उद्घाटन तक का सफर न केवल एक भौतिक अवसंरचना परियोजना का प्रतीक है, बल्कि यह दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र की आर्थिक धुरी को दक्षिण की ओर खींचने वाला एक ऐतिहासिक बदलाव भी है। इस एयरपोर्ट के पूर्ण रूप से संचालन में आने के बाद यमुना एक्सप्रेसवे का पूरा इलाका — ग्रेटर नोएडा, जेवर, और बुलंदशहर तक — निवेश और रियल एस्टेट की नई राजधानी बनने की दिशा में अग्रसर है।

पहले यह इलाका दिल्ली और नोएडा की रफ्तार के मुकाबले अपेक्षाकृत शांत और कम विकसित माना जाता था। लेकिन अब परिदृश्य पूरी तरह बदल चुका है। एयरपोर्ट से जुड़ी मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी, यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) की योजनाएँ, और राज्य सरकार की नीतिगत प्रोत्साहन योजनाएँ मिलकर इस क्षेत्र को निवेशकों का स्वर्ग बना रही हैं। रियल एस्टेट कंपनियाँ जैसे गोदरेज प्रॉपर्टीज, टाटा हाउसिंग, ATS, और पारस बिल्डर्स यहाँ बड़े प्रोजेक्ट्स की घोषणा कर चुकी हैं। सस्ती दरों पर जमीन की उपलब्धता और एयरपोर्ट से मिलने वाला लॉजिस्टिक सपोर्ट इस इलाके को ‘नई गुरुग्राम’ या ‘वेस्ट दिल्ली’ का जवाब बना सकता है।

यमुना एक्सप्रेसवे के किनारे अब सिर्फ रेजिडेंशियल टाउनशिप नहीं बल्कि इंडस्ट्रियल कॉरिडोर, वेयरहाउसिंग हब, इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग ज़ोन और डेटा सेंटर पार्क भी विकसित किए जा रहे हैं। यह क्षेत्र प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना के अंतर्गत औद्योगिक गलियारे से जुड़ा हुआ है, जिससे माल परिवहन, निर्यात और सप्लाई चेन की दक्षता कई गुना बढ़ जाएगी। इससे छोटे और मध्यम उद्योगों (SMEs) को भी नई ऊर्जा मिलेगी, खासकर वे जो एयर कार्गो, एक्सपोर्ट, फार्मा, और इलेक्ट्रॉनिक्स से जुड़े हैं।

रियल एस्टेट के विशेषज्ञों का मानना है कि 2026 तक जेवर एयरपोर्ट पूरी तरह चालू होते ही इस क्षेत्र में जमीन और प्रॉपर्टी की कीमतें 50 से 70 प्रतिशत तक बढ़ सकती हैं। निवेशकों के लिए यह “गोल्डन विंडो” साबित हो सकती है। कई बैंकों और निवेश फंड्स ने पहले ही यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक क्षेत्र को ‘हाई ग्रोथ ज़ोन’ की सूची में रखा है। खास बात यह है कि YEIDA प्लॉट अलॉटमेंट में पारदर्शिता और डिजिटल सिस्टम के कारण कॉर्पोरेट निवेशकों के साथ-साथ व्यक्तिगत निवेशक भी बड़ी संख्या में आकर्षित हो रहे हैं।

सरकारी स्तर पर भी विज़न साफ़ है — जेवर एयरपोर्ट को केंद्र में रखकर 100 किलोमीटर के दायरे में एक नया “एयरोसिटी” मॉडल तैयार किया जा रहा है। इसमें 5-स्टार होटल, कन्वेंशन सेंटर, मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट हब, और अंतरराष्ट्रीय स्तर की हेल्थ व एजुकेशन सुविधाएँ शामिल होंगी। इससे न केवल रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, बल्कि दिल्ली-एनसीआर की जनसंख्या का दबाव भी वितरित होगा।

भविष्य की दृष्टि से देखें तो जेवर एयरपोर्ट के बाद यमुना एक्सप्रेसवे क्षेत्र भारत का सबसे बड़ा एरोनॉटिकल-इंडस्ट्रियल क्लस्टर बन सकता है। जिस तरह हैदराबाद में राजीव गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट ने शहर की किस्मत बदली, उसी तरह जेवर एयरपोर्ट पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सामाजिक-आर्थिक ढांचे को बदलने की क्षमता रखता है। आने वाले कुछ वर्षों में यह इलाका न सिर्फ एयर ट्रैफिक या उद्योग के लिए जाना जाएगा, बल्कि भारत के शहरी विकास के सबसे सफल मॉडलों में से एक के रूप में उभरेगा।

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