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उड़ान भरने के लिए तैयार है जेवर एयरपोर्ट, इस ट्रायल में हुआ पास, जानिए किस तारीख को होगा उद्घाटन?

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उत्तर प्रदेश की महत्वाकांक्षी परियोजना नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट, जिसे जेवर एयरपोर्ट के नाम से जाना जाता है, अब अपने उद्घाटन से महज कुछ कदम दूर है। हाल ही में इस एयरपोर्ट पर एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) द्वारा सफल कैलिब्रेशन फ्लाइट (Calibration Flight) का ट्रायल पूरा किया गया, जो किसी भी नए हवाई अड्डे के संचालन से पहले की सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रिया होती है। इस उड़ान में एयर ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम, नेविगेशन एड्स, रनवे लाइटिंग और कम्युनिकेशन सिस्टम का बारीकी से परीक्षण किया गया। परिणाम पूरी तरह संतोषजनक रहे, जिससे यह स्पष्ट संकेत मिल गया है कि जेवर एयरपोर्ट अब उड़ान भरने के लिए तैयार है।

यह एयरपोर्ट न सिर्फ दिल्ली-एनसीआर बल्कि पूरे उत्तर भारत के लिए एक गेमचेंजर साबित होने जा रहा है। दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (IGI) पर लगातार बढ़ते यात्री और कार्गो दबाव को कम करने के लिए इस एयरपोर्ट को एक वैकल्पिक और आधुनिक हब के रूप में विकसित किया गया है। जेवर एयरपोर्ट के पहले चरण में एक रनवे और एक विशाल यात्री टर्मिनल बनाया गया है, जिसकी सालाना क्षमता लगभग 12 मिलियन यात्रियों तक होगी। आगे चलकर इसे पांच रनवे और 300 मिलियन यात्रियों प्रति वर्ष की क्षमता तक विस्तारित किया जाएगा। इसका डिजाइन स्विट्जरलैंड की कंपनी Zurich Airport International AG ने तैयार किया है, जिसने इसे भारत का सबसे ऊर्जा-कुशल, हरित और टिकाऊ हवाई अड्डा बनाने का लक्ष्य रखा है।

राज्य सरकार के सूत्रों के अनुसार, अब केवल DGCA (Directorate General of Civil Aviation) द्वारा अंतिम निरीक्षण और ‘एरोड्रोम लाइसेंस’ जारी किए जाने की औपचारिकता शेष है। इसके बाद एयरपोर्ट को वाणिज्यिक संचालन की अनुमति मिल जाएगी। बताया जा रहा है कि उद्घाटन समारोह के लिए नवंबर के तीसरे या चौथे सप्ताह की तारीख पर विचार किया जा रहा है, जबकि पहली वाणिज्यिक उड़ानें दिसंबर 2025 में शुरू हो सकती हैं। अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की शुरुआत अगले साल यानी 2026 की पहली छमाही में होने की संभावना है। उद्घाटन समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति की भी चर्चा है, जो इस एयरपोर्ट को ‘उत्तर भारत के नए अंतरराष्ट्रीय प्रवेश द्वार’ के रूप में प्रस्तुत करेंगे।

कैलिब्रेशन उड़ान की सफलता का अर्थ यह है कि एयरपोर्ट के तकनीकी और सुरक्षा सिस्टम अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हैं। इस उड़ान के दौरान सभी नेविगेशनल और कम्युनिकेशन उपकरणों को परखा गया ताकि विमानों की सुरक्षित लैंडिंग और टेकऑफ सुनिश्चित की जा सके। अधिकारियों ने बताया कि सिस्टम्स ने शानदार प्रदर्शन किया है और अब यह एयरपोर्ट DGCA की मंजूरी के अंतिम चरण में है। इस दौरान उत्तर प्रदेश सरकार के वरिष्ठ अधिकारी, नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (NIAL) के प्रतिनिधि और Zurich Airport के विशेषज्ञ भी उपस्थित थे।

जेवर एयरपोर्ट की कनेक्टिविटी इस परियोजना की सबसे बड़ी ताकत मानी जा रही है। इसे यमुना एक्सप्रेसवे, ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे, दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे, और प्रस्तावित दिल्ली-वाराणसी हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर से जोड़ा जा रहा है। इसके अलावा, RRTS (रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम) और मेट्रो लाइन एक्सटेंशन की योजना भी अंतिम रूप में है। इससे दिल्ली, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, आगरा और अलीगढ़ जैसे शहरों से हवाई अड्डे तक पहुंचना बेहद आसान होगा। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह एयरपोर्ट आने वाले वर्षों में लॉजिस्टिक्स, व्यापार, पर्यटन और निवेश के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाएगा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में एयरपोर्ट का दौरा किया और प्रगति की समीक्षा की। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि उद्घाटन से पहले सभी व्यवस्थाएँ पूर्णतया तैयार रहें, ताकि यात्री अनुभव अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हो। उन्होंने कहा कि जेवर एयरपोर्ट उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था के लिए ‘ट्रांसफॉर्मेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट’ है, जो लाखों युवाओं के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार अवसर पैदा करेगा।

जेवर एयरपोर्ट की सफलता उत्तर प्रदेश और पूरे भारत के विमानन क्षेत्र के लिए ऐतिहासिक कदम है। यह सिर्फ एक हवाई अड्डा नहीं, बल्कि देश की आर्थिक उड़ान का प्रतीक बनकर उभर रहा है। नवंबर में जब इसके उद्घाटन का शंखनाद होगा, तब यह न सिर्फ यात्रियों के लिए, बल्कि पूरे राष्ट्र के लिए विकास की नई दिशा का संकेत होगा।

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