रतलाम: मध्यप्रदेश की राजनीति रविवार को एक बार फिर गर्मा गई, जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जीतू पटवारी ने रतलाम में एक विशाल रैली का आयोजन किया। यह रैली विशेष रूप से वोट चोरी और नशे के खिलाफ आयोजित की गई थी। पटवारी ने रैली में मौजूद जनता को संबोधित करते हुए भाजपा पर तीखा हमला किया और कहा कि भाजपा ने लोकतंत्र से जनता का भरोसा खत्म कर दिया है। उन्होंने इसे न केवल वोट चोरी के खिलाफ क्रांति का बिगुल, बल्कि नशे के खिलाफ उठी हुंकार भी बताया। रैली में आए हजारों कार्यकर्ताओं और आम नागरिकों ने उनके शब्दों का उत्साहपूर्वक समर्थन किया।
पटवारी ने रैली के दौरान कहा, “यह नशे के विरोध में उठी हुंकार है, यह मध्यप्रदेश की ललकार है। सत्ता के नशे में डूबी भाजपा अब बौखला रही है, लेकिन हम इस लड़ाई को हर हाल में लड़ेंगे। अगर मेरी जान जाने से राज्य में नशा कम हो सकता है, तो भी मुझे मंजूर है।” उनके इस वक्तव्य ने उपस्थित जनता में जोश और उत्साह भर दिया। लोगों ने हाथ हिलाते हुए जयकारे लगाए और नशे के खिलाफ अपनी सहमति व्यक्त की। जनता ने पटवारी के साहस और उनकी ईमानदार लड़ाई की खुले दिल से सराहना की।
लेकिन इसी दौरान रतलाम की सड़कों पर एक नाटकीय घटना भी हुई। पटवारी की गाड़ी पर अचानक अज्ञात बदमाशों ने पथराव कर दिया, जिससे गाड़ी के कांच पूरी तरह टूट गए। गनीमत रही कि पटवारी और उनके साथ मौजूद लोग बाल-बाल बचे। यह हमला स्थानीय प्रशासन और पुलिस के लिए एक अलर्ट था। घटना के तुरंत बाद सुरक्षाबलों को मौके पर भेजा गया और पुलिस ने आसपास के CCTV फुटेज और अन्य सबूतों के आधार पर दोषियों की पहचान करना शुरू कर दिया। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि यह हमला राज्य में चुनावी माहौल और राजनीतिक टकराव की नई तस्वीर पेश करता है।
रैली में उपस्थित लोगों ने न केवल पटवारी के साहस का समर्थन किया, बल्कि उन्होंने सीधे नशा बेचने वालों के खिलाफ अपनी आवाज़ उठाई। उन्होंने कहा, “डरे वो, जो शराब बेचते हों! आप तो नशे के खिलाफ बोलते रहो!” इस प्रकार रतलाम में पटवारी की रैली न केवल एक राजनीतिक मंच बनी, बल्कि जनता और नेताओं के बीच वोट चोरी और नशे के खिलाफ मजबूत संदेश का माध्यम भी बन गई।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह घटना मध्यप्रदेश की आगामी चुनावी लड़ाई की एक झलक है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जीतू पटवारी ने अपने नेतृत्व और साहस से स्पष्ट कर दिया है कि वे जनता के मुद्दों पर पीछे नहीं हटेंगे। इस रैली और उसके बाद की घटनाओं ने यह साबित कर दिया है कि राज्य में वोट चोरी और नशा दोनों मुद्दे अब राजनीतिक बहस और जनसैलाब का केंद्र बन चुके हैं।