Home » Maharashtra » जलगाँव ट्रेन हादसा: अफवाह बनी 13 ज़िंदगियों की मौत की वजह, रेलवे सुरक्षा पर गंभीर सवाल

जलगाँव ट्रेन हादसा: अफवाह बनी 13 ज़िंदगियों की मौत की वजह, रेलवे सुरक्षा पर गंभीर सवाल

Facebook
WhatsApp
X
Telegram

22 जनवरी 2025 की रात भारत के रेल इतिहास में एक और दर्दनाक अध्याय जोड़ गई। महाराष्ट्र के पचोरा-जलगाँव रेलखंड पर घटित इस भयावह हादसे ने ना सिर्फ यात्रियों की सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोली, बल्कि यह भी दिखाया कि अफवाहों का आतंक आज भी जीवन के लिए कितना घातक बन सकता है। हादसा उस समय हुआ जब पुष्पक एक्सप्रेस, जो कि लखनऊ से मुंबई जा रही थी, रात करीब 10:40 बजे के आसपास जलगाँव के पास एक सामान्य गति से गुजर रही थी। तभी ट्रेन के अंदर किसी यात्री द्वारा यह अफवाह फैला दी गई कि डिब्बे में आग लग चुकी है। 

इस अफवाह ने कुछ ही पलों में अफरातफरी मचा दी। बोगी संख्या S5 से लेकर S8 तक के यात्रियों में दहशत का माहौल फैल गया। कई यात्री, बिना स्थिति को समझे, चलते ट्रेन से नीचे कूदने लगे। दुर्भाग्यवश, इसी दौरान विपरीत दिशा से आ रही कर्नाटक एक्सप्रेस उसी ट्रैक से गुजर रही थी, और उसने उन यात्रियों को कुचल दिया जो ट्रैक के पास थे या रेल लाइन पर गिर पड़े थे। इस मर्मांतक टक्कर में 13 यात्रियों की मौके पर ही मृत्यु हो गई, जबकि 15 से अधिक गंभीर रूप से घायल हुए, जिनमें से चार की पहचान नेपाल के नागरिकों के रूप में की गई है जो धार्मिक यात्रा पर थे। 

घटना के तुरंत बाद रेलवे प्रशासन हरकत में आया। स्थानीय ग्रामीणों और पुलिस की मदद से घायलों को तुरंत जलगाँव सिविल हॉस्पिटल और भुसावल रेलवे अस्पताल भेजा गया। महाराष्ट्र सरकार और रेलवे अधिकारियों की संयुक्त टीम ने घटनास्थल का मुआयना किया और रेल सुरक्षा आयुक्त (CRS) ने उसी रात एक उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन किया। घटनास्थल पर मिले मोबाइल वीडियो, यात्रियों के बयान और ट्रेन स्टाफ की रिपोर्ट के आधार पर जांच की जा रही है कि आग की अफवाह किस यात्री ने, क्यों और कैसे फैलाई क्या यह केवल डर का नतीजा था या किसी बड़ी साजिश की शुरुआत? 

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 23 जनवरी को इस हादसे पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा: 

यह केवल एक ट्रेन हादसा नहीं, बल्कि मानवीय संवेदना और सूचना प्रबंधन की असफलता का त्रासद उदाहरण है। हम न केवल मृतकों को न्याय दिलाएँगे, बल्कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए नया सुरक्षा प्रोटोकॉल तैयार करेंगे। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस हादसे को अत्यंत पीड़ादायक और हृदय विदारकबताया और मृतकों के परिजनों को ₹1.5 लाख की अनुग्रह राशि तथा घायलों को ₹50,000 की सहायता देने की घोषणा की। इसके अलावा रेलवे बोर्ड ने अपने स्तर पर यह प्रस्ताव दिया है कि ट्रेनों में अब हर कोच में एक प्रशिक्षित आपदा प्रबंधन स्वयंसेवकतैनात किया जाएगा, जो इस प्रकार की गलत सूचना को पहचानकर यात्रियों को निर्देशित करेगा।

इस दुर्घटना ने एक बार फिर यह उजागर कर दिया है कि रेलवे जैसी सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था में केवल तकनीकी सुरक्षा पर्याप्त नहीं, बल्कि मानव व्यवहार, मनोवैज्ञानिक प्रतिक्रिया और संचार की सटीकता भी उतनी ही ज़रूरी है। अफवाहों की रोकथाम और यात्रियों को संवेदनशील परिस्थितियों में व्यवहारिक निर्देश देने की प्रणाली अब वक्त की माँग बन चुकी है। 

यह हादसा केवल रेल मंत्रालय या सरकार की ज़िम्मेदारी नहीं है, बल्कि हर नागरिक, हर यात्री की जिम्मेदारी है कि अफवाहों से बचें और सजग रहें। आज जब भारत रेलवे के आधुनिकीकरण और बुलेट ट्रेन युग की ओर बढ़ रहा है, तब ऐसी त्रासदियाँ हमें याद दिलाती हैं कि प्रगति की गति के साथ सुरक्षा की सजगता भी उतनी ही तेज़ होनी चाहिए। जलगाँव हादसा हमें यही सीख देता हैकि एक क्षणिक भ्रम, एक डर, या एक अफवाह कई घरों को उजाड़ सकती है 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *