नई दिल्ली, 23 अगस्त 2025
भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने शनिवार को अमेरिका और पाकिस्तान पर तीखी टिप्पणी की, जिसमें उन्होंने दोनों देशों को ‘इतिहास को नजरअंदाज करने की आदत’ का दोषी ठहराया। उन्होंने विशेष रूप से 2011 में पाकिस्तान के एबटाबाद में अल-कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन के मारे जाने का उदाहरण दिया। जयशंकर ने कहा कि वही पाकिस्तान, जिसने 9/11 हमले के मास्टरमाइंड को पनाह दी थी, उसी स्थान पर अमेरिकी सेना ने उसे ढूंढ निकाला। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि अमेरिका और पाकिस्तान के बीच एक लंबा इतिहास रहा है, लेकिन दोनों पक्ष अक्सर उस इतिहास को भूलकर वर्तमान परिस्थितियों पर प्रतिक्रिया करते हैं।
जयशंकर ने यह बयान ‘इकोनॉमिक टाइम्स वर्ल्ड लीडर्स फोरम’ में दिया। उन्होंने कहा, “उनके (अमेरिका और पाकिस्तान) बीच एक इतिहास है, और उस इतिहास को नजरअंदाज करने की आदत भी है। वही सेना, जो एबटाबाद में घुसी, वहां किसे पाया?” यह टिप्पणी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की स्पष्ट और दृढ़ नीति का परिचायक है, जो आतंकवाद और क्षेत्रीय सुरक्षा मामलों में किसी भी प्रकार की लापरवाही को स्वीकार नहीं करती। जयशंकर ने इस अवसर पर यह भी स्पष्ट किया कि ‘ऑपरेशन सिंधूर’ के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच जो संघर्ष विराम हुआ, उसमें अमेरिका की कोई मध्यस्थता नहीं थी। उनका यह कहना था कि 1970 के दशक से लेकर अब तक भारत ने पाकिस्तान के साथ अपने रिश्तों में किसी भी प्रकार की बाहरी मध्यस्थता को स्वीकार नहीं किया।
इसके अतिरिक्त, जयशंकर ने भारत की विदेश नीति की रणनीति को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि भारत की विदेश नीति ‘लंबी अवधि के विश्वास’ पर आधारित है, न कि ‘सुविधा की राजनीति’ पर। उनके अनुसार, जब देश सुविधा की राजनीति पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो वे सिर्फ अस्थायी कदम उठाने की कोशिश करते हैं। वहीं भारत हमेशा रिश्तों की संरचनात्मक ताकत और उसमें निहित विश्वास को ध्यान में रखता है। जयशंकर के इस बयान ने अमेरिका और पाकिस्तान के बीच के रिश्तों पर सवाल उठाते हुए यह स्पष्ट किया कि भारत अपनी विदेश नीति में किसी भी तरह के समझौते या दबाव के आगे नहीं झुकेगा।
यह टिप्पणी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पाकिस्तान को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित करने के बाद आई है। इस कदम ने भारत में चिंता पैदा की कि अमेरिका पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों को फिर से मजबूत कर सकता है। जयशंकर के बयान ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भारत की स्थिति को स्पष्ट रूप से रेखांकित किया, यह दिखाते हुए कि भारत आतंकवाद और सुरक्षा मामलों में किसी भी प्रकार की ढिलाई या अनदेखी को बर्दाश्त नहीं करता। उनका यह संदेश न केवल अमेरिका और पाकिस्तान के लिए चेतावनी है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की मजबूती और निर्णय क्षमता को भी उजागर करता है।
इस पूरे घटनाक्रम ने यह साबित किया कि भारत अपनी विदेश नीति में सतर्क, स्पष्ट और दृढ़ दृष्टिकोण अपनाता है और किसी भी परिस्थिति में अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करता है। जयशंकर की यह टिप्पणी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की स्थिति को मजबूत बनाती है और यह संकेत देती है कि भारत किसी भी प्रकार की सुरक्षा चुनौती या आतंकवादी गतिविधियों को गंभीरता से लेता है।