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इनको वोट करने से बेहतर है चुल्लू भर पानी में डूब मरना : आर.के. सिंह

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पटना 21 अक्टूबर 2025

बिहार विधानसभा चुनाव के गर्म होते माहौल में बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री आर.के. सिंह ने ऐसा धमाकेदार बयान दे दिया है जिससे सियासी गलियारों में हलचल मच गई है। उन्होंने कहा, “ऐसे लोगों को वोट करने से बेहतर है चुल्लू भर पानी में डूब मरना जिनकी छवि अपराधी या भ्रष्टाचारी की हो।” सिंह ने अपने बयान में न केवल विपक्षी नेताओं पर निशाना साधा, एनडीए गठबंधन के कुछ चेहरों को भी कटघरे में खड़ा कर दिया।

 आर.के. सिंह का हमला

आर.के. सिंह ने कहा कि बिहार के मतदाताओं को अब जाति या समुदाय के मोह से ऊपर उठकर साफ-सुथरे उम्मीदवारों को वोट देना चाहिए। उन्होंने कहा कि कुछ लोग ऐसे हैं जो बार-बार जेल और विधानसभा दोनों जगह जाते रहे हैं — और यही लोग आज फिर जनता के सामने “नेता” बनकर खड़े हैं। “अगर आपके क्षेत्र में ऐसा कोई उम्मीदवार खड़ा है, तो उसका नाम चाहे कुछ भी हो — उसे वोट देना देश और समाज के साथ अन्याय है।”

नाम लेकर बरसे आर.के. सिंह

अपने भाषण और सोशल मीडिया संदेशों में आर.के. सिंह ने आठ ऐसे नेताओं के नाम गिनाए जिनकी छवि विवादित है। इनमें शामिल हैं —

  1. सम्राट चौधरी — बिहार के उपमुख्यमंत्री, जिनपर कई पुराने आरोपों की चर्चा फिर तेज़ हो गई।
  1. अनंत सिंह — मोकामा के बाहुबली नेता, जिनसे आर.के. सिंह ने कहा कि 1985 में डीएम रहते उन्होंने “खुद पीटकर भगाया” था।
  1. सूरजभान सिंह — मोकामा-बेगूसराय क्षेत्र से कुख्यात नाम, उनकी पत्नी चुनावी मैदान में हैं।
  1. भगवान सिंह कुशवाहा — आरा क्षेत्र के नेता, जिनपर नरसंहार जैसे गंभीर आरोप रहे हैं।
  1. राजबल्लभ यादव की पत्नी विभा देवी — नवादा से उम्मीदवार, राजबल्लभ यादव POCSO मामले में दोषी ठहराए जा चुके हैं।
  1. ओसामा शहाब — पूर्व बाहुबली सांसद शाहबुद्दीन के बेटे।
  1. राधाचरण साह — बालू माफिया से जुड़े नाम, जेल से लौटने के बाद चुनावी तैयारी में सक्रिय।
  1. दीपू सिंह — अरुण यादव के परिवार से जुड़े, गंभीर मामलों में नामित।

सिंह ने इन सभी के नाम लेकर कहा कि “अगर ऐसे लोगों को वोट दिया गया, तो बिहार फिर से अंधकार में चला जाएगा।”

 पार्टी में मचा हड़कंप

यह बयान सिर्फ विपक्ष पर हमला नहीं, बल्कि अपनी ही पार्टी और गठबंधन के नेताओं पर भी चोट माना जा रहा है।

बीजेपी और एनडीए खेमे में इस बयान के बाद असहजता फैल गई है। कई नेताओं ने आर.के. सिंह की टिप्पणी को “व्यक्तिगत राय” बताया, जबकि विपक्षी दलों ने इसे “बीजेपी के भीतर विद्रोह की शुरुआत” कहा है।

जनता दल (यू) और लोजपा के कुछ नेताओं ने आर.के. सिंह पर “जनता को गुमराह करने” का आरोप लगाया है, जबकि सोशल मीडिया पर उनके बयान की जमकर तारीफ भी हो रही है। लोगों का कहना है कि “पहली बार कोई नेता अपने ही घर की गंदगी साफ करने उठा है।”

बिहार की सियासत पर असर

आर.के. सिंह के इस बयान ने बिहार के चुनावी परिदृश्य में नई बहस छेड़ दी है —क्या बिहार का मतदाता अब जाति और पैसे की राजनीति से ऊपर उठकर साफ छवि वाले उम्मीदवारों को मौका देगा? क्या यह बयान एनडीए के अंदर से उठ रही नैतिक राजनीति की आवाज़ है?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आर.के. सिंह का यह बयान आने वाले चुनाव में “एंटी-क्राइम वोट बैंक” को प्रभावित कर सकता है। उनकी साख एक ईमानदार अधिकारी और मंत्री के रूप में रही है, इसलिए जनता इस अपील को गंभीरता से ले सकती है।

आगे क्या?

क्या बीजेपी इस बयान पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करेगी या इसे “व्यक्तिगत राय” बताकर टाल देगी? क्या सम्राट चौधरी या अन्य नेताओं की ओर से कोई औपचारिक जवाब आएगा? क्या आर.के. सिंह भविष्य में नई सियासी लाइन खींचने वाले नेता बन सकते हैं?

बिहार की राजनीति में यह बयान “सम्राट बम” साबित हुआ है। आर.के. सिंह ने जो आग लगाई है, वह आने वाले दिनों में कई नेताओं की कुर्सियाँ हिला सकती है। जनता की जुबान पर अब सिर्फ एक ही सवाल है, “क्या अब बिहार वाकई बदलना चाहता है, या फिर वही बाहुबली और भ्रष्टाचार की राजनीति दोहराई जाएगी?”

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