नई दिल्ली, 10 सितंबर 2025
इज़राइल-हूती टकराव ने पकड़ी खतरनाक रफ्तार
मध्य पूर्व में युद्ध की आग और विकराल हो गई है। इज़राइल ने यमन की राजधानी सना में हूती नियंत्रित रक्षा मंत्रालय (Ministry of Defense) को निशाना बनाते हुए भीषण हवाई हमला किया। हूती संचालित अल-मसिराह टीवी ने हमले की पुष्टि की है। धमाकों के बाद आसमान में आग के गोले उठे और शहर दहशत में डूब गया।
मलबे में दबकर खत्म हुई ज़िंदगियां
यह हमला सिर्फ सैन्य ठिकानों तक सीमित नहीं रहा। पास के रिहायशी इलाकों में भीषण झटकों से इमारतें ढह गईं। मलबे में दबकर कई लोगों की मौत हो गई। शुरुआती रिपोर्ट्स के अनुसार, मृतकों में पत्रकार, कर्मचारी और आम नागरिक शामिल हैं। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि कई परिवार अपने घरों में ही चकनाचूर हो गए—चीखें, कराह और धुएं का अंधेरा ही सब कुछ बचा था।
गाज़ा से यमन तक फैली जंग की आग
गाज़ा में जारी युद्ध की लपटें अब यमन तक पहुंच चुकी हैं। हूती लड़ाकों ने पिछले दिनों लाल सागर और अरब सागर में इज़राइल और उसके सहयोगियों से जुड़े जहाज़ों को निशाना बनाया था। इज़राइल का कहना है कि यह हमला उसी का जवाब है। लेकिन इसका असर अब मासूम नागरिकों की मौत के रूप में सामने आ रहा है।
सना में खौफ और पलायन
हमले ने सना की सड़कों पर खौफ का माहौल खड़ा कर दिया। लोग अपने घर छोड़कर सुरक्षित जगहों की तलाश में भाग रहे हैं। कई अस्पताल घायलों से भर गए हैं। बिजली गुल हो गई है, संचार नेटवर्क ठप पड़ गया है और लोग राहत टीमों का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
क्षेत्रीय टकराव की आशंका
विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि सना पर यह हमला पूरे खाड़ी क्षेत्र में नई आग भड़का सकता है। हूती ईरान समर्थित हैं और हिज़्बुल्लाह के साथ उनके गहरे संबंध हैं। ऐसे में इज़राइल का यह कदम सीधे तौर पर ईरान और उसके सहयोगियों को खुली चुनौती है। हालात अगर ऐसे ही बिगड़े तो यह टकराव पूरे मध्य पूर्व को युद्ध की गिरफ्त में ले सकता है।
अमेरिका और पश्चिमी देशों पर सवाल
इस हमले के बाद अमेरिका और उसके सहयोगियों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। आलोचकों का कहना है कि यह सिर्फ इज़राइल का कदम नहीं बल्कि अमेरिका समर्थित खेमे का सामूहिक संदेश है कि हूतियों को पूरी तरह से कुचल दिया जाएगा। लेकिन इस राजनीतिक रणनीति का सबसे बड़ा शिकार मासूम नागरिक बन रहे हैं।
मानवता पर गहरा घाव
सना की सड़कों पर बिखरे शव, मलबे में दबे मासूम और चीखते-चिल्लाते बच्चे दुनिया को यह याद दिला रहे हैं कि युद्ध की असली कीमत हमेशा निर्दोष लोग चुकाते हैं। यमन पहले ही भूख, गरीबी और गृहयुद्ध से कराह रहा था, और अब इज़राइली बमों ने इस दर्द को और गहरा कर दिया है। सवाल यह है कि क्या दुनिया अब भी खामोश रहेगी या इन मासूम मौतों के लिए आवाज उठाएगी?