नई दिल्ली 16 सितम्बर 2025
इज़रायल के अधिकारियों द्वारा संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट को “झूठी और विकृत” बताना न सिर्फ एक राजनीतिक बयान है, बल्कि यह गाज़ा में मासूमों पर हो रहे आतंक और अत्याचार को छिपाने की साजिश भी है। जब इज़रायल कहता है कि रिपोर्ट झूठी है, तो वह उन हज़ारों बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों की चीखों और आंसुओं को नकार रहा है, जो हर रोज़ मौत के डर के बीच जी रहे हैं। गाज़ा में अब तक की कार्रवाई केवल युद्ध नहीं, बल्कि संगठित और योजनाबद्ध मानवता विरोधी अपराध बन चुकी है, जिसे दुनिया ने संयुक्त राष्ट्र जांच आयोग की रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से देखा है।
गाज़ा में मौत और तबाही का आंकड़ा
संयुक्त राष्ट्र और स्थानीय स्वास्थ्य मंत्रालयों के आंकड़े बताते हैं कि गाज़ा में इज़रायल की हमलों में 64,000 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं, जिनमें बड़ी संख्या में आम नागरिक शामिल हैं। केवल बच्चों की संख्या ही 19,000 से अधिक है, जो इस हिंसा की क्रूरता और बेरहमियत को दर्शाती है। इन हमलों में अस्पताल, स्कूल और नागरिक बुनियादी ढांचे को भी निशाना बनाया गया है। 36 में से 18 अस्पताल पूरी तरह से नष्ट हो चुके हैं, और 90% से अधिक स्कूलों को भारी नुकसान हुआ है। यह कोई आकस्मिक नुकसान नहीं, बल्कि इरादतन नागरिक जीवन को तबाह करने की नीति का हिस्सा है।
विस्थापन और जीवन का संकट
गाज़ा में लाखों लोग अपने घरों से विस्थापित हैं। उन्होंने न केवल अपने घर खोए हैं बल्कि जीवन की बुनियादी आवश्यकताओं जैसे भोजन, पानी और स्वास्थ्य सेवाओं तक से वंचित हैं। सैकड़ों हजार लोग आश्रयों में रहकर भी लगातार हमलों और डर के बीच जी रहे हैं। यह स्थिति दर्शाती है कि इज़रायल ने न केवल लड़ाकों को, बल्कि आम नागरिकों के जीवन को भी सिस्टमेटिक तरीके से असुरक्षित और तबाह कर दिया है। बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह जीवन एक लगातार खतरे का खेल बन गया है।
अंतर्राष्ट्रीय कानून और मानवाधिकार उल्लंघन
संयुक्त राष्ट्र आयोग ने रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि इज़रायल की कार्रवाई 1948 के Genocide Convention की चार में से पाँच धाराओं का उल्लंघन करती है। इसमें शामिल है – मारना, गंभीर शारीरिक और मानसिक चोट पहुंचाना, जीवन-परिस्थितियों को उत्पन्न करना जो समूह को मिटाने की दिशा में हैं, और भविष्य में जन्मों को रोकने के उपाय। यह किसी भी लोकतांत्रिक देश या अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए सिर्फ गंभीर चिंता का विषय नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय न्यायालयों में अभियोजन योग्य अपराध भी है।
इज़रायल का बयान: राजनीतिक बचाव या साजिश?
इज़रायल का यह दावा कि रिपोर्ट झूठी और विकृत है, केवल अपने देश और नेतृत्व की छवि बचाने की कोशिश है। इस बयान का मकसद अंतरराष्ट्रीय दबाव को कम करना और कार्रवाई को जायज़ ठहराना है। जबकि हकीकत यह है कि गाज़ा में हर दिन हजारों बेगुनाह लोग मौत, भूख, भय और मानसिक तनाव के बीच जी रहे हैं। अस्पतालों, स्कूलों और घरों की बर्बादी इस सच को बदल नहीं सकती।
दुनिया को अब कार्रवाई करनी होगी
संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों की रिपोर्ट्स स्पष्ट करती हैं कि गाज़ा में इज़रायल की कार्रवाई केवल युद्ध नहीं, बल्कि मानवता विरोधी अपराध और जनसंहार है। दुनिया को अब इस स्थिति के खिलाफ मजबूती से खड़ा होना होगा। इज़रायल का बयान कि रिपोर्ट झूठी है, केवल छवि बचाने की कोशिश है, जबकि सच्चाई यह है कि हजारों मासूमों की मौत और लाखों लोगों की त्रासदी हर रोज़ गाज़ा में घट रही है। यदि अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने समय रहते कदम नहीं उठाए, तो यह केवल एक राजनीतिक विवाद नहीं, बल्कि मानवता के खिलाफ एक बड़ा अपराध बन जाएगा।
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