बाली 29 सितंबर 2025
चमचमाती स्विमिंग पूल, झूलते लताओं से लिपटी घाटियाँ, नारियल के पेड़ों से घिरी सफेद रेत की तटरेखाएँ — इंस्टाग्राम पर बाली को अक्सर स्वर्ग जैसी जगह दिखाया जाता है। लाखों फॉलोअर्स के सामने हर पल एक आदर्श तस्वीर बनती है — झरने के किनारे की पोज़, कोरा समुद्र, सूर्योदय की छटा — और यह “इंस्टा परफेक्ट” इमेज बाली की साख को आसमान तक ले गई है। इस खूबसूरत द्वीप ने सोशल मीडिया की ताकत के सहारे पर्यटन में अभूतपूर्व शोर मचाया है, लेकिन इसके पीछे की हकीकत उतनी सुखद नहीं है जितनी हमें सेल्फी में दिखाई देती है।
वास्तव में, इस बढ़ती लोकप्रियता ने बाली के लिए कई अनपेक्षित दुष्परिणाम खड़े कर दिए हैं। जगह-जगह अतिशय भीड़, सड़कों पर जाम, अपशिष्ट बढ़ना, पानी की कमी और धीरे-धीरे स्थानीय संस्कृति का क्षरण — ये सब उसी इंस्टाग्राम उपयोगिता के द्रष्टव्य हैं, जो कभी द्वीप को दुनिया के नक्शे पर ला खड़ी हुई थी। प्रकृति-प्रिय झरने आज कचरों और प्लास्टिक बोतलों से घिरे दिखते हैं, और शांत गाँवों की गलियाँ अब ट्रैफिक और पर्यटक बसों से गुलजार हैं। स्थल खासकर उबुद, चांग्गू, सेमिन्याक जैसे इलाकों में पर्यटन विकास एकाधिकार बन चुका है — जहां खेतों की जगह होटलों और विला परियोजनाओं ने ले ली है।
इस विकास के पैमाने को समझना है तो सिर्फ आंकड़ों को देखना होगा: बाली में पर्यटन अब राजस्व का एक बहुत बड़ा स्रोत है, लेकिन सरकार अब यह महसूस कर रही है कि यदि इस विस्तार को संतुलन में न लाया गया, तो आगे आने वाले वर्षों में द्वीप को बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। सच तो यह है कि बाली का यह संघर्ष “इंस्टाग्राम बनाम रियलिटी” से कहीं आगे है — यह सवाल है कि जब सुंदर दिखने वाली तस्वीरों के पीछे लोग बस झटपटियाँ लें, तो जमीन पर जीवन की कसावट किस कदर बिगड़ जाती है।
अभी भी विकल्प हैं — अगर स्थानीय समुदाय, सरकार और पर्यटक मिलकर इस द्वीप के असली चेहरे को बचाना चाहें। टिकाऊ पर्यटन (sustainable tourism) को बढ़ावा देना, सीमित दौरे और प्रवाह नियंत्रण की नीति लागू करना, पर्यावरणोन्मुख निर्माण, स्थानीय सांस्कृतिक संरक्षण जैसे कदम बाली को फिर से खूबसूरत अनुभव के लिए मार्गदर्शित कर सकते हैं। क्योंकि अगर आज बाली सिर्फ एक “इंस्टाग्राम बैकड्रॉप” बन जाए, तो कल वह सिर्फ एक याद बनकर रह जाएगी।