नई दिल्ली 9 अक्टूबर 2025
दलित वर्ग के खिलाफ अन्याय, भेदभाव और सामाजिक अपमान चरम सीमा पर
कांग्रेस सांसद और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने हरियाणा के आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की आत्महत्या पर गहरी चिंता और शोक व्यक्त करते हुए कहा है कि यह घटना सिर्फ एक व्यक्ति की मृत्यु नहीं, बल्कि उस सामाजिक अन्याय और जातिगत भेदभाव की काली हकीकत का आईना है, जो आज भी भारत के समाज को अंदर से खोखला कर रही है। उन्होंने कहा कि जब एक आईपीएस अधिकारी, जो देश की सेवा में सर्वोच्च जिम्मेदारी निभा रहा था, उसे अपनी जाति के कारण अपमान और उत्पीड़न झेलना पड़ा, तो यह सवाल पूरे राष्ट्र के सामने खड़ा होता है — कि फिर आम दलित, पिछड़े और वंचित वर्ग के नागरिक किस भय और अपमान के माहौल में जी रहे होंगे।
राहुल गांधी ने कहा कि वाई पूरन कुमार की आत्महत्या केवल एक प्रशासनिक असफलता नहीं, बल्कि एक नैतिक और सामाजिक विफलता का परिणाम है। उन्होंने कहा कि इस देश में हर नागरिक को समान अधिकार और गरिमा के साथ जीने का संवैधानिक हक है, लेकिन सच्चाई यह है कि जातिगत अहंकार और भेदभाव ने आज भी समाज के संवेदनशील हिस्सों को घेर रखा है। जब एक उच्च पद पर बैठे अधिकारी को भी उसकी जाति के कारण बार-बार नीचा दिखाया जाता है, तो यह उस प्रणाली की सच्चाई बयान करता है जो संविधान की आत्मा — समानता और न्याय — का अपमान कर रही है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि हाल ही में रायबरेली में हरिओम वाल्मीकि की निर्मम हत्या, सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का अपमान, और अब वाई पूरन कुमार की आत्महत्या — ये सब घटनाएँ एक ही कड़ी का हिस्सा हैं। इनसे यह स्पष्ट होता है कि देश के वंचित और दलित वर्ग के खिलाफ अन्याय, भेदभाव और सामाजिक अपमान अब अपनी चरम सीमा पर पहुँच चुका है। राहुल गांधी ने कहा कि यह कोई अलग-अलग घटनाएँ नहीं हैं, बल्कि एक व्यापक मानसिकता का परिणाम हैं, जो सदियों से समाज में पनपती आई है और जिसे अब सत्ता के संरक्षण में और बल मिल रहा है।
राहुल गांधी ने सत्तारूढ़ भाजपा और आरएसएस पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि “BJP-RSS की नफ़रत और मनुवादी सोच ने समाज को विष से भर दिया है।” उन्होंने कहा कि आज भारत का लोकतंत्र, जो दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहलाता है, उस दिशा में खड़ा है जहाँ दलित, आदिवासी, पिछड़े और मुस्लिम नागरिक न्याय की उम्मीद खोते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह माहौल उस विचारधारा का परिणाम है जो समाज को बराबरी की जगह ऊँच-नीच में बाँटती है, और इंसान को इंसान के रूप में नहीं, उसकी जाति और धर्म के चश्मे से देखती है।
अपने बयान के अंत में राहुल गांधी ने कहा कि यह संघर्ष केवल वाई पूरन कुमार का नहीं है, बल्कि हर उस भारतीय का है जो संविधान, समानता और न्याय में विश्वास रखता है। उन्होंने कहा कि पूरन कुमार की मृत्यु को केवल एक आत्महत्या के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि एक सामाजिक शहादत के रूप में देखा जाना चाहिए — एक ऐसी कुर्बानी जो हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या आज का भारत वास्तव में बाबा साहब भीमराव आंबेडकर के सपनों का भारत है। राहुल गांधी ने कहा कि यह समय संवेदनशील बनने, सच बोलने और अन्याय के खिलाफ खड़े होने का है, क्योंकि अगर समाज चुप रहा तो यह जहर और गहराता जाएगा।