Home » National » UAV और Counter-UAS पर स्वदेशीकरण कार्यशाला: रक्षा मंत्रालय की पहल

UAV और Counter-UAS पर स्वदेशीकरण कार्यशाला: रक्षा मंत्रालय की पहल

Facebook
WhatsApp
X
Telegram

नई दिल्ली

16 जुलाई 2025

राष्ट्रीय सुरक्षा में तकनीकी आत्मनिर्भरता का बढ़ता महत्व

भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा अब सिर्फ सैन्य बल या हथियारों पर नहीं, बल्कि आधुनिक तकनीक और इनोवेशन पर भी निर्भर करती है। बदलते वैश्विक परिदृश्य में मानव रहित हवाई प्रणाली (UAV) और ड्रोन-रोधी तकनीक (Counter-UAS) एक रणनीतिक आवश्यकता बन चुके हैं। सीमाओं की निगरानी, आतंकी गतिविधियों पर नियंत्रण, युद्ध के दौरान खुफिया जानकारी जुटाना और आपदा के समय राहत कार्यों में ड्रोन की भूमिका बहुत बढ़ चुकी है। ऐसे में यह अत्यंत आवश्यक हो गया है कि भारत इन तकनीकों में आत्मनिर्भर बने। इसी सोच के तहत रक्षा मंत्रालय ने 16 जुलाई को एक उच्चस्तरीय कार्यशाला आयोजित करने का निर्णय लिया है, जो इस क्षेत्र में एक ऐतिहासिक पहल मानी जा रही है।

रक्षा मंत्रालय की कार्यशाला: उद्देश्य और सार

यह कार्यशाला ‘स्वदेशीकरण’ को केंद्र में रखकर उन क्षेत्रों पर प्रकाश डालेगी जहां भारत अब तक विदेशी तकनीक पर निर्भर रहा है। खासकर UAV और Counter-UAS प्रणालियों के निर्माण, अनुसंधान और तैनाती में स्वदेशी विकल्पों को कैसे विकसित किया जा सकता है — यही इसका मुख्य एजेंडा होगा। कार्यशाला में रक्षा मंत्रालय के अधिकारी, DRDO के वैज्ञानिक, सेना के विशेषज्ञ, प्राइवेट सेक्टर की रक्षा कंपनियां, नवाचार से जुड़े स्टार्टअप्स और MSMEs भाग लेंगे। कार्यशाला में ऐसे रोडमैप तैयार किए जाएंगे जो अगले 5 वर्षों में भारत को इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना सकें।

UAV और Counter-UAS: आज की सैन्य रणनीति का अनिवार्य हिस्सा

जहां UAV यानी ड्रोन्स सीमाओं की निगरानी, दुश्मन के इलाके में खुफिया जानकारी इकट्ठा करने और सटीक हमले के लिए अहम हथियार बन चुके हैं, वहीं काउंटर-यूएएस तकनीक दुश्मन के ड्रोन हमलों को रोकने के लिए जरूरी है। हाल के वर्षों में विभिन्न देशों द्वारा ड्रोन हमलों की घटनाओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब युद्ध की दिशा ड्रोन तकनीक तय करेगी। भारत जैसे विशाल देश के लिए, जिसकी सीमाएं कई देशों से जुड़ी हैं, इन दोनों तकनीकों में आत्मनिर्भरता उसकी सुरक्षा की पहली शर्त बन गई है।

निजी कंपनियों और स्टार्टअप्स की निर्णायक भूमिका

यह कार्यशाला न केवल सरकारी संस्थानों को जोड़ने का मंच है, बल्कि यह निजी क्षेत्र, विशेषकर नवाचार से जुड़े स्टार्टअप्स के लिए एक सुनहरा अवसर है। भारत में कई युवा उद्यमी और टेक्नोलॉजी स्टार्टअप ऐसे हैं जो ड्रोन निर्माण, सिग्नल जैमिंग, AI-आधारित निगरानी और रडार तकनीक में उल्लेखनीय काम कर रहे हैं। सरकार का उद्देश्य है कि इन क्षमताओं को प्रोत्साहित करके उन्हें रक्षा उत्पादन की मुख्यधारा में लाया जाए। साथ ही, MSMEs को इस क्षेत्र में तकनीकी प्रशिक्षण और वित्तीय सहयोग देने की योजनाएं भी कार्यशाला में रखी जाएंगी।

‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ की रक्षा नीति में सुदृढ़ स्थापना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसे अभियानों को केवल नारे तक सीमित नहीं रखा, बल्कि उन्हें रणनीतिक योजनाओं में बदला है। रक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित यह कार्यशाला इसी नीति का व्यावहारिक उदाहरण है। अब समय आ गया है कि भारत रक्षा उपकरणों का केवल उपभोक्ता नहीं, बल्कि निर्माता और निर्यातक भी बने। UAV और काउंटर-UAS में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना इसी दिशा में एक क्रांतिकारी कदम होगा।

रक्षा क्षेत्र का डिजिटल युग और भारत की नई पहचान

डिजिटल युग में केवल पारंपरिक हथियारों से सुरक्षा संभव नहीं है। साइबर युद्ध, ड्रोन हमले, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधारित निगरानी और सिग्नल इंटरसेप्शन जैसे नए युद्ध मोर्चे खुल चुके हैं। भारत को इस चुनौती का सामना करने के लिए उच्च तकनीक अपनानी होगी और उसमें आत्मनिर्भर होना होगा। यह कार्यशाला भारत को सिर्फ रक्षा क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि वैश्विक टेक्नोलॉजी नेतृत्व में भी सशक्त बनाएगी।

राष्ट्रीय सुरक्षा में स्वदेशी तकनीक की मजबूती

यह कार्यशाला भारत की सुरक्षा रणनीति के भविष्य की रूपरेखा है। यह दिखाती है कि भारत अब भविष्य के युद्धों की तैयारी केवल पारंपरिक तरीकों से नहीं, बल्कि अत्याधुनिक तकनीकों और स्वदेशी नवाचारों के बल पर कर रहा है। जब UAV और काउंटर-UAS जैसे क्षेत्रों में भारत आत्मनिर्भर होगा, तभी राष्ट्र की सुरक्षा भी सशक्त और दीर्घकालिक रूप से सुनिश्चित होगी। यह कार्यशाला भारत के आत्मसम्मान और सामरिक स्वतंत्रता का प्रतीक है। जब देश अपनी सुरक्षा प्रणाली खुद बनाएगा, तो उसे दुनिया की किसी ताकत से डरने की ज़रूरत नहीं होगी। यह भारत के नए युग का आरंभ है — जहां सुरक्षा, तकनीक और आत्मनिर्भरता एकसाथ आगे बढ़ेंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *