भारत की सामरिक उपस्थिति को लेकर एक महत्वपूर्ण खबर सामने आई है। मध्य एशिया में भारत की एकमात्र विदेशी सैन्य सुविधा — ताजिकिस्तान स्थित ऐनी एयरफोर्स बेस (Ayni Airbase) — को reportedly बंद कर दिया गया है। यह वही एयरबेस है जिसे भारत ने 2000 के शुरुआती दशक में स्थापित किया था और जिसे लेकर भारतीय सामरिक योजनाकारों ने काफी ऊंची उम्मीदें रखी थीं। यह कदम भारत की विदेश नीति और रक्षा रणनीति के दृष्टिकोण से एक गंभीर झटका माना जा रहा है, क्योंकि इससे भारत की मध्य एशिया में मौजूदगी अब लगभग समाप्त हो गई है।
सूत्रों के अनुसार, ऐनी बेस पर भारत ने वर्षों तक इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने में भारी संसाधन लगाए थे। यह स्थान भौगोलिक दृष्टि से अत्यंत रणनीतिक माना जाता था — अफगानिस्तान, चीन और पाकिस्तान के समीप होने के कारण यह क्षेत्र भारत के लिए सुरक्षा और खुफिया दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण था। भारतीय वायुसेना ने वहां रनवे, हैंगर और कंट्रोल सुविधाएं विकसित की थीं, जिससे संकट की स्थिति में यह एक फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस के रूप में काम कर सकता था। लेकिन करीब चार साल पहले ताजिकिस्तान की सरकार ने भारत को यह स्पष्ट संदेश दे दिया था कि उसे धीरे-धीरे वहां से अपना संचालन समेटना होगा। और अब खबर है कि भारत ने आखिरकार उस बेस को पूरी तरह बंद कर दिया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह विकास भारत की घटती रणनीतिक उपस्थिति की एक और मिसाल है। अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना के हटने के बाद भारत की वहां की कूटनीतिक पकड़ पहले ही कमजोर हो चुकी थी, और अब ताजिकिस्तान में यह बंदी भारत की मध्य एशियाई नीति के लिए एक और झटका है। कई रक्षा विश्लेषकों का यह भी कहना है कि बीजिंग और मॉस्को के प्रभाव क्षेत्र में आने के बाद, ताजिकिस्तान की विदेश नीति में भारत के लिए स्थान सीमित होता चला गया, और यह भारत की कूटनीतिक विफलता का संकेत है।
दिलचस्प बात यह है कि ऐनी एयरबेस ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे से मात्र 10 किलोमीटर दूर स्थित है, जो ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत समृद्ध शहर है। यहां का प्रसिद्ध राष्ट्रीय संग्रहालय (National Museum of Tajikistan) दुनिया भर के इतिहासकारों और पर्यटकों को आकर्षित करता है। इस संग्रहालय की सबसे अनमोल धरोहरों में से एक है “बुद्धा ऑफ निर्वाण” (Buddha of the Nirvana) — जो लगभग 1500 वर्ष पुरानी मानी जाती है और मध्य एशिया में बौद्ध प्रभाव की ऐतिहासिक झलक दिखाती है।
भारत का ऐनी एयरबेस केवल एक सैन्य ठिकाना नहीं था, बल्कि यह “सॉफ्ट पावर” और “हार्ड पावर” दोनों का प्रतीक था — भारत के उस प्रयास का हिस्सा जिसमें वह मध्य एशिया में अपनी रणनीतिक गहराई बनाए रखना चाहता था। अब इसका बंद होना इस बात का संकेत है कि भारत को अपनी विदेश नीति में नए सिरे से संतुलन स्थापित करना होगा और बदलते भू-राजनीतिक समीकरणों में खुद को पुनर्परिभाषित करना पड़ेगा।
संक्षेप में कहा जाए तो, ऐनी एयरबेस का बंद होना भारत की “ग्रेट गेम” में एक महत्वपूर्ण हार के रूप में देखा जा रहा है — एक ऐसा अध्याय जो बताता है कि मध्य एशिया में भारत की पकड़ धीरे-धीरे कमजोर होती जा रही है।




