नई दिल्ली 10 अगस्त 2025
भारत ने 15 अगस्त को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच अलास्का में होने वाली बहुप्रतीक्षित शिखर वार्ता का गर्मजोशी से स्वागत किया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधिर जैस्वाल ने कहा कि यह बैठक यूक्रेन में जारी संघर्ष को समाप्त करने की दिशा में एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकती है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस कथन को दोहराया कि “यह युद्ध का युग नहीं है” और इसे केवल संवाद और कूटनीति के माध्यम से ही खत्म किया जा सकता है। भारत ने इस वार्ता को वैश्विक शांति के लिए एक अवसर बताया और स्पष्ट किया कि वह हर तरह से इस प्रयास का समर्थन करने के लिए तैयार है, चाहे वह संवाद को आगे बढ़ाने में हो, मध्यस्थता की पेशकश में हो या किसी भी निर्माणात्मक प्रक्रिया में।
भारत का यह रुख ऐसे समय में सामने आया है जब अमेरिका और रूस के बीच संबंध यूक्रेन युद्ध के कारण दशकों में सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं, और इसी युद्ध ने वैश्विक राजनीति, ऊर्जा बाजारों और खाद्य आपूर्ति श्रृंखला पर गहरा असर डाला है। भारत, जो रूस के साथ रक्षा, ऊर्जा और व्यापारिक संबंध रखता है, और अमेरिका के साथ रणनीतिक साझेदारी को मजबूत कर रहा है, खुद को इस वार्ता के लिए एक संभावित “संतुलन साधने वाले” खिलाड़ी के रूप में देख रहा है। हालांकि, इस बीच अमेरिका ने भारत पर रूसी कच्चे तेल की खरीद को लेकर 50% तक का अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया है, जिसे भारत ने अनुचित और एकतरफा कदम बताया है। ऐसे में, यह बैठक भारत–अमेरिका तनाव को कम करने का भी एक अप्रत्यक्ष मंच बन सकती है।
विदेश मंत्रालय ने यह भी संकेत दिया कि भारत इस शिखर बैठक के परिणामों को लेकर आशावादी है, क्योंकि ट्रम्प और पुतिन दोनों ही इस समय अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपने-अपने देशों की छवि सुधारने और घरेलू मोर्चे पर सफलता दिखाने के दबाव में हैं। यदि यह बैठक किसी प्रारंभिक शांति समझौते या संघर्षविराम की दिशा में बढ़ती है, तो इसका असर न केवल यूक्रेन और रूस पर बल्कि यूरोप, एशिया और वैश्विक व्यापार पर भी पड़ेगा। भारत की आर्थिक और रणनीतिक दृष्टि से यह एक सकारात्मक विकास होगा, क्योंकि युद्ध के चलते बढ़ती ऊर्जा कीमतों और सप्लाई चेन में आई बाधाओं का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा है।
इस बैठक की खबर से वैश्विक वित्तीय बाजारों में भी हलचल देखी गई है। भारतीय शेयर बाजार के प्रमुख सूचकांक निफ्टी और सेंसेक्स में शुरुआती सकारात्मक रुझान दर्ज किए गए, क्योंकि निवेशकों को उम्मीद है कि अमेरिका–रूस वार्ता के चलते प्रतिबंधों और भू-राजनीतिक तनावों में कमी आएगी। विश्लेषकों का मानना है कि यदि वार्ता सफल होती है, तो कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट, विदेशी निवेश में वृद्धि और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला की स्थिरता भारत के लिए दीर्घकालिक लाभ लेकर आ सकती है।
भारत ने स्पष्ट किया है कि वह शांति प्रयासों में केवल दर्शक बनकर नहीं रहेगा, बल्कि सक्रिय और जिम्मेदार भूमिका निभाएगा। प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले वर्षों में कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर युद्ध समाप्त करने की अपील की है, और भारत का यह रुख दर्शाता है कि वह कूटनीतिक पुल का काम करने को तैयार है। अब सबकी निगाहें 15 अगस्त को अलास्का में होने वाली इस ऐतिहासिक बैठक पर टिकी हैं, जो शायद आने वाले समय में विश्व राजनीति की दिशा बदलने का कारण बन सकती है।