लंदन, ब्रिटेन
26 जुलाई 2025
भारत और यूनाइटेड किंगडम (यूके) के बीच ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौता (Free Trade Agreement – FTA) हुआ जिसे भारत के वाणिज्य मंत्री पियूष गोयल ने “गेम‑चेंजिंग” करार दिया। उन्होंने इसे आत्मनिर्भर भारत और विकसित भारत (Viksit Bharat) के सपने की दिशा में एक निर्णायक कदम बताया। यह समझौता न केवल व्यापारिक संबंधों को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा, बल्कि भारत के किसानों, कारीगरों, मछुआरों, छोटे उद्यमियों, युवाओं और पेशेवरों को सीधे लाभ पहुंचाएगा। गोयल के अनुसार, यह समझौता पारंपरिक व्यापार सीमाओं को तोड़ते हुए भारत की नई आर्थिक पहचान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर सशक्त बनाएगा।
पियूष गोयल ने इस समझौते की सबसे बड़ी उपलब्धि यह बताई कि इसके तहत भारत से यूके को होने वाले 99% निर्यात पर अब कोई आयात शुल्क (ड्यूटी) नहीं लगेगा। इससे भारत के वस्त्र उद्योग, चमड़ा, जूते, आभूषण, फर्नीचर, प्रसंस्कृत खाद्य, मछली और फार्मास्यूटिकल्स जैसे क्षेत्रों को भारी बढ़त मिलेगी। उदाहरण के तौर पर, भारत से समुद्री खाद्य उत्पादों के निर्यात में 70% तक की वृद्धि की संभावना जताई जा रही है। यह समझौता भारत के उन सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) के लिए एक वरदान साबित हो सकता है, जो पहले ऊंची ड्यूटी दरों के कारण यूके बाजार में पूरी क्षमता से प्रवेश नहीं कर पा रहे थे। अब भारतीय उत्पाद विश्वस्तरीय प्रतिस्पर्धा में खड़े होने को तैयार हैं।
भारत सरकार ने इस समझौते में देश के संवेदनशील क्षेत्रों को पूरी तरह से संरक्षित रखा है। पियूष गोयल ने स्पष्ट किया कि दूध, चावल, चीनी और गेहूं जैसे कृषि उत्पादों को इस समझौते से बाहर रखा गया है। इसका उद्देश्य भारत के किसानों और घरेलू उत्पादकों के हितों की रक्षा करना है। इसके अलावा, सेवा क्षेत्र में भी भारत को विशेष लाभ मिला है। इस समझौते के तहत भारत के योग प्रशिक्षकों, कला, संगीत, IT और कॉर्पोरेट पेशेवरों को यूके में कार्य करने और वीज़ा प्राप्त करने की प्रक्रिया और भी सरल और पारदर्शी हो गई है। इस समझौते में सालाना 1,800 नए वीज़ा की व्यवस्था भी शामिल है, जिससे भारतीय पेशेवरों को ब्रिटेन में बेहतर अवसर मिलेंगे।
एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह समझौता न केवल आर्थिक बल्कि रणनीतिक रूप से भी भारत के लिए लाभकारी है। पियूष गोयल ने इस समझौते को “समानता और पारदर्शिता” का प्रतीक बताया, जिसमें भारत और यूके दोनों देशों ने अपने हितों की रक्षा करते हुए आगे बढ़ने का रास्ता तैयार किया है। इस समझौते को यूके और भारत की संसदों से मंजूरी मिलने के बाद लागू किया जाएगा, जो अनुमानतः अगले एक वर्ष में प्रभावी हो सकता है। लेकिन अब से ही व्यापारिक समुदाय में इसे लेकर उत्साह और विश्वास की लहर दिखाई दे रही है।
इस समझौते का लाभ भारत के प्रमुख निर्यातक राज्यों—गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश—को विशेष रूप से मिलेगा। इन राज्यों से होने वाला कपड़ा, ज्वैलरी, समुद्री उत्पाद और ऑटो‑पार्ट्स का निर्यात अब पहले से कई गुना तेज हो सकेगा। इससे इन राज्यों में न केवल निर्यात बढ़ेगा बल्कि रोज़गार सृजन, स्थानीय उत्पादन और निवेश में भी भारी वृद्धि होगी। अनुमान है कि अकेले कपड़ा और हीरे‑जवाहरात उद्योग में ही लाखों नए रोज़गार पैदा होंगे, जिससे ग्रामीण और शहरी युवाओं को एक नया रास्ता मिलेगा।
अंततः, भारत‑यूके मुक्त व्यापार समझौता एक ऐतिहासिक मोड़ पर आया है, जब वैश्विक अर्थव्यवस्था नए समीकरणों की ओर बढ़ रही है। यह समझौता भारत को न केवल ब्रिटेन बल्कि यूरोप और अन्य पश्चिमी बाजारों तक पहुंच का एक मजबूत सेतु प्रदान करता है। यह दिखाता है कि भारत अब आत्मनिर्भरता से आगे बढ़कर एक वैश्विक आर्थिक शक्ति बनने की दिशा में तेज़ी से अग्रसर है। यह सिर्फ एक समझौता नहीं, बल्कि भारत के आत्मविश्वास, नेतृत्व और विश्वमंच पर प्रभावशाली उपस्थिति का प्रतीक है।