नई दिल्ली 27 अगस्त 2025
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आने वाले सामान पर 50 प्रतिशत आयात शुल्क लगाने का आदेश जारी कर भारत के सबसे बड़े निर्यात क्षेत्रों को सीधा झटका दिया है। रेडीमेड वस्त्र, रत्न एवं आभूषण, श्रिम्प, कालीन और फर्नीचर उद्योग पर इसका गहरा असर पड़ा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह फैसला केवल व्यापारिक नहीं बल्कि राजनीतिक संदेश भी है। अमेरिका लंबे समय से भारत के रूस से सस्ते तेल आयात पर नाराज़गी जताता रहा है और अब इन टैरिफों को उसी का नतीजा माना जा रहा है।
रोज़गार पर गंभीर खतरा
रत्न एवं आभूषण उद्योग, खासकर सूरत का डायमंड हब, अमेरिकी बाजार पर सबसे ज्यादा निर्भर है। यहां लाखों लोग काम करते हैं। उद्योग संगठनों के मुताबिक, टैरिफ बढ़ने से अमेरिकी खरीदार अब वियतनाम और थाईलैंड जैसे देशों की ओर रुख करेंगे। पहले ही सूरत में करीब 50,000 लोग बेरोजगार हो चुके हैं और अब एक लाख से ज्यादा रोज़गार और खतरे में हैं। यही स्थिति वस्त्र और श्रिम्प निर्यात क्षेत्र में भी है, जहां ग्रामीण और तटीय इलाकों में भारी पैमाने पर रोजगार पैदा होता है।
निर्यात में भारी गिरावट का अंदेशा
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) और अन्य संस्थानों का अनुमान है कि भारत के निर्यात में अगले एक साल में 40 से 70 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है। अमेरिका भारत का सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है और इस झटके से विदेशी मुद्रा आय पर बड़ा असर होगा। ज्वेलरी निर्यातकों ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने तत्काल राहत कदम नहीं उठाए तो हजारों छोटी यूनिटें बंद हो जाएंगी।
जीडीपी और आर्थिक वृद्धि पर असर
निर्यात आधारित उद्योगों में आई मंदी का सीधा असर भारत की जीडीपी पर भी पड़ेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि जीडीपी वृद्धि दर 0.2 से 0.5 प्रतिशत तक गिर सकती है। कुछ अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों का अनुमान है कि यह गिरावट 1 प्रतिशत तक भी जा सकती है। यह स्थिति उस समय आई है जब भारत ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के जरिए वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनने की दिशा में बढ़ रहा था।
‘मेक इन इंडिया’ को करारा झटका
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना रहा है कि भारत को वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग हब बनाया जाए। लेकिन अब जब 50% शुल्क से भारतीय उत्पाद महंगे होंगे, तो अमेरिकी खरीदार अन्य देशों का रुख करेंगे। इससे भारतीय कंपनियों को उत्पादन घटाना पड़ेगा या बाहर निवेश करना होगा। नतीजतन, ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को बड़ा झटका लगेगा।
सरकार की तैयारी और विकल्प
भारत सरकार ने कहा है कि वह निर्यातकों को राहत देने के लिए PLI स्कीम, टैक्स रिबेट और वित्तीय पैकेज तैयार कर रही है। साथ ही यूरोप, खाड़ी और एशियाई देशों में नए बाजार खोजने की कोशिश हो रही है। हालांकि उद्योग संगठनों का कहना है कि इतनी बड़ी चोट को सिर्फ वैकल्पिक बाजारों से भरपाई करना मुश्किल होगा।
वैश्विक प्रतिस्पर्धा और भारत की चुनौती
जिन क्षेत्रों पर टैरिफ बढ़ाए गए हैं, वहां पहले से ही बांग्लादेश, वियतनाम, थाईलैंड और तुर्की जैसे देश मजबूत प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। अब अमेरिकी बाजार से भारतीय उत्पाद बाहर होंगे और इन देशों को सीधा फायदा मिलेगा।
रणनीतिक फैसलों की जरूरत
यह संकट भारत के लिए चेतावनी है कि किसी एक बाजार पर अत्यधिक निर्भरता हमेशा खतरनाक साबित होती है। अब भारत को अल्पकालिक राहत पैकेज और दीर्घकालिक रणनीति दोनों बनाने होंगे—जिसमें उत्पादन लागत कम करना, नए बाजार ढूंढना और अमेरिका से कूटनीतिक स्तर पर सख्त बातचीत शामिल है।
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