अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के सबसे अहम पलों में से एक बुधवार को देखने को मिला, जब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मास्को में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की। यह मुलाकात ऐसे समय पर हुई है जब दुनिया बहुध्रुवीय व्यवस्था की ओर बढ़ रही है और वैश्विक स्तर पर अमेरिका-चीन टकराव, ट्रंप टैरिफ नीति और ऊर्जा सुरक्षा जैसे मुद्दों ने नई चुनौती खड़ी कर दी है।
सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में तीन प्रमुख एजेंडे छाए रहे—
- रक्षा व सुरक्षा सहयोग: भारत-रूस के बीच हथियार तकनीक, सैन्य अभ्यास और आतंकवाद विरोधी साझेदारी को नई ऊंचाई देने पर जोर दिया गया। पुतिन ने इस बात पर रेखांकित किया कि रूस और भारत मिलकर वैश्विक शांति के लिए महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।
- ऊर्जा और आर्थिक साझेदारी: रूसी तेल व गैस निर्यात को भारत तक और सुगम बनाने पर चर्चा हुई। जयशंकर ने भारत की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को सामने रखा और पुतिन ने भरोसा दिया कि रूस भारत का “सबसे भरोसेमंद ऊर्जा सहयोगी” बना रहेगा।
- अमेरिकी ट्रंप टैरिफ और वैश्विक व्यापार: पुतिन और जयशंकर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति पर खुलकर विचार-विमर्श किया। दोनों नेताओं ने माना कि संरक्षणवाद (protectionism) वैश्विक व्यापार व्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहा है। भारत और रूस ने साझा रणनीति बनाने पर सहमति जताई, ताकि विकासशील देशों के हितों की रक्षा की जा सके।
पुतिन ने इस दौरान यह भी कहा कि भारत और रूस केवल “दोस्ताना रिश्ते” से आगे बढ़कर “रणनीतिक साझेदार” हैं। जयशंकर ने रूस को भारत का “समय-परीक्षित सहयोगी” बताते हुए कहा कि चाहे अंतरराष्ट्रीय संकट हो या आर्थिक मोड़, भारत-रूस संबंध हमेशा मजबूती के स्तंभ साबित हुए हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह मुलाकात न सिर्फ़ आने वाले महीनों में होने वाले भारत-रूस शिखर सम्मेलन की दिशा तय करेगी, बल्कि भारत की विदेश नीति को और अधिक संतुलित बनाएगी। खासकर अमेरिका और यूरोप की दबाव भरी नीतियों के बीच, रूस का यह समर्थन भारत के लिए एक बड़ा कूटनीतिक सहारा है।