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I Witnessed: शाहिद सिद्दीकी का सफ़रनामा बना भारतीय राजनीति का आईना, दिग्गजों ने की तारीफ़ों की बारिश

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नई दुनिया उर्दू के एडिटर, मशहूर पत्रकार और पूर्व सांसद शाहिद सिद्दीकी की बहुचर्चित और बहुप्रतीक्षित किताब “I Witnessed” का आज नई दिल्ली में रूपा पब्लिकेशन द्वारा भव्य विमोचन किया गया। यह किताब शाहिद सिद्दीकी की पत्रकारिता और राजनीतिक जीवन की गहराई से झाँकने वाली आंखों का आईना है, जिसमें भारतीय राजनीति के कई अनकहे और अनसुने किस्से दर्ज हैं।

विमोचन समारोह में देश के कई दिग्गज राजनेता, बुद्धिजीवी और पत्रकार मौजूद रहे। इस अवसर पर डॉ. फारूक अब्दुल्ला, डॉ. शशि थरूर, सलमान खुर्शीद, रविशंकर प्रसाद, सांसद संजय सिंह, जयंत चौधरी, डॉ. हिलाल अहमद, वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी समेत कई नामचीन हस्तियों ने शिरकत की और लेखक शाहिद सिद्दीकी की किताब की दिल खोल कर सराहना की।

कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि “I Witnessed” भारतीय राजनीति के उन पहलुओं को उजागर करती है जिन्हें आमतौर पर लोग सतह से ही देखते हैं, या वहां तक पहुंच नहीं पाते हैं लेकिन शाहिद सिद्दीकी ने अपने प्रत्यक्ष अनुभवों से परत-दर-परत खोलकर सामने रखा है। यह किताब भारतीय लोकतंत्र और राजनीति की गहराइयों में उतरने की एक दुर्लभ यात्रा है। किताब में अनगिनत रहस्यमई बातों का जिक्र किया गया है। 

शाहिद सिद्दीकी ने इस अवसर पर भावुक शब्दों में कहा:

“आज का यह क्षण मेरे जीवन की अमूल्य धरोहर है। मैं आप सबके प्रति अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त करता हूँ कि आपने न सिर्फ अपनी उपस्थिति से इस आयोजन को गरिमा दी, बल्कि मेरी यात्रा और मेरे प्यारे भारत के सफर को भी हौसला दिया।

डॉ. फारूक अब्दुल्ला, डॉ. शशि थरूर, श्री सलमान खुर्शीद, श्री रविशंकर प्रसाद, सांसद श्री संजय सिंह, श्री जयंत चौधरी, डॉ. हिलाल अहमद, सुश्री नीरजा चौधरी और मेरे सभी आदरणीय मित्रों—आप सबने मेरे और मेरी पुस्तक के बारे में जिस आत्मीयता और स्नेह से बात की, वह मेरे दिल को छू गई।

अब मेरी आपसे विनती है कि इस किताब को पढ़ें और भारतीय राजनीति तथा नेताओं के वे छिपे हुए पहलू जानें, जिन्हें मैंने अपनी आंखों से देखा, जिया और इस संस्मरण ‘I Witnessed’ में जीवंत कर दिया है। यह मेरी व्यक्तिगत यात्रा ही नहीं, बल्कि भारत की लोकतांत्रिक यात्रा का भी एक प्रतिबिंब है।”

शाहिद सिद्दीकी की किताब “I Witnessed” एक खजाने से कम नहीं है। यह किताब केवल संस्मरण नहीं, बल्कि भारतीय राजनीति का जीवंत आईना है। इसमें ऐसे प्रसंग दर्ज हैं जो सत्ता के गलियारों के रहस्यों, नेताओं के व्यक्तित्व की परतों और लोकतंत्र के उतार-चढ़ाव को बेबाकी से सामने लाते हैं।

पत्रकारिता के लगभग 50 साल लंबे अनुभव और राजनीति में 40 साल गहराई से जुड़ाव के चलते शाहिद सिद्दीकी ने उन पहलुओं को पकड़ा है जो सामान्य पाठकों की नज़र से अक्सर ओझल रह जाते हैं। यह किताब आने वाली पीढ़ियों के लिए न सिर्फ इतिहास का दस्तावेज़ है, बल्कि राजनीति को समझने और लोकतंत्र की धड़कनों को महसूस करने का मार्गदर्शक भी है।

शाहिद सिद्दीकी की इस किताब के बेहतरीन होने की सबसे बड़ी वजह यह है कि लेखक ने भारतीय राजनीति को सिर्फ दूर से नहीं देखा, बल्कि उसके केंद्र में रहकर उसे महसूस किया है। शाहिद सिद्दीकी लगभग सभी प्रधानमंत्रियों के साथ समय बिता चुके हैं, उनके साथ बैठकों, चर्चाओं और ऐतिहासिक घटनाओं के साक्षी रहे हैं। यही कारण है कि यह किताब केवल एक संस्मरण नहीं है, बल्कि एक जीवंत दस्तावेज़ है, जिसमें भारतीय लोकतंत्र की धड़कनें दर्ज हैं। इसमें वह सब शामिल है जो उन्होंने अपनी आंखों से देखा, अपने कानों से सुना और अपने अनुभवों से परखा। इस किताब में न सिर्फ बड़े नेताओं के व्यक्तित्व और उनके निर्णायक क्षणों की झलक मिलती है, बल्कि सत्ता और राजनीति के उन पहलुओं का भी खुलासा है जो आम पाठकों से हमेशा छिपे रहते हैं। इस दृष्टि से “I Witnessed” भारतीय राजनीति का एक अनमोल आईना है, जो पाठकों को न सिर्फ अतीत से जोड़ता है बल्कि वर्तमान और भविष्य की राजनीति को समझने का भी मार्ग दिखाता है।

 

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