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मैं आरक्षण मांगू तो मुझे शर्म आनी चाहिए: सुप्रिया सुले

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मुंबई 22 सितंबर 2025

सुप्रिया सुले का तीखा बयान

एनसीपी (शरद पवार गुट) की सांसद और शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने आर्थिक आरक्षण को लेकर बड़ा और विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा कि अगर वे खुद आरक्षण की मांग करें, तो उन्हें शर्म आनी चाहिए। उनका कहना है कि आरक्षण का मकसद उन वर्गों की मदद करना है जिन्हें सच में ज़रूरत है, लेकिन जब लोग दूसरी और तीसरी पीढ़ी तक इसका फायदा उठाते हैं जबकि उनकी आर्थिक स्थिति मज़बूत हो चुकी होती है, तो यह न्यायसंगत नहीं है।

आर्थिक आधार पर आरक्षण की वकालत

सुले ने साफ कहा कि आरक्षण अब जाति या पारंपरिक आधार पर नहीं, बल्कि आर्थिक हालात के हिसाब से होना चाहिए। उनके मुताबिक आज की तारीख में कई परिवार ऐसे हैं जो पढ़ाई-लिखाई, नौकरियों और आर्थिक स्थिति में आगे निकल चुके हैं, फिर भी आरक्षण का लाभ उठा रहे हैं। इससे उन लोगों का हक़ मारा जा रहा है जिन्हें वास्तव में मदद चाहिए।

शरद पवार गुट की सोच

सुप्रिया सुले का यह बयान ऐसे समय आया है जब महाराष्ट्र और पूरे देश में आरक्षण का मुद्दा गरमाया हुआ है। शरद पवार खुद कई बार कह चुके हैं कि समाज को बांटने वाली जाति-आधारित समितियों और राजनीति से बचना चाहिए। पार्टी के भीतर भी यह चर्चा तेज़ है कि आरक्षण की मौजूदा प्रणाली में बदलाव ज़रूरी है।

राजनीतिक हलचल

सुले के बयान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। समर्थक इसे एक ईमानदार और साहसिक बयान बता रहे हैं, जबकि विरोधियों का कहना है कि यह संवेदनशील मुद्दा है और इसे इतनी आसानी से आर्थिक आधार पर सीमित करना सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ होगा। आलोचकों का कहना है कि केवल आर्थिक मापदंड देखकर जातिगत भेदभाव और पीढ़ियों से चले आ रहे अन्याय को पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सकता।

बहस को नई दिशा

सुप्रिया सुले का यह बयान आरक्षण की बहस को नई दिशा देता है। यह सवाल अब और तेज़ी से उठ रहा है कि क्या भारत में आरक्षण नीति को पूरी तरह आर्थिक आधार पर केंद्रित कर देना चाहिए, या फिर जाति-आधारित सामाजिक पिछड़ेपन को नज़रअंदाज़ करना खतरनाक साबित होगा।

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