नई दिल्ली 28 जुलाई 2025 – देश की अर्थव्यवस्था की मज़बूती और राजस्व संग्रह की दिशा में महत्वपूर्ण बयान देते हुए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) के अध्यक्ष रवि अग्रवाल ने कहा है कि भले ही प्रत्यक्ष कर संग्रह की गति में इस वित्तीय वर्ष की शुरुआत में थोड़ी सुस्ती देखने को मिली हो, लेकिन विभाग को पूरा विश्वास है कि वित्त वर्ष 2025-26 का निर्धारित लक्ष्य समय पर प्राप्त कर लिया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि बजट में करदाताओं को दी गई राहतों और रियायतों के बावजूद विभाग ने अब तक कर अनुपालन बढ़ाने में सराहनीय प्रगति की है।
रवि अग्रवाल ने बताया कि आयकर विभाग ने करदाताओं को प्रोत्साहित करने और अनुपालन बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण पहल की हैं। इनमें ‘नज कैंपेन’ (Nudge Campaigns) प्रमुख है, जिसके माध्यम से करदाताओं को समय पर और सही रिटर्न दाखिल करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इस अभियान का असर यह हुआ है कि अब तक 1.1 करोड़ से अधिक अपडेटेड इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल किए जा चुके हैं और इससे ₹11,000 करोड़ से अधिक की अतिरिक्त टैक्स वसूली हुई है।
उन्होंने कहा कि यह अभियान करदाताओं को जागरूक करने, पुराने रिटर्न में सुधार की सुविधा देने और स्वैच्छिक अनुपालन को बढ़ावा देने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रहा है। अग्रवाल ने कहा कि विभाग अब टैक्स प्रणाली को ज़्यादा सहज, पारदर्शी और तकनीक-समर्थ बना रहा है, जिससे करदाताओं के अनुभव में गुणात्मक सुधार हुआ है।
जब उनसे पूछा गया कि क्या बजट में दी गई टैक्स छूटों के कारण टैक्स संग्रह में गिरावट आई है, तो उन्होंने इसे आंशिक प्रभाव बताया, लेकिन यह भी जोड़ा कि दीर्घकालिक रूप से ये कदम कर आधार को चौड़ा करेंगे और ज़्यादा लोगों को टैक्स सिस्टम से जोड़ेंगे। उन्होंने इस बात को दोहराया कि टैक्स संग्रह में अस्थाई गिरावट चिंता का विषय नहीं है क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था अब गति पकड़ चुकी है, और जैसे-जैसे जीडीपी में वृद्धि होगी, टैक्स संग्रह भी उसी अनुपात में बढ़ेगा।
CBDT अध्यक्ष ने यह भी संकेत दिया कि आयकर विभाग अब करदाताओं के साथ सहयोगात्मक रिश्ता बनाने की ओर अग्रसर है, जिसमें सख्ती की बजाय संवाद और सुविधा को प्राथमिकता दी जा रही है। विभाग की डिजिटल संरचना को और मज़बूत किया जा रहा है ताकि टैक्स फाइलिंग और रिफंड जैसी सेवाएं सहज व समयबद्ध तरीके से हो सकें।
अंत में, रवि अग्रवाल ने भरोसा जताया कि आने वाले महीनों में टैक्स फाइलिंग की संख्या में और बढ़ोतरी होगी और वित्तीय वर्ष 2025-26 के अंत तक सरकार अपने टैक्स संग्रह लक्ष्यों को न केवल पूरा करेगी बल्कि संभावित रूप से उससे आगे भी बढ़ेगी।