Home » National » तीन दशक बाद प्रधानमंत्री का ऐतिहासिक अफ्रीका दौरा: घाना से वैश्विक दक्षिण में भारत का नया नेतृत्व उभरता हुआ

तीन दशक बाद प्रधानमंत्री का ऐतिहासिक अफ्रीका दौरा: घाना से वैश्विक दक्षिण में भारत का नया नेतृत्व उभरता हुआ

Facebook
WhatsApp
X
Telegram

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2–3 जुलाई 2025 की घाना यात्रा कई मायनों में ऐतिहासिक रही। यह दौरा भारत के प्रधानमंत्री की पहली आधिकारिक द्विपक्षीय यात्रा थी जो पिछले तीन दशकों में कभी नहीं हुई थी। 1995 के बाद यह पहला अवसर है जब भारत के शीर्ष नेतृत्व ने घाना जैसे रणनीतिक अफ्रीकी देश को प्राथमिकता दी। अफ्रीका में भारत की नीति हमेशा ‘South–South Cooperation’ की भावना पर आधारित रही है, लेकिन अब यह दौरा संकेत देता है कि भारत सिर्फ विकास साझेदार नहीं, बल्कि एक निर्णायक रणनीतिक नेतृत्वकर्ता की भूमिका में है जो अफ्रीकी देशों के साथ आर्थिक, तकनीकी और सांस्कृतिक मोर्चे पर नया अध्याय लिखने को तैयार है।

रक्षा, डिजिटल साझेदारी और वैक्सीन कूटनीति: भारत और घाना के रिश्तों की नई परिभाषा 

प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा में एक बहुस्तरीय एजेंडा था। रक्षा सहयोग से लेकर डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर, स्वास्थ्य सुरक्षा से लेकर सांस्कृतिक पुनर्संवाद हर पहलू को द्विपक्षीय वार्ता में शामिल किया गया। भारत ने घाना में रेलवे, सड़कों और पेयजल आपूर्ति जैसे बुनियादी ढांचे में सहायता का प्रस्ताव दिया। इसके साथ ही डिजिटल इंडिया की सफलता को मॉडल बनाकर घाना में UPI जैसे डिजिटल भुगतान सिस्टम की संभावनाओं पर भी सहमति बनी। यह भारत की Techno-Diplomacy का नया रूप है, जहां तकनीक के ज़रिए विश्वास और विकास दोनों को आगे बढ़ाया जा रहा है।

अत्यंत महत्वपूर्ण है वैक्सीन डिप्लोमेसी’ — जहां भारत ने घाना में वैक्सीन निर्माण केंद्र स्थापित करने का प्रस्ताव दिया, जिससे पश्चिम अफ्रीका को आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी। COVID-19 के समय भारत ने ‘Vaccine Maitri’ कार्यक्रम के तहत अफ्रीकी देशों को टीके भेजे थे, लेकिन अब वह एक कदम आगे बढ़कर स्थानीय उत्पादन में भागीदार बनना चाहता है यह वैश्विक स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारत की नेतृत्वकारी भूमिका का प्रतीक है। 

लोग-से-लोग संपर्क और भारतीय डायस्पोरा: रिश्तों की भावनात्मक गहराई 

इस यात्रा का एक और विशेष पक्ष था प्रधानमंत्री मोदी का भारतीय समुदाय से सीधा संवाद। घाना में एक छोटा लेकिन प्रभावशाली भारतीय मूल का समुदाय रहता है जो दशकों से व्यापार, उद्योग और सामाजिक सेवा में सक्रिय है। पीएम मोदी ने इस प्रवासी भारतीय समुदाय को भारत के सांस्कृतिक राजदूतबताते हुए उनके योगदान की सराहना की और भरोसा दिलाया कि भारत हमेशा उनके साथ खड़ा रहेगा। यह प्रवासी संबंध सिर्फ भावनात्मक नहीं, बल्कि रणनीतिक भी है क्योंकि यही लोग भारत-अफ्रीका सहयोग की मजबूत नींव बनाते हैं। साथ ही, सांस्कृतिक संबंधों के अंतर्गत योग, आयुर्वेद, शिक्षा और भारतीय भाषाओं के प्रसार पर भी चर्चा हुई। 

भारत-अफ्रीका आर्थिक संबंधों का नया युग: निवेश, व्यापार और नवाचार 

प्रधानमंत्री मोदी की घाना यात्रा भारत-अफ्रीका व्यापार संबंधों में नई जान फूंक सकती है। भारत पहले ही अफ्रीका का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है, और घाना जैसे लोकतांत्रिक, संसाधन-समृद्ध देश भारत के लिए लॉजिस्टिक्स, टेक्सटाइल, आईटी, खनिज, और ऊर्जा क्षेत्र में अपार संभावनाएं रखते हैं। इस दौरे के दौरान कई द्विपक्षीय समझौतों (MoUs) पर हस्ताक्षर हुए जिनमें स्टार्टअप इकोसिस्टम, डिजिटल बैंकिंग, स्किल डवलपमेंट और महिला उद्यमिता को लेकर विशेष रूप से बल दिया गया। यह भारत की आर्थिक कूटनीति का नया चेहरा है जो सिर्फ व्यापार नहीं, बल्कि टिकाऊ और समावेशी विकास पर आधारित है।

घाना यात्रा से अफ्रीका में भारत की भूमिका अब पर्यटक नहीं, बल्कि भागीदार की 

इस यात्रा के साथ भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अफ्रीका को “Option” नहीं, बल्कि “Priority” मानता है। प्रधानमंत्री मोदी की घाना यात्रा न सिर्फ कूटनीतिक या आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण थी, बल्कि यह एक विचारात्मक मोड़ भी प्रस्तुत करती है जिसमें भारत Global South का सशक्त, सहानुभूतिपूर्ण और तकनीकी नेतृत्वकर्ता बनने को तैयार है। इस यात्रा ने दिखा दिया कि भारत अपने पुराने मित्रों को नई ऊर्जा देने में विश्वास रखता है और अफ्रीका में उसकी यह नई शुरुआत पूरे वैश्विक मंच पर उसकी भूमिका को और मज़बूत बनाएगी। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *