हिमालय क्षेत्र में ग्लेशियरों का पिघलना अब असामान्य गति से हो रहा है। ISRO और भूवैज्ञानिक संस्थानों द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, गंगोत्री, सियाचिन और ज़ांस्कर जैसे ग्लेशियरों की बर्फ 1.5 मीटर प्रतिवर्ष की दर से कम हो रही है। यह दर पिछले दशक की तुलना में 30% अधिक है।
इसका सीधा असर भारत की प्रमुख नदियों पर पड़ रहा है। गर्मियों में बर्फ ज्यादा पिघलने से बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो रही है, जबकि सर्दियों में पानी की कमी से सूखा बढ़ रहा है। गंगा और यमुना जैसे नदियों के स्रोत सिकुड़ रहे हैं और जल प्रवाह अनियमित होता जा रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि स्थिति यूँ ही बनी रही तो आने वाले वर्षों में कृषि, पेयजल और बिजली उत्पादन में व्यापक संकट खड़ा हो सकता है। सरकार को चाहिए कि वह हिमालयी क्षेत्र में पर्यावरणीय निगरानी केंद्रों को मजबूत करे और गैर-जिम्मेदार पर्यटन तथा निर्माण कार्यों पर रोक लगाए।