नई दिल्ली
5 अगस्त 2025
राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग पर फिर सुप्रीम कोर्ट की दहलीज़ पर जम्मू-कश्मीर
जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा दिलाने की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 8 अगस्त को सुनवाई करेगा। यह याचिका उस समय दाखिल की गई है जब केंद्र सरकार द्वारा विशेष दर्जा हटाए जाने को छह साल हो चुके हैं और 2023 के फैसले के बावजूद अब तक राज्य का दर्जा बहाल नहीं किया गया है। वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के समक्ष यह मामला उठाया और आग्रह किया कि इसे सूची से हटाया न जाए। कोर्ट ने अनुरोध को स्वीकार कर लिया है।
याचिकाकर्ताओं का आरोप – केंद्र ने 11 महीने में कुछ नहीं किया
कॉलेज शिक्षक ज़हूर अहमद भट और सामाजिक कार्यकर्ता खुर्शीद अहमद मलिक की ओर से दायर इस याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2023 में स्पष्ट रूप से कहा था कि “राज्य का दर्जा यथाशीघ्र बहाल किया जाएगा” लेकिन 11 महीने बीत जाने के बाद भी केंद्र ने कोई कदम नहीं उठाया। यह याचिका संविधान के अनुच्छेद 370 को लेकर पहले से समाप्त हो चुके मामले में ‘मिसलेनियस एप्लीकेशन’ के रूप में दाखिल की गई है।
2019 में विशेष दर्जा हटा, अब तक राज्य का दर्जा नहीं मिला
5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करते हुए उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था। उस फैसले के खिलाफ कई याचिकाएं दाखिल हुई थीं, जिन पर दिसंबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने विशेष दर्जे की समाप्ति को सही ठहराया था। हालांकि, पुनर्गठन अधिनियम की संवैधानिकता पर कोर्ट ने कोई टिप्पणी नहीं की थी और केंद्र द्वारा ‘जल्द राज्य का दर्जा बहाल करने’ के आश्वासन को नोट किया था।
राजनीतिक हलचल और संभावनाएं
8 अगस्त को सुनवाई से पहले ही केंद्र सरकार की उच्च स्तरीय बैठकों ने राज्य का दर्जा बहाल करने की संभावनाओं को हवा दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और गृह मंत्री अमित शाह की लगातार बैठकों ने इस मुद्दे को फिर चर्चा में ला दिया है। रविवार और सोमवार को हुई इन बैठकों में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और खुफिया ब्यूरो प्रमुख टपन डेका भी शामिल रहे। हालांकि सरकार की ओर से अब तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।
कांग्रेस ने मनाया 5 अगस्त को ‘ब्लैक डे’
इस बीच कांग्रेस ने 5 अगस्त को ‘ब्लैक डे’ के रूप में मनाते हुए जम्मू-कश्मीर के राज्य के दर्जे को छीनने के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया। पार्टी ने कहा कि वह राज्य की पहचान और आत्मसम्मान की बहाली के लिए संघर्ष करती रहेगी।
फैसला नजदीक या फिर एक और प्रतीक्षा?
8 अगस्त को होने वाली सुनवाई को जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक भविष्य और केंद्र-राज्य संबंधों के संदर्भ में बेहद अहम माना जा रहा है। अब सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट की अगली टिप्पणी और केंद्र सरकार की मंशा पर टिकी हैं — क्या वादा निभाया जाएगा या एक बार फिर राज्यवासियों को सिर्फ आश्वासन ही मिलेगा?