चेन्नई 4 अक्टूबर 2025
तमिलनाडु के करूर जिले में हाल ही में हुई दर्दनाक भगदड़ ने पूरे राज्य को हिला दिया था। इस भीषण हादसे में लगभग 41 लोगों की जान चली गई, जबकि 60 से अधिक लोग घायल हो गए। घटना के बाद से ही लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा था कि इतनी बड़ी जनसभा में भीड़ नियंत्रण के लिए उचित प्रबंधन क्यों नहीं किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन अभिनेता से नेता बने विजय की पार्टी TVK द्वारा किया गया था और अब मद्रास उच्च न्यायालय ने इस मामले में विशेष जांच दल (SIT) गठित करने का आदेश दिया है। अदालत ने साफ कहा कि जनता के जीवन के साथ खिलवाड़ करने वालों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।
मद्रास हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति एन. सेनथिलकुमार की बेंच ने आदेश दिया कि इस जांच की कमान वरिष्ठ IPS अधिकारी असरा गर्ग को सौंपी जाएगी। SIT इस पूरे हादसे की परिस्थितियों, भीड़ नियंत्रण की खामियों और जिम्मेदार लोगों की भूमिका की गहराई से पड़ताल करेगी। अदालत ने अपने आदेश में बेहद सख्त टिप्पणी की और कहा कि TVK पार्टी और उसके कार्यकर्ताओं को जनता के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए थी, लेकिन उन्होंने बड़े आयोजन में सुरक्षा और व्यवस्था बनाए रखने में पूरी तरह से लापरवाही की। यह केवल प्रशासन की विफलता नहीं बल्कि आयोजकों की गैर-जिम्मेदाराना सोच का भी परिणाम है।
कोर्ट ने यह भी सवाल उठाया कि जब रैली में भीड़ बेकाबू हो रही थी, तब पार्टी कार्यकर्ता और पदाधिकारी कहां थे और किस तरह उन्होंने स्थिति को संभालने की कोशिश की। अदालत ने कहा कि हादसे में जान गंवाने वाले और घायल हुए लोग केवल आंकड़े नहीं हैं बल्कि हर एक इंसान के पीछे एक परिवार और पूरा जीवन जुड़ा है। इस वजह से इस घटना की जांच निष्पक्ष और ठोस होनी चाहिए। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि किसी भी राजनीतिक दबाव या प्रभाव को दरकिनार करते हुए SIT को सच्चाई सामने लानी होगी।
इस बीच, मदुरै बेंच ने उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें इस घटना की जांच CBI से कराए जाने की मांग की गई थी। अदालत का मानना है कि राज्य सरकार और अब SIT की निगरानी में यह जांच पारदर्शी तरीके से पूरी की जा सकती है। अदालत ने पीड़ित परिवारों के लिए उचित मुआवजा और घायलों के इलाज को भी सर्वोच्च प्राथमिकता देने की बात कही।
यह मामला केवल एक दुर्घटना नहीं बल्कि राजनीतिक आयोजनों में सुरक्षा की गंभीरता पर बड़ा सवाल है। भीड़भाड़ वाले कार्यक्रमों में नेताओं और कार्यकर्ताओं की प्राथमिक जिम्मेदारी यह सुनिश्चित करना होती है कि लोगों की जान जोखिम में न पड़े। मद्रास हाईकोर्ट का यह आदेश निश्चित रूप से तमिलनाडु ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए एक नजीर बन सकता है। अब देखना यह होगा कि SIT कितनी जल्दी अपनी रिपोर्ट पेश करती है और इस भयावह हादसे में दोषियों को किस तरह जवाबदेह ठहराया जाता है।