जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर स्थित हजरतबल दरगाह पर लगी राष्ट्रीय प्रतीक (नेशनल एम्ब्लम) वाली उद्घाटन पट्टिका को कुछ अज्ञात पूजा करने वालों ने शुक्रवार की नमाज के बाद तोड़ दिया, जिससे विवाद खड़ा हो गया है। इस दरगाह का पुनर्निर्माण और विकास जम्मू-कश्मीर के वक्फ बोर्ड के तहत चल रहा है।
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस घटना की निंदा की, लेकिन साथ ही कहा कि धार्मिक स्थलों पर राष्ट्रीय प्रतीक को लगाना उचित नहीं था। उन्होंने कहा कि वह पहले भी इस बात को लेकर सवाल उठाते रहे हैं कि धार्मिक जगहों पर राष्ट्रीय प्रतीक क्यों लगाए जाते हैं। उनका कहना था, “मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारे धार्मिक स्थल हैं, सरकारी संस्थान नहीं।” उमर अब्दुल्ला ने कहा कि वक्फ बोर्ड के नेतृत्व वाली सरकार को ऐसे विवादों को छोड़कर असली काम पर ध्यान देना चाहिए।
जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष और भाजपा नेता दरखशां अंद्राबी ने इस घटना के लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि जो लोग इस राष्ट्रीय प्रतीक को तोड़ने वाले हैं, उनके खिलाफ सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (PSA) के तहत मामला दर्ज किया जाना चाहिए। दरखशां अंद्राबी ने पुलिस और वक्फ अधिकारियों से अपील की है कि अगर कोई विधायक दरगाह आता है तो उसकी तलाशी ली जाए ताकि उसकी जेब में ऐसी कोई वस्तु न हो जिसमें राष्ट्रीय प्रतीक हो।
इस विवाद ने राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर सनसनी मचा दी है, जहाँ भाजपा सख्त कार्रवाई की मांग कर रही है, और विपक्षी दल राष्ट्रीय प्रतीक को धार्मिक स्थान पर लगाने पर सवाल उठा रहे हैं। पूरा प्रकरण धार्मिक भावनाओं और राष्ट्रीय प्रतीकों के बीच संतुलन बनाने की जटिलता को उजागर करता है।