रोजगार, उद्योग, शिक्षा और ‘वोट चोरी’ पर सत्ता को खुला चैलेंज”
पूर्णिया और किशनगंज की चुनावी आग में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने ऐसा राजनीतिक विस्फोट किया जिसने पूरे बिहार ही नहीं, राष्ट्रीय राजनीति में कंपकंपी ला दी। किशनगंज की जमकर खचाखच भरी रैली में राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सबसे तीखा हमला बोलते हुए कहा— “नरेंद्र मोदी के खून में नफरत है… वे हिंदुस्तान को बांटते हैं, समाज में ज़हर घोलते हैं, लोगों को एक-दूसरे से लड़ाकर राजनीति करते हैं।” राहुल ने अपने और मोदी के राजनीतिक मूल चरित्र की तुलना करते हुए कहा कि वे मोहब्बत, भाईचारे और एकता की राजनीति लाते हैं, जबकि मोदी विभाजन, डर और नफरत की राजनीति चलाते हैं। रैली के मंच से उनका यह बयान क्षण भर में बिहार की सीमाओं से निकलकर राष्ट्रीय सुर्खियों में छा गया।
राहुल गांधी ने बिहार में बेरोजगारी को लेकर मोदी सरकार और नीतीश कुमार की नीतियों पर करारा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि बिहार के युवा जानना चाहते हैं कि उनके लिए नौकरियां क्यों नहीं हैं, अच्छे सरकारी कॉलेज और यूनिवर्सिटी क्यों नहीं हैं, और क्यों उन्हें अपनी धरती छोड़कर दूसरे राज्यों में मजदूरी करनी पड़ती है। राहुल ने आर्थिक हमले को और धार देते हुए कहा कि बिहार में बिकने वाला 90% सामान बिहार में नहीं बनता—वह चीन, वियतनाम, बांग्लादेश और कोरिया से आता है। “हमारे खेतों में pineapple, मखाना, मक्का, आम उगता है… लेकिन 20 साल में नीतीश जी एक भी फूड प्रोसेसिंग यूनिट नहीं लगा सके!” उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी और नीतीश ने रोजगार खत्म कर दिया है और बिहार को एक बाजार बना दिया है, उत्पादन केंद्र नहीं।
राहुल गांधी यहीं नहीं रुके—उन्होंने अमित शाह पर भी खुलकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि अमित शाह दावा करते हैं कि बिहार में उद्योग लगाने के लिए जमीन नहीं है, लेकिन वहीं अडानी को एक रुपए प्रति एकड़ में जमीन दी जाती है। राहुल का कहना था—“जमीन की कमी नहीं है… कमी नीयत की है।” यह आरोप सुनकर भीड़ की तालियों और नारों ने माहौल को उफान पर पहुंचा दिया।
इसके बाद राहुल गांधी ने बिहार की ऐतिहासिक शैक्षणिक विरासत का जिक्र करते हुए कहा कि नालंदा जैसे विश्व-स्तरीय संस्थान वाली भूमि आज सबसे खराब शिक्षा ढांचे से जूझ रही है। उन्होंने कहा कि महागठबंधन की बिहार सरकार बनने पर शिक्षा को प्राथमिकता दी जाएगी, स्कूल- कॉलेज खोले जाएंगे और प्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति होगी। उन्होंने एक राष्ट्रीय वादा भी किया—“INDIA गठबंधन की केंद्र सरकार आते ही बिहार में दुनिया की सबसे बेहतरीन यूनिवर्सिटी बनाई जाएगी।” यह घोषणा भीड़ में युवाओं के उत्साह को चरम पर ले गई।
लेकिन राहुल गांधी की सबसे विस्फोटक लाइनें थीं—‘वोट चोरी’ को लेकर मोदी, अमित शाह और चुनाव आयोग पर किए गए आरोप। उन्होंने कहा कि उन्होंने सीधे प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और CEC ज्ञानेश कुमार पर वोट चोरी के आरोप लगाए, लेकिन किसी में हिम्मत नहीं कि सामने आकर जवाब दे। उन्होंने दावा किया कि हरियाणा चुनाव में 25 लाख फर्जी वोट पड़े, एक ही घर में 500 वोटर सूचीबद्ध थे, यूपी के मतदाता हरियाणा में वोट डालने गए, और एक महिला का नाम 200 बार वोटर लिस्ट में पाया गया।
राहुल का कहना था—“यह बीजेपी का चुनाव जीतने का तरीका है—डर, नफरत और वोट चोरी।”
उन्होंने भीड़ को चेताया कि चुनाव के समय बीजेपी बूथों पर चोरी की कोशिश करेगी और जनता को इसे रोकना होगा। “नरेंद्र मोदी और अमित शाह जनता की आवाज़ से डरते हैं… उन्होंने हिंदुस्तान की आत्मा से चोरी की है,” राहुल ने कहा। उन्होंने जनता और मीडिया दोनों को चेताया कि वोट चोरी के सबूत सामने आए हैं, लेकिन टीवी चैनल उन्हें दिखाने से डरते हैं। राहुल ने कहा—“यह सवाल केवल विपक्ष का नहीं, हर युवा, किसान, मजदूर और Gen Z की जिम्मेदारी है कि वोट चोरी बंद हो।”
पूर्णिया की रैली में राहुल गांधी ने नीतीश कुमार पर भी साझा हमला बोला। उन्होंने कहा कि बिहार में नीतीश की सरकार असल में बीजेपी का रिमोट कंट्रोल राज है। राहुल बोले—“बिहार के लोगों ने फैसला कर लिया है… नीतीश कुमार की सरकार अब कभी वापस नहीं आएगी।” इससे यह साफ हो गया कि राहुल गांधी इस चुनाव में सीधे-सीधे नीतीश-मोदी गठजोड़ को ‘डबल धमकी’ के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं।
इसी रैली में राहुल गांधी ने हरियाणा चुनाव पर एक पत्रकार से हुई बातचीत का जिक्र करते हुए कहा कि जब पत्रकारों ने बिहार चुनाव पर सवाल पूछा, तो उन्होंने उनसे पूछा कि हरियाणा में चुनाव चोरी के प्रमाणों पर चर्चा क्यों नहीं करते? वहीं से राहुल ने हरियाणा चुनाव के कथित फर्जीवाड़े का विस्तृत आरोप रखा—500 वोटर एक घर में, लाखों फर्जी नाम, एक महिला का नाम 200 बार—और कहा कि यह एक व्यवस्थित “सिस्टमेटिक वोट मैनेजमेंट” की कहानी है।
इसके बाद उन्होंने बिहार के मखाना किसानों का मुद्दा उठाते हुए कहा कि मखाना अंतरराष्ट्रीय बाजार में ‘सुपरफूड’ बन चुका है और हजारों रुपये किलो बिकता है, लेकिन किसानों को मेहनत का लाभ नहीं मिलता। उन्होंने कहा कि कंपनियां फायदा उठा रही हैं जबकि किसान संघर्ष कर रहे हैं—और INDIA गठबंधन सरकार का लक्ष्य इस अन्याय को ठीक करना है।
कुल मिलाकर, पूर्णिया-किशनगंज की यह रैली राहुल गांधी की सबसे आक्रामक रैलियों में से एक बन गई है—जहां उन्होंने नफरत की राजनीति से लेकर बेरोजगारी, उद्योग, कृषि, शिक्षा और चुनावी पारदर्शिता तक हर मोर्चे पर मोदी-शाह-नीतीश तिकड़ी को खुली चुनौती दी। बिहार चुनाव अब सिर्फ एक राज्य की लड़ाई नहीं, बल्कि “नफरत बनाम मोहब्बत”, “विकास बनाम पलायन” और “वोट चोरी बनाम लोकतंत्र” की राष्ट्रीय जंग बनती दिख रही है।




