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H-1B वीजा बदलाव: अमेरिका की गलती, कनाडा का सुनहरा मौका?

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ओटावा 29 सितंबर 2025

अमेरिका में काम करने का सपना देखने वाले लाखों विदेशी पेशेवरों के लिए H-1B वीज़ा हमेशा आकर्षण का बड़ा कारण रहा है। लेकिन अब राष्ट्रपति ट्रम्प के प्रशासन ने इस प्रणाली को और महंगा कर दिया है। नई नीति के अनुसार, अब H-1B वीज़ा के लिए कंपनियों को $100,000 तक की सालाना फ़ीस चुकानी होगी। यह बदलाव टेक इंडस्ट्री में हलचल मचा रहा है क्योंकि इससे अमेरिका में कुशल श्रमिकों को लाना कंपनियों के लिए बहुत महंगा साबित हो सकता है। जो कंपनियाँ पहले से आर्थिक मंदी और छंटनी के दबाव में हैं, उनके लिए यह एक और चुनौती है। ऐसे में क्या कनाडा नया डेस्टिनेशन बन सकता है? 

अमेरिका में इस नई सख़्ती का असर सबसे ज्यादा भारतीय और एशियाई पेशेवरों पर पड़ने वाला है। भारत हर साल H-1B वीज़ा का सबसे बड़ा लाभार्थी देश है। लाखों इंजीनियर, आईटी विशेषज्ञ और डॉक्टर अमेरिका जाकर काम करते हैं और वहां से अरबों डॉलर का रेमिटेंस भारत आता है। नई फ़ीस से छोटे और मंझोले आईटी सर्विस प्रोवाइडर को सबसे ज्यादा नुकसान होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे अमेरिका में विदेशी टैलेंट की कमी हो सकती है और अमेरिका की प्रतिस्पर्धी बढ़त पर असर पड़ सकता है।

इसी बीच कनाडा ने इसे अवसर के रूप में देखा है। कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कारनी ने संकेत दिया है कि वह जल्द ही एक नई नीति लाएंगे, जिसमें अमेरिका में निराश हुए H-1B वीज़ा धारकों और आवेदकों को कनाडा में काम का मौका दिया जाएगा। यह कोई पहली बार नहीं है कि कनाडा अमेरिकी नीतियों से असंतुष्ट टैलेंट को आकर्षित करने की कोशिश कर रहा है। पहले भी कनाडा ने विशेष स्टार्टअप वीज़ा और टेक टैलेंट वर्क परमिट प्रोग्राम शुरू किए थे, जिनसे हजारों भारतीय और विदेशी पेशेवर टोरंटो, वैंकूवर और मॉन्ट्रियल जैसे शहरों में बस गए।

कनाडा के प्रमुख बैंक और उद्योग संगठन भी इस मौके को ऐतिहासिक बता रहे हैं। रॉयल बैंक ऑफ़ कनाडा के सीईओ ने कहा कि यह कनाडा के लिए “वैश्विक टैलेंट हब” बनने का सुनहरा मौका है। अगर कनाडा सही रणनीति अपनाता है और वीज़ा प्रोसेसिंग को तेज करता है, तो वह अमेरिका से निराश हुए हजारों इंजीनियरों और शोधकर्ताओं को आकर्षित कर सकता है। इससे कनाडा की अर्थव्यवस्था में नई ऊर्जा आएगी और देश की टेक इंडस्ट्री को बड़ी ताकत मिलेगी।

हालाँकि यह राह आसान नहीं है। कनाडा की इमिग्रेशन प्रणाली में पहले से ही बैकलॉग है और वर्क परमिट प्रोसेसिंग में देरी एक बड़ी समस्या बनी हुई है। विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि अगर सरकार समय रहते तेज़ और सरल प्रक्रियाएँ नहीं अपनाती, तो यह अवसर हाथ से निकल सकता है। इसके अलावा अमेरिका में काम करने का सपना रखने वालों के लिए कनाडा एक विकल्प है, लेकिन उसकी लोकप्रियता उतनी नहीं जितनी सिलिकॉन वैली की है। इसलिए कनाडा को न सिर्फ वीज़ा प्रक्रिया आसान करनी होगी बल्कि ग्लोबल टैलेंट को यह विश्वास भी दिलाना होगा कि उनका करियर यहां सुरक्षित और सफल रहेगा।

दुनिया अब यह देखने को उत्सुक है कि क्या कनाडा इस अवसर को पकड़ पाता है और अमेरिका से निराश पेशेवरों के लिए नई मंज़िल बन पाता है। अगर कनाडा इसमें सफल रहता है, तो आने वाले वर्षों में वैश्विक टैलेंट का केंद्र अमेरिका से कनाडा की ओर खिसक सकता है — और यह तकनीकी दुनिया की दिशा ही बदल सकता है।

 

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