अमेरिका में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है जिसमें गुजरात की एक युवती को चोरी करते हुए गिरफ्तार किया गया। यह मामला तब सुर्खियों में आया जब पुलिस जांच के दौरान पाया कि आरोपी युवती के मोबाइल फोन की वॉलपेपर पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर लगी हुई थी। यह वाकया अमेरिका के एक रिटेल स्टोर में हुआ, जहां उस युवती को शॉपलिफ्टिंग (दुकान से चोरी) के आरोप में पकड़ा गया।
क्या था पूरा मामला — चोरी का सामान और गिरफ्तारी का तरीका
सूत्रों के मुताबिक, युवती ने अमेरिका के एक बड़े शॉपिंग स्टोर से 5 जोड़ी पुरुषों के अंडरवियर, 3 जोड़ी शॉर्ट्स और 4 टी-शर्ट चुराने की कोशिश की थी। सुरक्षा कर्मियों ने उसे संदिग्ध हरकत करते देखा और तुरंत रोक लिया। जब स्टोर सिक्योरिटी ने उसके बैग की तलाशी ली, तो चोरी का सारा सामान बरामद हुआ। पुलिस को सूचना दी गई और मौके पर पहुँचकर अधिकारियों ने उसकी पहचान की औपचारिक प्रक्रिया शुरू की।
मोदी वॉलपेपर दिखाकर छोड़ देने की गुज़ारिश
गिरफ्तारी के दौरान जब पुलिस ने उसका मोबाइल फोन जब्त किया, तो उसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर बतौर वॉलपेपर लगी मिली। बताया जाता है कि युवती ने यह उम्मीद जताई थी कि पुलिस उसके “विश्वगुरु” प्रधानमंत्री का चेहरा देखकर उसे सम्मानपूर्वक छोड़ देगी। लेकिन उसे यह एहसास नहीं था कि अमेरिका में भारतीय नेताओं की राजनीतिक हैसियत नहीं, कानून का शासन चलता है। पुलिस ने बिना किसी भावनात्मक बहाने को स्वीकार किए, उसे औपचारिक रूप से हिरासत में ले लिया।
भाई के लिए चोरी का दावा — ‘Made in U.S.’ की चाहत
पूछताछ के दौरान युवती ने जो बयान दिया, उसने कई लोगों को हैरान कर दिया। उसने बताया कि उसके भाई विजय पटेल को “मेड इन यू.एस.” उत्पादों का बेहद शौक है, लेकिन आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण वह ऐसे सामान खरीद नहीं पाते। युवती ने कहा, “मैंने ये चीजें अपने भाई के लिए चुराई थीं, क्योंकि उसे अमेरिकी ब्रांड के कपड़े पसंद हैं।”
परिवार और राजनीतिक झुकाव की चर्चा
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, आरोपी युवती गुजरात की रहने वाली है और उसका भाई विजय पटेल वहीं रहता है। बताया जा रहा है कि वह भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का समर्थक है और हर चुनाव में पार्टी के पक्ष में मतदान करता है। इस राजनीतिक जुड़ाव को लेकर सोशल मीडिया पर तंज कसे जा रहे हैं कि “देश में मोदी का नाम लेने से काम चल जाता है, लेकिन विदेश में कानून सब पर समान है।”
सोशल मीडिया पर चर्चा — ‘वॉलपेपर से नहीं, चरित्र से होती है पहचान’
यह खबर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गई है। कई लोगों ने तंज कसते हुए लिखा कि “मोदी का वॉलपेपर दिखाकर गिरफ्तारी से बचने की कोशिश करना, अंधभक्ति की पराकाष्ठा है।” वहीं कुछ यूज़र्स ने सवाल उठाया कि “भक्ति और अपराध अलग चीजें हैं, और विदेशों में कानून किसी के प्रतीक या फोटो से प्रभावित नहीं होता।”
कानून के आगे सभी बराबर
अमेरिकी पुलिस ने स्पष्ट किया है कि यह मामला कानून के अनुसार चलेगा और आरोपी के राजनीतिक या धार्मिक झुकाव से कोई फर्क नहीं पड़ता। अमेरिका में ‘शॉपलिफ्टिंग’ को गंभीर अपराध माना जाता है और इसके लिए आर्थिक जुर्माना, सामुदायिक सेवा या जेल की सजा भी हो सकती है।
अंधभक्ति की सीमाओं पर सवाल
यह घटना सिर्फ एक चोरी नहीं, बल्कि एक गहरी सामाजिक विडंबना का प्रतीक बन गई है — जहाँ राजनीतिक प्रतीकों को नैतिकता से ऊपर रखा जाने लगा है। विदेश में जब कानून ने अपना असली चेहरा दिखाया, तब यह भ्रम टूट गया कि “वॉलपेपर दिखाओ, काम बन जाएगा।” भारत और विदेश में फर्क यही है — वहाँ कानून चलता है, यहाँ चेहरा।




