नई दिल्ली, 28 सितंबर 2025
केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में घोषित जीएसटी दर कटौती ने पूरे देश में एक नई बहस छेड़ दी है। जहां सरकार इसे करदाताओं के हित में सबसे बड़ा कदम बता रही है और इसे “GST रिफॉर्म 2.0” का नाम दे रही है, वहीं कई अर्थशास्त्री और व्यापारिक संगठन इसे सतही राहत बताते हुए कह रहे हैं कि इससे जमीनी स्तर पर बहुत बड़ा बदलाव नहीं होने वाला। दरअसल, जिन वस्तुओं और सेवाओं पर दरों में कटौती हुई है, उनमें से ज्यादातर सीमित श्रेणियों तक सिमटी हुई हैं। आम जनता को कुछ आवश्यक वस्तुओं पर राहत जरूर महसूस होगी लेकिन पूरा कर ढांचा अब भी जटिल बना हुआ है और इसका असर राजस्व पर भी पड़ेगा।
नवीनतम दर कटौती के बाद अब कई वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी 0 से 5 प्रतिशत कर दिया गया है। इससे आम आदमी की जेब में तुरंत कुछ बचत होगी और बाज़ारों में मांग बढ़ने की संभावना है। सरकार का दावा है कि इस कदम से उत्पादन, खपत और रोजगार में बढ़ोतरी होगी। यह फैसला खासकर त्योहारों से पहले लिया गया है जिससे उपभोक्ता खर्च को बढ़ावा मिले और बाजार में रौनक लौटे। कई राज्य सरकारों ने भी इसे स्वागत योग्य कदम बताया है। उदाहरण के लिए, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने रायपुर में खुद बाजार जाकर दुकानदारों और ग्राहकों से बात की और कहा कि यह कदम सीधे उपभोक्ता हित में है और इससे राज्य की अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक असर पड़ेगा।
हालांकि आलोचकों का कहना है कि यह दर कटौती संपूर्ण सुधार नहीं है। सराफा व्यापारियों का कहना है कि सोने और गहनों के कारोबार पर अब भी दोहरे कराधान की समस्या बनी हुई है जिससे उनका कारोबार प्रभावित है। छोटे और मध्यम व्यापारियों को अब भी रिटर्न फाइलिंग, जीएसटी क्रेडिट और इनवॉइस मैचिंग जैसी जटिलताओं से जूझना पड़ रहा है। कई अर्थशास्त्रियों ने सुझाव दिया है कि अलग-अलग स्लैब रखने के बजाय सरकार को एक समान दर (जैसे 14%) रखने पर विचार करना चाहिए ताकि कर प्रणाली को सरल बनाया जा सके। पूर्व योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने भी कहा कि 5 प्रतिशत वाले स्लैब में सीमाएँ हैं और यह दीर्घकालिक समाधान नहीं है।
बाजार की प्रतिक्रिया भी मिली-जुली रही। कई कंपनियों ने तुरंत अपने प्राइस लिस्ट में बदलाव किए हैं। उदाहरण के लिए, होंडा ने अपनी कई कारों की कीमतों में ₹40,000 से लेकर ₹1.2 लाख तक की कटौती की है ताकि ग्राहकों को जीएसटी में कटौती का सीधा लाभ मिले। इससे ऑटो सेक्टर में बिक्री बढ़ने की उम्मीद है। हालांकि, खुदरा कारोबारियों का कहना है कि मार्जिन पहले से ही कम है और केवल कर कटौती से बिक्री में उतनी बड़ी बढ़ोतरी नहीं होगी जब तक कि उपभोक्ता का विश्वास पूरी तरह बहाल न हो।
इन सबके बीच बड़ा सवाल यही है कि क्या यह कटौती केवल जनता का ध्यान खींचने के लिए एक चुनावी चाल है या वास्तव में कर सुधार की दिशा में उठाया गया ठोस कदम है। सुधार का मतलब केवल दर घटाना नहीं बल्कि पूरी प्रणाली को सरल बनाना, पारदर्शी बनाना और ऐसे उपाय करना है जिससे हर वर्ग को समान लाभ मिले। जब तक छोटे व्यापारियों, असंगठित क्षेत्र और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को इसका फायदा नहीं मिलता, तब तक इसे संपूर्ण सुधार कहना मुश्किल होगा।
जीएसटी दर कटौती निश्चित रूप से एक सकारात्मक शुरुआत है और इससे उपभोक्ता को कुछ राहत मिली है। लेकिन इसे एक स्थायी सुधार मानने से पहले यह देखना जरूरी होगा कि इसका असर कितने समय तक रहता है और क्या सरकार आने वाले समय में और व्यापक सुधार लागू करती है। वास्तविक सुधार तब होगा जब जीएसटी की पूरी प्रणाली आसान, पारदर्शी और न्यायपूर्ण बने ताकि कर चोरी रुके, व्यापारियों पर अनावश्यक बोझ न पड़े और उपभोक्ता को सीधे लाभ का अनुभव हो।