नई दिल्ली 13 अगस्त 2025
केंद्र सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) आरक्षण के दायरे को लेकर एक बड़ा प्रस्ताव तैयार किया है, जिसके तहत क्रीमीलेयर श्रेणी में आने वाले कुछ वर्गों को आरक्षण से बाहर किया जा सकता है। इस पर छह केंद्रीय मंत्रालय और राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) मिलकर मंथन कर रहे हैं।
क्या है क्रीमीलेयर?
क्रीमीलेयर वह वर्ग है, जो आर्थिक और सामाजिक रूप से अपेक्षाकृत सशक्त माने जाते हैं और जिन्हें ओबीसी आरक्षण का लाभ नहीं मिलता। फिलहाल, केंद्र सरकार ने आय सीमा 8 लाख रुपये प्रतिवर्ष तय की हुई है, लेकिन इस सीमा और मापदंड को बदलने पर विचार हो रहा है।
कौन हो सकते हैं बाहर?
सूत्रों के मुताबिक, प्रस्ताव में ऐसे लोगों को आरक्षण के दायरे से बाहर करने की बात है जिनके माता-पिता उच्च सरकारी पदों पर हों, केंद्रीय या राज्य सेवाओं में वरिष्ठ अधिकारी हों, या जिनकी आय और संपत्ति एक तय सीमा से ऊपर हो। इसमें डॉक्टर, इंजीनियर, चार्टर्ड अकाउंटेंट जैसे पेशेवरों की भी समीक्षा हो सकती है, जो आर्थिक रूप से संपन्न हैं।
छह मंत्रालयों और NCBC की भूमिका
इस मसले पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, कार्मिक मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, गृह मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय और विधि मंत्रालय के बीच लगातार चर्चा हो रही है। इसके अलावा, NCBC इस पर कानूनी और सामाजिक पहलुओं की पड़ताल कर रहा है ताकि कोई भी फैसला न्यायिक चुनौती का सामना कर सके।
संभावित असर
अगर यह प्रस्ताव लागू होता है, तो लाखों ओबीसी परिवारों को आरक्षण का लाभ मिलना बंद हो सकता है। सरकार का तर्क है कि असल में वंचित और गरीब तबकों को ही आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए, न कि पहले से समृद्ध वर्गों को। हालांकि, यह मुद्दा राजनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील है और कई राज्यों में इसका विरोध भी हो सकता है।
अगले कदम
सूत्रों के अनुसार, मंथन के बाद अंतिम प्रस्ताव मंत्रिमंडल की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। इसके बाद संसद में संशोधन लाने की संभावना है। सरकार चाहती है कि 2026 की जनगणना और जातिगत सर्वे के आंकड़ों से पहले इस पर अंतिम फैसला हो जाए।
यह फैसला सामाजिक न्याय के दायरे में बदलाव लाएगा या राजनीतिक बहस को और गरमा देगा—यह आने वाला समय बताएगा।