नई दिल्ली/आगरा, 28 सितंबर 2025
दिल्ली पुलिस की विशेष टीम ने रविवार तड़के उत्तर प्रदेश के आगरा में ताजगंज स्थित एक होटल से स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती को नाटकीय ढंग से गिरफ्तार कर लिया। उन पर राजधानी दिल्ली के वसंत कुंज स्थित एक निजी प्रबंधन संस्थान में पढ़ने वाली 17 छात्राओं के यौन उत्पीड़न, अश्लील संदेश भेजने, देर रात बुलाने और अवैध वित्तीय गड़बड़ियों के गंभीर आरोप हैं। दो महीने से फरार चल रहे इस तथाकथित ‘स्वामी’ की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने राहत की सांस ली है, जबकि छात्राओं और उनके परिवारों ने इसे न्याय की दिशा में पहला कदम बताया है।
गिरफ्तारी से पहले दिल्ली पुलिस की कई टीमें पिछले हफ्तों से चैतन्यानंद की तलाश में दिल्ली, नोएडा और मथुरा के अलावा कई शहरों में छापेमारी कर रही थीं। पुलिस सूत्रों के अनुसार, जब उन्हें भनक लगी कि वह आगरा के एक होटल में ठहरा हुआ है, तो देर रात होटल को घेर लिया गया और तड़के लगभग 3:30 बजे स्वामी को हिरासत में ले लिया गया। पुलिस ने उसके कमरे से कई महत्वपूर्ण दस्तावेज, डिजिटल उपकरण और नकली विजिटिंग कार्ड बरामद किए हैं, जिनमें उसे संयुक्त राष्ट्र और BRICS आयोग का विशेष प्रतिनिधि बताया गया है। इसने मामले को और भी सनसनीखेज बना दिया है और यह संकेत दिया है कि आरोपित अपने प्रभाव और झूठी पहचान का इस्तेमाल कर लोगों को गुमराह करता रहा।
छात्राओं के बयान बेहद गंभीर हैं। उन्होंने पुलिस को बताया कि स्वामी ने उन्हें “आध्यात्मिक कक्षाओं” और “मार्गदर्शन” के नाम पर देर रात अपने कक्ष में बुलाया, उनसे अभद्र सवाल पूछे, कुछ से शारीरिक संपर्क बनाने की कोशिश की और प्रतिरोध करने पर पढ़ाई से निकालने व डिग्री रोकने की धमकी दी। कुछ छात्राओं ने यह भी आरोप लगाया कि हॉस्टल में गुप्त कैमरे लगाए गए थे ताकि उनकी निजी जिंदगी पर नजर रखी जा सके। इस पूरे मामले ने प्रबंधन संस्थानों और धार्मिक ट्रस्टों में चल रहे प्रशासनिक और सुरक्षा तंत्र पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
पुलिस ने चैतन्यानंद के खिलाफ यौन उत्पीड़न, आपराधिक धमकी, मानसिक प्रताड़ना और धोखाधड़ी की धाराओं में केस दर्ज किया है। साथ ही वित्तीय अनियमितताओं की जांच के लिए ईडी और अन्य एजेंसियों को भी सूचित किया गया है। शुरुआती जांच में यह बात सामने आई है कि संस्थान के नाम पर बने ट्रस्ट खातों से करोड़ों रुपये अलग-अलग फर्जी खातों में ट्रांसफर किए गए। अदालत ने उनकी अग्रिम जमानत अर्जी को पहले ही खारिज कर दिया था और कहा था कि इस मामले में हिरासत में पूछताछ बेहद जरूरी है।
यह पहली बार नहीं है कि चैतन्यानंद का नाम विवादों में आया हो। 2009 और 2016 में भी उनके खिलाफ यौन शोषण और धोखाधड़ी के केस दर्ज हुए थे, लेकिन हर बार वह कानूनी दांवपेंच का सहारा लेकर बच निकलते रहे। इस बार पीड़ित छात्राओं ने संगठित तरीके से शिकायत दर्ज कराई और मीडिया में अपनी आवाज उठाई, जिसके बाद मामला जोर पकड़ गया। अब आश्रम और संबंधित ट्रस्ट ने भी उन्हें उनके पद से हटा दिया है और सार्वजनिक रूप से कहा है कि यह कृत्य उनके सिद्धांतों और आचार संहिता के खिलाफ है।
यह गिरफ्तारी देश में उन “गॉडमैन” और धार्मिक गुरुओं की जवाबदेही पर नई बहस छेड़ सकती है जो समाज में आध्यात्मिकता के नाम पर शक्ति और विश्वास का दुरुपयोग करते हैं। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह केस न्याय प्रणाली के लिए लिटमस टेस्ट की तरह है — क्या दोषी को सजा दिलाने में गवाहों की सुरक्षा, डिजिटल सबूतों का संरक्षण और पारदर्शी सुनवाई सुनिश्चित की जाएगी या नहीं। पीड़ित परिवारों ने सरकार से गवाह संरक्षण योजना लागू करने की मांग की है।
चैतन्यानंद को अब दिल्ली लाया जा रहा है, जहां उन्हें अदालत में पेश किया जाएगा। पुलिस का कहना है कि हिरासत में उनसे गहन पूछताछ होगी ताकि पूरे नेटवर्क, वित्तीय लेनदेन और संभावित सह-अभियुक्तों के बारे में जानकारी जुटाई जा सके। देश की नजरें अब इस केस पर टिकी हैं, क्योंकि यह मामला न केवल कानून व्यवस्था बल्कि समाज के नैतिक और धार्मिक ढांचे की साख का भी बड़ा इम्तिहान है।