जिनेवा, 5 अगस्त 2025
दुनिया भर के देशों के प्रतिनिधि इस सप्ताह जिनेवा में एक बार फिर जुटे हैं, ताकि तेजी से बढ़ते प्लास्टिक प्रदूषण संकट पर ठोस वैश्विक समझौते की दिशा में आगे बढ़ा जा सके। संयुक्त राष्ट्र की पहल पर हो रही यह उच्चस्तरीय बैठक “ग्लोबल प्लास्टिक ट्रीटी” को अंतिम रूप देने के प्रयासों का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य 2040 तक प्लास्टिक प्रदूषण को ‘शून्य स्तर’ तक लाना है।
बैठक में 170 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों के साथ पर्यावरणविदों, वैज्ञानिकों और औद्योगिक प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया। सभी का लक्ष्य है — प्लास्टिक उत्पादन, उपयोग और उसके प्रबंधन पर अंतरराष्ट्रीय रूप से बाध्यकारी नियमों को लागू करना। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, हर साल 40 करोड़ टन से अधिक प्लास्टिक दुनिया भर में उत्पादित होता है, जिसमें से एक बड़ा हिस्सा नदियों, समुद्रों और खाद्य श्रृंखलाओं को दूषित करता है।
भारत सहित कई विकासशील देशों ने इस संकट के सामाजिक और आर्थिक प्रभावों पर चिंता जताते हुए विकासशील देशों के लिए तकनीकी और वित्तीय सहायता की मांग की है, ताकि वे भी वैश्विक प्रयासों का हिस्सा बन सकें। बैठक में यह भी चर्चा हुई कि कैसे सिंगल-यूज़ प्लास्टिक पर प्रतिबंध, रीसाइक्लिंग की पारदर्शी व्यवस्था और वैकल्पिक पर्यावरण-अनुकूल उत्पादों को बढ़ावा दिया जा सकता है। कई देशों ने पहले से ही 2030 तक प्लास्टिक उत्पादन में कटौती का लक्ष्य रखा है।
अब तक चार दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन अमेरिका और चीन जैसे देशों की आपत्तियों के चलते बाध्यकारी कानूनी स्वरूप पर सहमति नहीं बन सकी है। हालांकि जिनेवा में हो रही यह बैठक निर्णायक मानी जा रही है, और उम्मीद है कि 2025 के अंत तक एक वैश्विक प्लास्टिक संधि को अमलीजामा पहनाया जा सकेगा.। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह संधि सफल होती है, तो यह जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता संरक्षण के बाद सबसे बड़ी वैश्विक पर्यावरणीय पहल होगी।