नई दिल्ली 31 अगस्त 2025
दिल्ली हाई कोर्ट ने सेना भर्ती प्रक्रिया में महिला और पुरुष उम्मीदवारों के लिए अलग-अलग वैकेंसी तय करने की प्रथा को असंवैधानिक करार दिया है। कोर्ट ने कहा कि यह लिंग के आधार पर भेदभाव है और इसे किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जा सकता।
यूपीएससी की अधिसूचना पर सवाल
जस्टिस सी हरिशंकर और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की बेंच ने अपने आदेश में साफ किया कि UPSC की 17 मई 2023 की अधिसूचना में कुल 90 पदों को पुरुषों के लिए आरक्षित नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने कहा कि ये सभी पद महिला और पुरुष, दोनों उम्मीदवारों के लिए समान रूप से खुले रहेंगे।
महिला याचिकाकर्ता को मिली नियुक्ति
मामले में एक महिला उम्मीदवार ने अदालत का दरवाज़ा खटखटाया था। उसने सभी आवश्यक योग्यता और प्रमाणपत्र पूरे किए थे, लेकिन उसे इसलिए नियुक्ति से वंचित रखा गया क्योंकि पद को “पुरुष उम्मीदवार” के लिए माना गया था। हाई कोर्ट ने इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए आदेश दिया कि उस महिला को तुरंत उस पद पर नियुक्त किया जाए।
लैंगिक समानता की दिशा में बड़ी जीत
इस फैसले को सेना भर्ती प्रक्रिया में एक ऐतिहासिक कदम बताया जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे महिलाओं के लिए अवसरों का दायरा और बढ़ेगा। साथ ही यह आदेश सेना सहित अन्य संस्थानों में चल रहे लिंग आधारित भेदभाव के खिलाफ एक सशक्त संदेश है।
दिल्ली हाई कोर्ट का यह फैसला केवल एक महिला उम्मीदवार की जीत नहीं है, बल्कि पूरे देश की उन महिलाओं की जीत है जो सेना में योगदान देने का सपना देखती हैं। यह आदेश भारतीय सेना भर्ती प्रणाली में समानता और न्याय का नया अध्याय खोलता है।