गाज़ा 16 अक्टूबर 2025
गाजा में युद्धविराम और इसके कारण
दुनिया का सबसे दर्दनाक नरसंहार फिलहाल बंद हो गया है। गाजा में इसराइली कार्रवाई बंद हो गई है जो इकतरफा और बर्बर थी। फिलहाल युद्ध रुकवाने का श्रेय अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ले रहे हैं मगर जानकार मानते हैं कि इसराइल भी अपने ही जाल में फंस गया था और इज्जत के साथ इससे बाहर आना चाहता था। 7 अक्टूबर 2023 को हुए हमास के प्रारंभिक हमले और उसके बाद इस्राएल की कड़ी सैन्य कार्रवाई के परिणामस्वरूप गाजा पट्टी में अत्यधिक विनाश और मानवीय संकट उत्पन्न हो गया था। इस लंबी अवधि तक चले संघर्ष में खर्च, हमास की क़ैद में इसराइली बंधकों की रिहाई में देरी, आम इसराइली नौजवानों का सेना में शामिल होने से इनकार और प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू की हठधर्मिता, युद्ध की सनक एवं भ्रष्टाचार की वजह से लम्बे समय से हो रहे प्रदर्शनों ने इस परिस्थिति का निर्माण किया। 2025 के अंत तक मध्यस्थ प्रयासों ने गति पकड़ी, और इस सिलसिले में, अमेरिका (विशेष रूप से पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प) ने मध्यस्थ भूमिका निभाने की पहल की।
इस साल सितम्बर में अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और इसराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू के बीच 20 बिन्दु शांति प्रस्ताव पर सहमति बनी और इसकी परिणीति समझौते के रूप में सामने आती है। इस प्रस्ताव में गाजा में युद्ध समाप्ति, बंदी एवं बंधकों की अदला-बदली, पुनर्निर्माण तथा गाजा की भविष्य की राजनीतिक व्यवस्था आदि शामिल थे, जिसने युद्धविराम का मार्ग प्रशस्त किया।
शर्म अल-शेख़ सम्मेलन और ‘ट्रम्प घोषणा’
युद्धविराम के समझौते को औपचारिक रूप देने के लिए, 13 अक्टूबर 2025 को मिस्र के तटीय शहर शर्म अल-शेख़ में एक शांति सम्मेलन आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में ट्रम्प एवं मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फत्ताह अल-सीसी (el-Sisi) ने संयुक्त रूप से इस समझौते को आगे बढ़ाने की पहल की। इस महत्वपूर्ण सम्मेलन में अमेरिका, मिस्र, कतर, तुर्की आदि देशों ने इस प्रस्ताव पर एक संयुक्त घोषणा पर हस्ताक्षर किए, जिसे आधिकारिक तौर पर “The Trump Declaration for Enduring Peace and Prosperity” नाम दिया गया।
सम्मेलन के दौरान, ट्रम्प ने जोर दिया कि “आज वह दिन है जिसके लिए इस क्षेत्र और दुनिया भर के लोग प्रयास करते रहे हैं” तथा “अब पुनर्निर्माण आरंभ होगा।” इस घोषणा ने मध्य-पूर्व शांति प्रयासों में एक महत्वाकांक्षी मोड़ ला दिया और गाजा में शांति की नई संभावना खोल दी, हालांकि इसके बाध्यकारी स्वरूप और कार्यान्वयन तंत्र पर कई सवाल अभी भी अधूरे हैं।
डोनाल्ड ट्रम्प की भाषण शैली और रणनीति
डोनाल्ड ट्रम्प ने इस शांति प्रस्ताव में प्रमुख भूमिका निभाई — उन्होंने न केवल इसे प्रस्तुत किया, बल्कि दुनिया का ध्यान खींचने वाली कई बातें कहीं। शर्म अल्-शेख़ सम्मेलन में उन्होंने गर्व से उस दस्तावेज़ को जनता के सामने पेश किया, कहते हुए, “We’ve achieved what everybody said was impossible … at long last, we have peace in the Middle East.” उन्होंने इस विवाद को तीन हज़ार वर्ष पुराना बताते हुए इसकी स्थिरता पर सवाल भी उठाया।
ट्रम्प ने पुनर्निर्माण को “सबसे आसान हिस्सा” बताकर यह संकेत दिया कि सबसे कठिन भाग — युद्ध समाप्त हो गया है। इस्राएल की संसद (कनेसैट) में भी उन्होंने भाषण दिया, जहाँ उन्होंने कहा कि “नया सूर्योदय” हो चुका है, युद्ध समाप्त हो गया है। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट रूप से द्वि-राज्य समाधान (two-state solution) को समर्थन देने की स्थिति स्पष्ट नहीं की, बल्कि कहा कि “कुछ समय बाद मैं निर्णय लूंगा, लेकिन दूसरे देशों के साथ बातचीत के बाद।” उन्होंने यह भी संकेत दिया कि गाजा में एक नई “अंतरराष्ट्रीय स्थिरीकरण बल” (International Stabilization Force, ISF) एवं एक तकनीक्रेटिक समिति (technocratic Palestinian committee) द्वारा स्थानीय प्रशासन चलाया जाएगा।
इस्राएल की प्रतीकात्मक प्रतिक्रिया और नेतन्याहू की अनुपस्थिति
इस्राएल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने इस समझौते को लेकर पारंपरिक रूप से यह कहा कि वह किसी अलग फिलिस्तीनी राज्य की स्वीकृति की ओर नहीं है। उन्होंने इस समझौते को “असमान इनाम” कहा। शर्म अल-शेख़ सम्मेलन में नेतन्याहू की अनुपस्थिति महत्वपूर्ण थी। उनके दफ्तर ने कहाकि यहूदी त्योहारों की वजह से वह उपस्थित नहीं हो सके, हालांकि उनके आमंत्रण पर भी विवाद है। अधिकांश विश्लेषकों ने यह कहा कि इस्राएल ने इस समझौते को सतही समर्थन दिया, लेकिन गहरा प्रतिबद्धता नहीं दिखाया।
एक मुख्य चिंता यह है कि यदि हमास गाजा पर नियंत्रण बनाए रखे और इस्राएल की सुरक्षा परिभाषा में न आए, तो इस्राएल किसी हिस्से में फिर से सैन्य कार्रवाई कर सकता है। इस्राएल ने इस प्रस्ताव को अपनी सुरक्षा शर्तों और सीमाओं के नियंत्रण (demarcation line) को बनाए रखने की शर्त के साथ स्वीकार किया, जो दर्शाता है कि भविष्य में किसी भी अस्थिरता के समय वे फिर से कार्रवाई करने का अधिकार सुरक्षित रखना चाहते हैं।
फिलिस्तीनी, हमास और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
फिलिस्तीनी, हमास और अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं इस शांति प्रस्ताव के प्रति मिश्रित रही हैं। हमास ने इस प्रस्ताव को पूरी तरह स्वीकार नहीं किया। उसने कहा कि वह हथियार नहीं छोड़ सकती और गाजा की नियंत्रण संरचना में अपनी भागीदारी बनाए रखना चाहती है। वहीं, फिलिस्तीनी प्रशासन ने इसे एक अवसर के रूप में देखा। सम्मेलन में फिलिस्तीनी नेता अब्बास को भी आमंत्रित किया गया, और उन्हें ट्रम्प ने सार्वजनिक रूप से स्वागत किया।
कतरी, मिस्री और तुर्की समर्थक नेताओं ने इस समझौते का स्वागत किया और कहा कि यह मध्य-पूर्व में एक नए अध्याय की शुरुआत हो सकती है। अंतरराष्ट्रीय नेताओं ने भी इसे “नया अध्याय” कहा और गाजा में शांति की नई संभावना को सराहा। लेकिन इस बात को लेकर आलोचना भी हुई कि यह प्रस्ताव बहुत सामान्य है, इसमें बाध्यता का भाव नहीं है और वास्तव में इस विवाद को हल करने वाली मूल चुनौतियों (हथियार नियंत्रण, राजनीतिक स्वायत्तता) पर स्पष्टता नहीं है।
बंदी अदला-बदली और पुनर्निर्माण की चुनौतियाँ
समझौते के तहत बंदी एवं बंधकों की अदला-बदली तुरंत की गई। हमास ने गाजा से जीवित बंधकों को रिहा किया (लगभग 20 व्यक्तियों) और मृत बंधकों की लाशों को सौंपा। हालांकि कई लाशों को अभी सौंपा जाना बाक़ी है। इसके जवाब में, इस्राएल ने लगभग 1,968 फ़िलिस्तीनी बंदियों को मुक्त किया। गाजा में इन रिहा क़ैदियों के स्वागत में लोग उमड़ पड़े। गाजा की व्यापक तबाही को देखते हुए, पुनर्निर्माण की लागत का अनुमान लगभग $53 अरब डॉलर बताया गया है।
प्रस्ताव के अनुसार, गाजा पर एक तकनीक्रेटिक समिति द्वारा प्रशासन किया जाएगा, जिसे “Peace Board” और अंतरराष्ट्रीय निगरानी में रखा जाएगा। लेकिन किसे सदस्य बनाया जाए, स्थानीय लोकतांत्रिक भावना को कैसे समायोजित किया जाए, और हमास की हिस्सेदारी को कैसे संबोधित किया जाए — ये सभी प्रश्न अभी अधूरे हैं, जिससे पुनर्निर्माण और प्रशासन की प्रक्रिया में अनिश्चितता बनी हुई है।
अस्थिरता का जोखिम और भविष्य की चुनौतियाँ
आलोचक कहते हैं कि यह ट्रम्प की शांति योजना प्रतीकात्मक हो सकती है यदि इसकी संसाधन और पालन नियंत्रण मजबूत न हों। संभावित अस्थिरता और पुनरुद्धार जोखिम अभी भी मौजूद हैं। यदि इस्राएल सरकार (विशेषकर उसके दक्षिणपंथी घटक) वापस लड़ने का निर्णय ले, तो शांति खतरे में पड़ सकती है। हमास के अधिकांश विद्रोही तत्व यदि नियंत्रण से बाहर निकलें, तो शांति व्यवस्था पर संकट आ सकता है।
ट्रम्प की प्रस्तावित घोषणा में यह स्पष्ट नहीं किया गया कि वह इस्राएल और हमास को बाध्य करेगी या इनमें कोई गारंटी तंत्र होगा — यानी यह शांति योजना अभी भी कई शर्तों और चुनौतियों पर निर्भर है। इन चुनौतियों में हथियार नियंत्रण, राजनीतिक स्वायत्तता, स्थानीय भागीदारी, हमास की भूमिका, इस्राएल की सुरक्षा चिंताएँ और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय समर्थन शामिल हैं।
भारत की भूमिका
शर्म अल-शेख़ में सम्पन्न यह “गाजा शांति प्रस्ताव/सम्मेलन” मध्य-पूर्व शांति प्रयासों में एक महत्वाकांक्षी मोड़ है। डोनाल्ड ट्रम्प ने इसे वैश्विक तवज्जो देने, एक नया मुमकिन दृश्य प्रस्तुत करने और युद्ध से शांति की दिशा में कदम बढ़ाने की भूमिका निभाई। उनकी भाषण शैली, साम्राज्यवादी आत्मविश्वास और मध्यस्थ आकांक्षा ने इस समझौते को विश्व मीडिया में बहुत जगह दिलवाई।
हालांकि इस प्रस्ताव के सामने बड़ी चुनौतियाँ हैं, लेकिन यदि इसे सही तरीके से लागू किया जाए, तो यह गाजा में न केवल युद्ध को स्थगित कर सकता है, बल्कि एक नए संवाद और सहअस्तित्व की संभावनाओं को भी जन्म दे सकता है। भारत को इस प्रक्रिया में सक्रिय, सकारात्मक और संतुलित भूमिका निभानी चाहिए—मानवीय, कूटनीतिक और दीर्घकालीन रणनीतिक दृष्टिकोण से। यदि समझौता सफल हो गया, तो मध्य-पूर्व का भू-राजनीतिक परिदृश्य बदल सकता है — और भारत को भी इसके फलस्वरूप नए अवसर मिल सकते हैं।