नई दिल्ली। 6 अगस्त 2025
राजधानी दिल्ली में अपराधियों की बदलती रणनीति और उनके शातिराना तरीकों का खुलासा एक के बाद एक मामलों में हो रहा है। हाल ही में मोती नगर इलाके में दिल्ली पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जो साधु के वेश में झपटमारी करता था। इस गिरोह के सदस्य शरीर पर राख लगाकर, माथे पर तिलक और गले में रुद्राक्ष की माला पहनकर पूरी तरह साधु का वेश धारण करते थे। वे खासतौर पर ट्रैफिक सिग्नल्स पर टू-व्हीलर टैक्सियों में बैठी महिलाओं को निशाना बनाते थे। पैसे मांगने के बहाने खिड़की खटखटाते और जैसे ही महिला अपनी उंगली से पर्स या जेवर की ओर बढ़ती, तुरंत झपटमारी कर फरार हो जाते।
इस गिरोह की गतिविधियों का पर्दाफाश 1 अगस्त को तब हुआ, जब एक महिला ने शिकायत दर्ज कराई कि शादीपुर फ्लाईओवर पर तीन भेषधारी साधुओं ने उसकी अंगुली से सोने-हीरे की अंगूठी झपट ली। पुलिस ने जांच में तेजी दिखाई और सीसीटीवी फुटेज की मदद से देखा गया कि आरोपी एक ऑटो-रिक्शा में फरार हुए। ऑटो की पहचान और मोबाइल सर्विलांस के जरिए पुलिस ने गिरोह के मुख्य सदस्य विनोद कामत को गिरफ्तार किया और उसकी निशानदेही पर कबीर व बिरजू नामक अन्य दो आरोपियों को भी धर दबोचा गया। तीनों आरोपियों ने पूछताछ में खुलासा किया कि लूटी गई अंगूठी को गुरचरण सिंह नामक आभूषण कारोबारी को बेच दिया गया है, जिसके पास से पुलिस ने पिघला हुआ सोना और 61 हीरे के टुकड़े बरामद किए हैं।
गौर करने वाली बात यह है कि यह गिरोह सिर्फ झुग्गी-झोपड़ियों या ट्रैफिक सिग्नलों तक ही सीमित नहीं था। इसी बीच दिल्ली के सबसे वीआईपी और सुरक्षित माने जाने वाले इलाके चाणक्यपुरी में भी झपटमारी की एक गंभीर घटना सामने आई, जिसमें कांग्रेस की राज्यसभा सांसद आर. सुधा को उस समय निशाना बनाया गया जब वे पोलैंड दूतावास और तमिलनाडु हाउस के पास मॉर्निंग वॉक पर थीं। स्कूटी सवार एक युवक उनके गले से मोटी सोने की चेन झपटकर फरार हो गया। यह घटना इसलिए भी अहम मानी जा रही थी क्योंकि यह नई दिल्ली जिले के सबसे सुरक्षित कहे जाने वाले हिस्से में हुई, जहां स्वतंत्रता दिवस से पहले सुरक्षा के कड़े इंतजाम होने चाहिए थे। सांसद आर. सुधा ने खुद इस वारदात की जानकारी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को दी थी।
इस वीआईपी क्षेत्र की वारदात को लेकर दिल्ली पुलिस पर दबाव बढ़ गया था, और तेज़ जांच के बाद इस मामले में भी आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। उसकी गिरफ्तारी और चेन की बरामदगी के बाद सवाल उठने लगे हैं कि राजधानी में झपटमारी की घटनाएं अब आम नागरिकों तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि सांसदों तक को निशाना बनाया जा रहा है।
इन दोनों मामलों के सामने आने से यह साफ हो गया है कि अपराधी अब हर स्तर पर न केवल सक्रिय हैं बल्कि अत्यंत चालाकी से अपने रूप और शैली बदलकर वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। पुलिस ने इस पूरे गिरोह की कार्यप्रणाली को ‘पेशेवर’ और ‘सोची-समझी रणनीति’ का हिस्सा बताया है, जहां अपराधियों ने विश्वास और भावनाओं को ही अपना हथियार बना लिया है—कहीं साधु बनकर तो कहीं वीआईपी इलाके की सुरक्षा को चुनौती देकर।
फिलहाल मोती नगर वाले गिरोह का एक और सदस्य अमर अभी भी फरार है, और पुलिस उसकी गिरफ्तारी के लिए लगातार दबिश दे रही है। साथ ही, दोनों मामलों को जोड़कर जांच की जा रही है कि क्या इन झपटमार गिरोहों के बीच कोई आपसी संबंध या नेटवर्क है, और क्या ये किसी बड़े रैकेट का हिस्सा हैं जो दिल्ली में झपटमारी को संगठित अपराध की शक्ल में अंजाम दे रहा है।
इन घटनाओं ने न केवल दिल्ली पुलिस को सतर्क किया है, बल्कि आम जनता को भी यह सख्त संदेश दिया है कि अब सावधानी बरतना पहले से कहीं अधिक ज़रूरी है—चाहे आप ट्रैफिक सिग्नल पर हों या राजधानी के वीआईपी इलाकों में। अपराधियों का कोई निश्चित चेहरा नहीं रहा, और अब वे साधु बनकर भी आपके सामने आ सकते हैं।