वाशिंगटन 2 अक्टूबर 2025
गांधी, केवल भारत के नहीं पूरी दुनिया के महात्मा
महात्मा गांधी का नाम केवल भारत की आज़ादी के संघर्ष से नहीं जुड़ा, बल्कि यह नाम आज पूरी दुनिया में शांति, सत्य और अहिंसा का पर्याय बन चुका है। गांधी ने यह सिद्ध किया कि अन्याय और अत्याचार के खिलाफ लड़ाई सिर्फ़ हथियारों और खून-खराबे से नहीं, बल्कि अहिंसा और सत्य के रास्ते पर चलकर भी जीती जा सकती है। यही कारण है कि उनकी सोच भारत की सीमाओं को पार कर पूरी दुनिया तक पहुँची और आज भी विश्व राजनीति, सामाजिक आंदोलनों और मानवाधिकार संघर्षों में गांधी के विचार गूंजते हैं।
दक्षिण अफ्रीका: गांधी का पहला वैश्विक परिचय
गांधी का संघर्ष सबसे पहले भारत में नहीं, बल्कि दक्षिण अफ्रीका में पहचाना गया। वहाँ भारतीय मूल के लोगों के साथ होने वाले नस्लभेद और अन्याय ने उन्हें सत्याग्रह की राह पर चलाया। उन्होंने प्रवासी भारतीय मजदूरों और व्यापारियों के अधिकारों के लिए अहिंसक आंदोलन छेड़ा। यही संघर्ष दक्षिण अफ्रीका को अहिंसा और नागरिक अधिकारों के आंदोलन का पहला सबक बना गया। यह गांधी का पहला वैश्विक संदेश था—कि अहिंसा केवल एक नैतिकता नहीं, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन का सशक्त हथियार है।
अमेरिका में गांधी की विरासत: मार्टिन लूथर किंग जूनियर और सिविल राइट्स मूवमेंट
अमेरिका में 1950 और 1960 के दशक में जब अश्वेत नागरिक समानता के लिए लड़ रहे थे, तब उनके नेता मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने खुलकर स्वीकार किया कि उन्होंने गांधी से प्रेरणा ली। उन्होंने कहा था, “क्राइस्ट ने मुझे प्रेरणा दी, लेकिन गांधी ने मुझे रास्ता दिखाया।” गांधी की अहिंसा की नीति को अपनाकर उन्होंने अमेरिका में सिविल राइट्स मूवमेंट को सफल बनाया। गांधी का यह वैश्विक प्रभाव दिखाता है कि भारत का यह महात्मा एक पूरे महाद्वीप के नागरिक अधिकार आंदोलन का मार्गदर्शक बना।
अफ्रीका में गांधी की छाप: नेल्सन मंडेला का संघर्ष
दक्षिण अफ्रीका में गांधी की अहिंसा और सत्याग्रह की सीख ने नेल्सन मंडेला को गहराई से प्रभावित किया। मंडेला ने रंगभेद के खिलाफ अपने आंदोलन में गांधी के सिद्धांतों को अपनाया। हालांकि मंडेला का संघर्ष कई बार हिंसक रूप भी लेता था, लेकिन उन्होंने हमेशा गांधी को “आध्यात्मिक मार्गदर्शक” माना। मंडेला ने कहा था, “भारत ने हमें गांधी दिया, और उन्होंने हमें अहिंसा का रास्ता दिखाया।”
यूरोप और ब्रिटेन में गांधी की स्वीकार्यता
ब्रिटेन, जिसने भारत पर शासन किया, वहाँ भी गांधी का आदर कम नहीं है। लंदन में आज संसद के सामने गांधी की प्रतिमा खड़ी है। यह वही ब्रिटेन है जिसने कभी गांधी को ‘अराजक’ कहकर खारिज किया था। लेकिन आज वही देश उन्हें लोकतंत्र और मानवाधिकारों का प्रतीक मानता है। यूरोप के कई देशों में गांधी की शिक्षाओं पर विश्वविद्यालय स्तर पर अध्ययन होता है। फ्रांस और जर्मनी जैसे देशों में ‘गांधी स्टडी सेंटर्स’ स्थापित हैं, जहाँ अहिंसा, शांति और संघर्ष समाधान के उनके मॉडल को पढ़ाया जाता है।
एशिया और मध्य पूर्व में गांधी का असर
गांधी की सोच केवल पश्चिम तक सीमित नहीं रही। एशिया में, खासकर म्यांमार, वियतनाम और श्रीलंका जैसे देशों में आज़ादी की लड़ाई लड़ने वाले नेताओं ने गांधी की राह से प्रेरणा ली। वियतनाम के हो ची मिन्ह और बर्मा के आंग सान ने गांधी को अपनी लड़ाई का नैतिक आधार माना। यहाँ तक कि फिलीपींस और इंडोनेशिया जैसे देशों में भी गांधी को स्वतंत्रता का प्रतीक माना गया।
संयुक्त राष्ट्र और वैश्विक स्तर पर गांधी
संयुक्त राष्ट्र (UN) ने 2007 में 2 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस घोषित किया। यह दिखाता है कि गांधी का योगदान केवल भारत की आज़ादी तक सीमित नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में शांति और अहिंसा के प्रतीक के रूप में मान्यता प्राप्त है। न्यूयॉर्क के संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में गांधी की प्रतिमा स्थापित है, जो हर आगंतुक को यह याद दिलाती है कि संघर्ष का सबसे ऊँचा रास्ता अहिंसा है।
आज की दुनिया में गांधी की प्रासंगिकता
आज जब पूरी दुनिया आतंकवाद, युद्ध और हिंसा से जूझ रही है, तब गांधी की प्रासंगिकता और बढ़ जाती है। जलवायु परिवर्तन से लेकर शरणार्थी संकट तक, हर समस्या का समाधान गांधी की सोच में छिपा है—अहिंसा, सादगी, आत्मनिर्भरता और संवाद। यूरोप से लेकर अफ्रीका तक, अमेरिका से लेकर एशिया तक, गांधी को आज भी “ग्लोबल मॉरल लीडर” माना जाता है।
एक भारतीय की वैश्विक विरासत
महात्मा गांधी केवल भारत के राष्ट्रपिता नहीं, बल्कि वे दुनिया के लिए मानवता के पिता हैं। उनका जीवन यह साबित करता है कि जब एक साधारण इंसान सत्य और अहिंसा को अपना धर्म बना लेता है, तो वह पूरी दुनिया को बदल सकता है। विदेशों में गांधी की अहमियत इसी में है कि वे केवल भारत के नेता नहीं, बल्कि विश्व मानवता के मार्गदर्शक हैं। गांधी होना मतलब है सीमाओं को लांघकर इंसानियत की भाषा बोलना। यही कारण है कि वे केवल भारत की नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की विरासत हैं।