वैश्विक कूटनीति और व्यापार जगत में एक बड़ी हलचल के बीच, ब्रिटेन के शीर्ष नेता और प्रधानमंत्री कीयर स्टार्मर ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपनी बहुप्रतीक्षित मुलाकात के बाद एक अत्यंत महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि प्रस्तावित भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता (FTA) दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को “नए युग का लॉन्चपैड” साबित करेगा।
स्टार्मर का यह बयान उस समय आया है जब दोनों देशों के बीच कई महीनों से विभिन्न राजनीतिक और तकनीकी कारणों से लंबित FTA पर बातचीत अब आखिरकार अपने अंतिम और निर्णायक चरण में पहुँच चुकी है। उनकी यह यात्रा और यह सकारात्मक बयान ब्रेक्सिट के बाद ब्रिटेन की नई वैश्विक व्यापार रणनीति को मज़बूती देता है, वहीं भारत के लिए यूरोपीय बाजारों तक पहुँचने के नए द्वार खोलता है। यह मुलाकात केवल व्यापार समझौतों पर केंद्रित नहीं थी, बल्कि इसने टेक्नोलॉजी, शिक्षा और रक्षा सहयोग जैसे क्षेत्रों में भी गहन साझेदारी की एक नई नींव रखी है।
“यह सिर्फ एक व्यापारिक डील नहीं, साझेदारी का नया अध्याय है” — स्टार्मर
राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में हुई इस उच्च-स्तरीय बैठक के बाद जारी किए गए संयुक्त बयान में कीयर स्टार्मर ने ज़ोर देकर कहा — “भारत और ब्रिटेन के बीच यह व्यापारिक समझौता केवल टैरिफ और व्यापार की शर्तों को तय करने वाला एक औपचारिक दस्तावेज़ नहीं होगा, बल्कि यह हमारे द्विपक्षीय संबंधों को अगले एक दशक तक ले जाने वाला एक शक्तिशाली लॉन्चपैड होगा।” उन्होंने आगे स्पष्ट किया कि यह समझौता न केवल दोनों देशों के बीच निवेश और व्यापार के प्रवाह को अप्रत्याशित रूप से मज़बूत करेगा, बल्कि यह टेक्नोलॉजी, उच्च शिक्षा, स्वच्छ ऊर्जा, रक्षा सहयोग और डिजिटल नवाचार जैसे भविष्य के क्षेत्रों में भी नए और व्यापक अवसर खोलेगा।
स्टार्मर ने प्रधानमंत्री मोदी की “अर्थव्यवस्था को डिजिटलाइज़ेशन और ग्लोबल पार्टनरशिप की दिशा में ले जाने वाली दूरदर्शी नीतियों” की खुले दिल से सराहना की और भरोसा दिलाया कि ब्रिटेन, भारत के साथ अपनी “21वीं सदी की साझेदारी” को एक बिल्कुल नई और अभूतपूर्व ऊँचाई पर ले जाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है, जिससे दोनों देशों के नागरिकों को सीधा लाभ मिलेगा।
मोदी बोले — “भारत-ब्रिटेन के रिश्ते अब नए युग में प्रवेश कर रहे हैं”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने वक्तव्य में भारत और ब्रिटेन के बीच के ऐतिहासिक और गहरे संबंधों को रेखांकित करते हुए कहा कि ये संबंध अब एक “21वीं सदी की वैश्विक साझेदारी” में तेजी से बदल रहे हैं। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत-ब्रिटेन व्यापार समझौता केवल आर्थिक विकास का एक माध्यम बनकर नहीं रहेगा, बल्कि यह रोज़गार सृजन, नवाचार को बढ़ावा देने और सतत विकास (Sustainable Development) में भी एक बहुत बड़ा और सकारात्मक योगदान देगा।
मोदी ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत का वर्तमान लक्ष्य अपनी प्रमुख पहलों जैसे “मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया और आत्मनिर्भर भारत” के ज़रिए वैश्विक आर्थिक साझेदारी को मजबूत बनाना है, और ब्रिटेन इस दिशा में भारत के लिए “एक प्रमुख और विश्वसनीय रणनीतिक साझेदार” साबित हो सकता है। दोनों नेताओं के बयान में यह साफ़ दिखा कि यह साझेदारी अब केवल पुराने औपनिवेशिक संबंधों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भविष्य की समान चुनौतियों और अवसरों पर आधारित है।
पृष्ठभूमि: 30 बिलियन डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार, 2025 तक दोगुना करने का लक्ष्य
वर्तमान समय में भारत और ब्रिटेन के बीच का द्विपक्षीय व्यापार लगभग 30 बिलियन डॉलर के आस-पास है। प्रस्तावित FTA के लागू होने के बाद दोनों देशों का एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य है कि इस आँकड़े को 2025 तक दोगुना करके 60 बिलियन डॉलर तक पहुँचाया जाए। यह समझौता दोनों अर्थव्यवस्थाओं के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों को कवर करेगा। इस समझौते में शामिल प्रमुख क्षेत्र हैं: वस्त्र और परिधान उद्योग, आईटी और सॉफ्टवेयर सेवाएँ, फार्मास्यूटिकल्स, वित्तीय सेवाएँ, रक्षा सहयोग, नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) और कृषि उत्पाद व खाद्य निर्यात। ब्रिटेन की मुख्य इच्छा है कि भारत में उसके वित्तीय और तकनीकी निवेश को अधिक स्थिरता और सुरक्षा मिले, जबकि भारत की प्राथमिकता है कि ब्रिटिश बाज़ारों में भारतीय सामानों और सेवाओं पर लगने वाले शुल्कों (टैरिफ) को अधिकतम सीमा तक कम किया जाए, जिससे भारतीय निर्यातकों को बड़ी राहत मिल सके।
कीयर स्टार्मर का संकेत: “भारत-यूके व्यापार अब यूरोप से भी आगे जाएगा”
प्रधानमंत्री कीयर स्टार्मर ने ब्रेक्सिट के संदर्भ में एक बहुत ही सांकेतिक और कूटनीतिक बयान दिया। उन्होंने कहा कि यूरोपीय संघ से बाहर निकलने के बाद ब्रिटेन की सर्वोपरि प्राथमिकता “नए, विश्वसनीय और रणनीतिक मित्र” बनाना है, और इसमें भारत सबसे बड़ा और सबसे सहयोगी देश बनकर उभर रहा है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा — “हम भारत के साथ व्यापार में वही दीर्घकालिक भरोसा स्थापित करना चाहते हैं जो कभी हमने यूरोपीय संघ के साथ साझा किया था, बल्कि हमारा लक्ष्य है कि यह साझेदारी विश्वास और व्यापार की मात्रा में उससे भी अधिक हो।”
स्टार्मर ने यह भी जोड़ा कि ब्रिटेन के शीर्ष विश्वविद्यालयों, तकनीकी संस्थानों और नवोदित स्टार्टअप्स को भारत के साथ स्किल डेवलपमेंट, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और क्लीन एनर्जी प्रोजेक्ट्स में सक्रिय रूप से जोड़ा जाएगा। यह स्पष्ट संकेत है कि ब्रिटेन अब तेज़ी से बढ़ते भारतीय बाज़ार को यूरोप के विकल्प के रूप में देख रहा है।
ब्रिटिश व्यापार जगत की प्रतिक्रिया: “मोदी-स्टार्मर मुलाकात ने नई उम्मीद जगाई”
ब्रिटेन के प्रमुख व्यापारिक संगठनों और उद्योगपतियों ने इस उच्च-स्तरीय बैठक का गर्मजोशी से स्वागत किया है। यूके-इंडिया बिज़नेस काउंसिल (UKIBC) ने बयान जारी कर कहा — “यह मुलाकात केवल राजनीतिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि कारोबारी और आर्थिक दृष्टि से भी ऐतिहासिक है। भारत ब्रिटिश निवेश के लिए इस समय सबसे बड़ा और सबसे तेज़ी से उभरता हुआ बाज़ार है, और हमें पूरा विश्वास है कि यह FTA समझौता दोनों देशों की अर्थव्यवस्था के लिए अभूतपूर्व रूप से लाभकारी साबित होगा।” ब्रिटिश उद्योग जगत का मानना है कि यह समझौता ब्रिटेन के लिए ब्रेक्सिट के बाद अपने ट्रेड नेटवर्क को मज़बूत करने का एक सुनहरा अवसर प्रदान करेगा, वहीं भारत को यूरोपीय बाज़ारों तक पहुँचने के लिए एक महत्वपूर्ण अप्रत्यक्ष मार्ग भी उपलब्ध कराएगा। यह सहयोग दोनों देशों के लिए साझी आर्थिक समृद्धि का आधार बनेगा।
टेक्नोलॉजी और एजुकेशन सेक्टर में नई पहल
बैठक के दौरान दोनों देशों के बीच केवल वस्तुओं के व्यापार पर ही नहीं, बल्कि टेक्नोलॉजी इनोवेशन पार्टनरशिप, यूथ एक्सचेंज प्रोग्राम, और विज्ञान एवं शोध में सहयोग पर भी महत्वपूर्ण सहमति बनी। भारत में ब्रिटिश विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर संयुक्त डिग्री कार्यक्रमों और स्टार्टअप इनक्यूबेशन सेंटर स्थापित करने की ठोस योजनाएँ भी प्रस्तावित की गई हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि “भारत का युवा वर्ग दुनिया के सबसे तेज़ सीखने वाले और नवोन्मेषी लोगों में से एक है — और ब्रिटेन के साथ सहयोग से यह नवाचार और भी सशक्त और ग्लोबल बनेगा।” यह पहल दोनों देशों के बीच ज्ञान और कौशल के आदान-प्रदान को बढ़ावा देगी, जिससे भविष्य में उच्च-तकनीकी क्षेत्रों में एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करने का आधार मज़बूत होगा।
कूटनीतिक संदेश: आर्थिक सहयोग के साथ राजनीतिक भरोसा भी
यह महत्वपूर्ण मुलाकात केवल व्यापारिक समझौतों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे कूटनीतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। ब्रिटेन ने हाल के वर्षों में भारत के साथ अपने रक्षा और खुफिया सहयोग को लगातार बढ़ाया है, और प्रधानमंत्री स्टार्मर की यह यात्रा दोनों देशों के बीच “विश्वास की पुनर्स्थापना” का एक स्पष्ट संकेत देती है। विशेषज्ञ इस बात पर सहमत हैं कि भारत अब पश्चिमी देशों के लिए केवल एक उपभोक्ता बाज़ार नहीं रहा है, बल्कि उसे एक प्रमुख रणनीतिक सहयोगी शक्ति के रूप में देखा जा रहा है जो एशियाई और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
भारत-ब्रिटेन साझेदारी का नया दौर
कीयर स्टार्मर और नरेंद्र मोदी की यह सफल मुलाकात उस दिशा में एक निर्णायक कदम है जहाँ भारत और ब्रिटेन साझी समृद्धि, तकनीकी नेतृत्व और भू-राजनीतिक स्थिरता की ओर मिलकर बढ़ सकते हैं। स्टार्मर का “लॉन्चपैड” बयान इस बात का प्रतीक है कि यह समझौता केवल एक व्यापारिक दस्तावेज़ नहीं है, बल्कि यह भविष्य की व्यापक साझेदारी की एक विस्तृत रूपरेखा है। अगर यह समझौता तय रूप में और सफलता से लागू होता है, तो यह न केवल दोनों देशों की अर्थव्यवस्था को अभूतपूर्व गति देगा, बल्कि यह मजबूत संदेश भी देगा कि भारत अब विश्व मंच पर केवल उभरता बाज़ार नहीं, बल्कि वैश्विक नीति निर्धारण का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन चुका है।