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आईटी पार्क से लूट पार्क तक का सफर: धामी सरकार का “डबल दलाली” मापदंड — पवन खेड़ा

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देहरादून/नई दिल्ली 11 अक्टूबर 2025

उत्तराखंड की सत्ताधारी डबल इंजन सरकार पर कांग्रेस ने आज एक और सबसे गंभीर और सीधा आरोप लगाया है, जिसके केंद्र में देहरादून का बहुप्रतीक्षित आईटी पार्क है, जिसे राज्य के युवाओं के तकनीकी भविष्य और रोजगार की नींव के रूप में स्थापित किया गया था। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और उनकी सरकार को सीधे निशाने पर लेते हुए कहा है कि यह डबल इंजन अब विकास का नहीं, बल्कि “दलाली का डबल मापदंड” बन गया है, जिसने आईटी पार्क को “कॉरपोरेट मुनाफे की हवेली” में बदलने की एक सुनियोजित साज़िश रची है।

खेड़ा ने अपने तीखे हमले में स्पष्ट रूप से आरोप लगाया कि जिस सरकारी ज़मीन को उत्तराखंड के युवाओं के भविष्य के लिए सुरक्षित रखा गया था, उसे अब एक निजी बिल्डर को अपार्टमेंट्स और फ़्लैट बनाने के लिए संदिग्ध निविदा प्रक्रिया के तहत “उपहार में सौंपा गया” है, और इससे भी अधिक चौंकाने वाली बात यह है कि सरकार खुद इस अवैध सौदे की फाइनेंसर बन गई है। उन्होंने इस पूरे कृत्य को “डबल इंजन सरकार का नया चमत्कार” बताते हुए कहा कि यह मामला केवल भ्रष्टाचार का नहीं है, बल्कि यह राज्य के लाखों युवाओं की उम्मीदों और सपनों की हत्या करने जैसा अक्षम्य अपराध है, जिसे सत्ता की सांठगांठ से अंजाम दिया जा रहा है।

लोकतंत्र पर हमला और पत्रकार को डराने की कोशिश: सत्ता की बौखलाहट

इस चौंकाने वाले कॉरपोरेट-सरकारी गठजोड़ का खुलासा होने के बाद मुख्यमंत्री धामी की सरकार की बौखलाहट और सत्ता की दमनकारी प्रवृत्ति भी सार्वजनिक रूप से सामने आ गई है, जिसने लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर सीधा हमला किया है। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने जोर देकर कहा कि “जवाबदेही तय करने के बजाय मुख्यमंत्री धामी की सरकार अब डराने-धमकाने पर उतर आई है।” इस पूरे मामले का निर्भीकता से खुलासा करने वाले पत्रकार अजीत सिंह राठी को SIDCUL (स्टेट इंफ्रास्ट्रक्चर एंड इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ऑफ उत्तराखंड लिमिटेड) की तरफ़ से सीधे कानूनी नोटिस भेजा गया है। पत्रकार राठी ने स्वयं अपने ‘X’ (पूर्व ट्विटर) अकाउंट पर इस दमनकारी रणनीति का खुलासा करते हुए लिखा कि, “मैंने चार दिन पहले पोस्ट किया था कि SIDCUL ने आईटी पार्क की ज़मीन 90 साल की लीज पर एक निजी कंपनी को दी है।

इसके बाद मुझे सुप्रीम कोर्ट के वकील के माध्यम से लीगल नोटिस भेजा गया। तीन दिन तक सरकारी लोग वर्दी में मेरे घर आते रहे — यह मेरे परिवार पर मानसिक दबाव डालने की कोशिश थी।” राठी ने इस सीधे दबाव के बावजूद मुख्यमंत्री धामी को एक निर्भीक संदेश दिया कि “मुख्यमंत्री जी, आप नोटिस भेजते रहिए, लेकिन मैं राज्यहित के मुद्दे उठाना बंद नहीं करूंगा। मेरा सवाल वही है — सरकारी ज़मीन निजी बिल्डर को क्यों दी जा रही है? इससे उत्तराखंड का भला कैसे होगा?” यह घटना स्पष्ट करती है कि धामी सरकार सत्य को दबाने और अपनी कारपोरेट साठगांठ को छिपाने के लिए किस हद तक जा सकती है।

जनसंपत्ति की संगठित लूट: कमीशनखोरी का ठेका और लोकतंत्र की कब्रगाह

कांग्रेस ने तीखे शब्दों में कहा है कि उत्तराखंड सरकार अब जनहित के शासन का नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार और कॉरपोरेट साठगांठ का पर्याय बन चुकी है, जिसने राज्य को लोकतंत्र की कब्रगाह में तब्दील करने का प्रयास किया है। पवन खेड़ा ने आरोप लगाया कि “सरकार ने जनता की संपत्ति, युवाओं का भविष्य और राज्य की विश्वसनीयता — तीनों को एक साथ गिरवी रख दिया है,” और यह कोई सामान्य भ्रष्टाचार नहीं, बल्कि जनसंपत्ति की संगठित लूट है। उन्होंने सीधे सवाल उठाया कि “जब सरकार खुद डेवलपर की फाइनेंसर बन जाए, तो क्या यह शासन है या कमीशनखोरी का ठेका?”

कांग्रेस ने इस कार्रवाई को लोकतंत्र और प्रेस की आज़ादी पर एक गंभीर हमला बताया, जहाँ सच्चाई बोलने वालों को डराया जा रहा है और जनता की जमीन को कॉरपोरेट के हवाले किया जा रहा है। खेड़ा ने कहा, “पत्रकारों को धमकाना, सच्चाई दबाना और जनता की जमीन को कॉरपोरेट के हवाले करना — यही धामी सरकार का असली चेहरा है। यह वही डबल इंजन है जो ऊपर से ‘विकास’ की बात करता है और नीचे से ‘दलाली और दमन’ की डिलीवरी देता है।” पत्रकार अजीत सिंह राठी ने भी सरकार की मंशा पर कटाक्ष करते हुए कहा कि “धामी सरकार अब कॉरपोरेट के लिए दलाल और जनता के लिए दुश्मन बन गई है। जो आईटी पार्क रोजगार का केंद्र बन सकता था, वह अब बिल्डरों के मुनाफे की मंडी बन चुका है।”

डबल इंजन नहीं, “डबल भ्रष्टाचार सरकार” का मॉडल: कांग्रेस का सीधा वार

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने इस पूरे प्रकरण को उत्तराखंड की राजनीतिक और प्रशासनिक शुचिता पर लगा सबसे बड़ा धब्बा बताते हुए कहा कि “धामी सरकार ने जो किया है, वह सिर्फ धोखाधड़ी नहीं, बल्कि उत्तराखंड के युवाओं के सपनों की तिजोरी लूटने जैसा अक्षम्य अपराध है।” उन्होंने दो टूक कहा कि आईटी पार्क को रियल एस्टेट पार्क बना देना “डबल इंजन सरकार” नहीं, बल्कि “डबल भ्रष्टाचार सरकार” की स्पष्ट पहचान है, जो केवल सत्ता और संपत्ति को कुछ चुनिंदा लोगों के हाथ में केंद्रित करने के सिद्धांत पर काम करती है।

खेड़ा ने आगे चेतावनी दी कि “पत्रकारों को चुप कराने से सच्चाई नहीं रुकती,” क्योंकि उत्तराखंड की जनता अब इस सरकारी और कॉरपोरेट साठगांठ को पहचान चुकी है और जल्द ही इस “कॉरपोरेट कब्ज़े” के खिलाफ सड़कों पर उतरकर निर्णायक लड़ाई लड़ेगी। यह विवाद अब उत्तराखंड की राजनीति को गहराई तक हिला चुका है, जहाँ जनता यह सवाल कर रही है कि क्या आईटी पार्क जैसे संस्थान युवाओं की नौकरियों की बजाय रियल एस्टेट डीलिंग का अड्डा बन गए हैं, क्या सरकार जनहित की जगह अब बिल्डरों के हित में काम कर रही है, और क्या पत्रकारों की आवाज़ दबाना ही “गुड गवर्नेंस” का नया चेहरा है?

पवन खेड़ा का तीखा निष्कर्ष: लोकतंत्र पर “डबल खतरा”

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने अपने निष्कर्ष में इस पूरे घोटाले को भाजपा की विचारधारा का आईना बताया। उन्होंने कहा कि “देहरादून का आईटी पार्क आज बीजेपी की सोच का आईना बन गया है — जहाँ युवाओं का भविष्य बिकता है, और सत्य बोलने वालों को धमकियाँ मिलती हैं।” उनके अनुसार, यह केवल एक स्थानीय घोटाला नहीं है, बल्कि यह उस विचारधारा का विस्तार है जो सत्ता को कॉरपोरेट सौदे में, और सत्य को सरकारी नोटिस में बदल देती है।

खेड़ा ने अंतिम चेतावनी दी कि “यह वही भारत है जहाँ ‘डबल इंजन सरकार’ अब ‘डबल खतरा’ बन चुकी है — एक लोकतंत्र के लिए, और दूसरा जनता के लिए,” क्योंकि इसने न केवल राज्य के संसाधनों को लूटा है, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को भी रौंदने का प्रयास किया है। यह रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि उत्तराखंड में विकास के नारों के पीछे जनसंपत्ति की लूट और सत्ता का दुरुपयोग किस प्रकार बेलगाम हो चुका है।

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