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“फिल्मों से घर तक – नाम्रता शिरोडकर का महेश बाबू के लिए लिया गया सबसे बड़ा फैसला”

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तेलुगु सुपरस्टार महेश बाबू और बॉलीवुड अभिनेत्री व पूर्व मिस इंडिया नाम्रता शिरोडकर की प्रेम कहानी सिनेमा से निकलकर हकीकत में बदलने वाली एक ऐसी दास्तान है, जिसमें रोमांस, त्याग और पारिवारिक मूल्यों की गहरी झलक मिलती है। दोनों की मुलाकात साल 2000 में तेलुगु फिल्म वंसी के सेट पर हुई। यह एक साधारण-सी मुलाकात थी, लेकिन जैसे-जैसे शूटिंग आगे बढ़ी, दोस्ती ने जगह ली और फिर यह रिश्ता धीरे-धीरे मोहब्बत में बदल गया। पांच साल तक चले इस खूबसूरत सफर के बाद 2005 में दोनों ने सात फेरे लिए।

लेकिन इस शादी के साथ ही नाम्रता ने एक ऐसा फैसला लिया जिसने उनकी जिंदगी की दिशा पूरी तरह बदल दी—उन्होंने फिल्मों को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया। नाम्रता ने एक पुराने इंटरव्यू में बताया था कि महेश बाबू ने शादी से पहले ही साफ शब्दों में कह दिया था कि वे एक “नॉन-वर्किंग वाइफ” चाहते हैं। उनका मानना था कि शादी के बाद पत्नी का पूरा ध्यान घर और परिवार पर होना चाहिए। नाम्रता ने कहा कि अगर वे किसी ऑफिस में भी काम कर रही होतीं, तो महेश उनसे वह काम छोड़ने के लिए कहते। उनके लिए यह कोई त्याग नहीं, बल्कि अपने रिश्ते के लिए लिया गया सहज निर्णय था, क्योंकि वे भी चाहती थीं कि शादी के बाद उनका प्राथमिक फोकस परिवार हो।

नाम्रता के इस फैसले के बाद उन्होंने खुद को पूरी तरह से घरेलू जिंदगी में ढाल लिया। वे पर्दे से दूर रहीं, लेकिन महेश के करियर और बच्चों की परवरिश में उनकी भूमिका बेहद अहम रही। वहीं महेश बाबू ने इस दौरान कई ब्लॉकबस्टर फिल्में दीं और दक्षिण भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े सितारों में अपनी पहचान मजबूत की। उनके घर की तस्वीरें और सार्वजनिक कार्यक्रमों में साथ की झलक हमेशा यह साबित करती है कि दोनों के बीच आपसी सम्मान, समझ और भरोसा उनके रिश्ते की सबसे बड़ी ताकत है।

आज, शादी के दो दशक बाद भी महेश और नाम्रता की जोड़ी इंडस्ट्री में ‘रिलेशनशिप गोल्स’ मानी जाती है। यह कहानी सिर्फ एक एक्ट्रेस के फिल्म छोड़ने की नहीं, बल्कि उस समझौते की है जिसे दो लोग अपनी-अपनी प्राथमिकताओं और एक-दूसरे की खुशियों के लिए अपनाते हैं। नाम्रता का यह सफर दिखाता है कि सच्ची पार्टनरशिप में कभी-कभी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं से ऊपर उठकर साझा जीवन की सफलता को चुनना ही सबसे बड़ी जीत होती है।

 

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