न्यूयॉर्क 23 सितंबर 2025
फ्रांस की बड़ी पहल
फ्रांस ने गाज़ा को स्थिर और सुरक्षित बनाने के लिए एक अहम प्रस्ताव रखा है। राष्ट्रपति इम्मैनुएल मैक्रों का मानना है कि युद्ध के बाद गाज़ा को अकेला छोड़ देना खतरनाक होगा। ऐसे में वहां एक अंतरराष्ट्रीय स्थिरीकरण फोर्स (International Stabilization Force) भेजी जानी चाहिए। यह फोर्स संयुक्त राष्ट्र की अनुमति और निगरानी में काम करेगी ताकि इसकी वैधता बनी रहे और दुनिया भर से समर्थन मिल सके।
मिशन का मुख्य मकसद
फ्रांस के प्रस्ताव के मुताबिक, इस मिशन का सबसे बड़ा लक्ष्य गाज़ा के लोगों को सुरक्षा देना और वहां स्थिरता कायम करना होगा। साथ ही यह मिशन हमास को धीरे-धीरे हथियार छोड़ने पर मजबूर करेगा और उसकी राजनीतिक-सैन्य पकड़ को कम करेगा। इसके बाद गाज़ा की आंतरिक सुरक्षा और प्रशासनिक जिम्मेदारी धीरे-धीरे पेलेस्टिनी अथॉरिटी (PA) को सौंपी जाएगी। इसके अलावा नागरिकों तक मानवीय सहायता पहुँचाना, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की बहाली करना और पुनर्निर्माण कार्य शुरू करना भी इस मिशन का हिस्सा होगा।
किन देशों की भागीदारी संभव
फ्रांस चाहता है कि इस मिशन में सिर्फ पश्चिमी देश ही नहीं, बल्कि अरब देश भी शामिल हों। शुरुआती चर्चा में जिन देशों के नाम आए हैं, उनमें मिस्र, जॉर्डन, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और कतर शामिल हैं। इन देशों की भागीदारी से मिशन को स्थानीय समर्थन मिलेगा और क्षेत्रीय संतुलन भी बना रहेगा। यह देशों की संयुक्त मौजूदगी गाज़ा के लोगों में भरोसा पैदा करेगी कि यह सिर्फ किसी एक पक्ष का एजेंडा नहीं है।
इज़राइल और अन्य चुनौतियाँ
हालांकि इस प्रस्ताव को लेकर चुनौतियाँ भी कम नहीं हैं। सबसे बड़ी चुनौती इज़राइल की सहमति है। इज़राइल अक्सर अंतरराष्ट्रीय फोर्स को लेकर संदेह जताता है क्योंकि उसे सुरक्षा और रणनीतिक नियंत्रण की चिंता रहती है। इसके अलावा, गाज़ा में हमास को कमज़ोर करना इतना आसान नहीं होगा। हमास लंबे समय से इस इलाके पर नियंत्रण बनाए हुए है और उसकी सैन्य ताकत को खत्म करना बेहद कठिन काम है। साथ ही, अंतरराष्ट्रीय फोर्स की लागत, संसाधन और उसकी जवाबदेही पर भी सवाल उठ सकते हैं।
मौजूदा स्थिति और आगे की राह
यह प्रस्ताव अभी ड्राफ्ट चरण में है और इसे संयुक्त राष्ट्र की आमसभा या सुरक्षा परिषद में मंजूरी दिलाने की कोशिश की जाएगी। फ्रांस ने हाल ही में पेलेस्टिनी राज्य को मान्यता दी है, जिससे इस मिशन को राजनीतिक आधार भी मिलता है। कई यूरोपीय देश इस दिशा में फ्रांस का साथ देने के लिए तैयार दिख रहे हैं। वहीं, अमेरिका और इज़राइल इस विचार को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं हैं। उनका कहना है कि जब तक हमास को पूरी तरह निष्क्रिय नहीं किया जाता, तब तक ऐसी फोर्स की मौजूदगी नाकाफी होगी।
फ्रांस का यह प्रस्ताव गाज़ा के भविष्य को बदलने की क्षमता रखता है। अगर अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस पर सहमत हो जाता है, तो गाज़ा में एक नया राजनीतिक और सामाजिक ढांचा खड़ा हो सकता है। लेकिन इसकी राह आसान नहीं है। इज़राइल की सहमति, हमास की प्रतिक्रिया और अंतरराष्ट्रीय समर्थन—ये तीनों कारक तय करेंगे कि यह प्रस्ताव हकीकत बन पाएगा या सिर्फ कागज़ों में ही रह जाएगा।