राजधानी दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में शुक्रवार को अचानक उस वक्त सरगर्मी तेज़ हो गई जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बगैर किसी पूर्व सूचना के राष्ट्रपति भवन पहुंचे और देश की प्रथम नागरिक, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से विशेष मुलाकात की। प्रधानमंत्री मोदी की मुलाकात के कुछ घंटों बाद गृहमंत्री अमित शाह ने भी राष्ट्रपति से मुलाकात की है। माना जा सकता है कि यह एक रणनीतिक संवाद रहा होगा – जो आने वाले कुछ बड़े फैसलों की आहट दे रहा है।
दोनों दिग्गज नेताओं की राष्ट्रपति से मुलाकात संसद, सुरक्षा, विदेश नीति और संवैधानिक संतुलन जैसे मुद्दों पर केंद्रित मानी जा रही है। यह मुलाकात ऐसे समय पर हुई है जब एक ओर जम्मू-कश्मीर में बड़े सैन्य ऑपरेशन चल रहे हैं, वहीं दूसरी ओर विपक्ष भारत-पाकिस्तान एशिया कप मैच, चुनाव आयोग की निष्पक्षता और देश में हो रहे कथित सत्ता के दुरुपयोग को लेकर आक्रामक रुख अपनाए हुए है।
प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री शाह की राष्ट्रपति मुर्मु के बीच की यह मुलाकात कई मायनों में अहम मानी जा रही है। राष्ट्रपति भवन से अभी तक कोई आधिकारिक प्रेस नोट जारी नहीं किया गया है, लेकिन समझा जा सकता है कि यह “राष्ट्रहित में एक गहन और सार्थक संवाद” रहा होगा।
यह मुलाकात देश की वर्तमान संवैधानिक, राजनीतिक और रणनीतिक दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। खासतौर पर यदि मानसून सत्र में कुछ अत्यधिक बड़े विधेयक या राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी घोषणाएं होने वाली हों तो राष्ट्रपति की सहमति और रणनीतिक समर्थन बेहद आवश्यक होता है।