श्रीनगर 10 अगस्त 2025
कश्मीर घाटी में शनिवार को एक ऐतिहासिक पल दर्ज हुआ, जब पंजाब के रूपनगर से लदी पहली मालगाड़ी अनंतनाग गुड्स शेड पहुंची। इस मालगाड़ी में 21 वैगनों में कुल 1,380 मीट्रिक टन सीमेंट लदा था, जिसने करीब 600 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए घाटी में प्रवेश किया। भारतीय रेलवे ने इसे लॉजिस्टिक और आर्थिक विकास के नए युग की शुरुआत बताया है। यह सेवा न केवल कश्मीर के लिए बल्कि पूरे उत्तर भारत के लिए व्यापार, निर्माण और औद्योगिक गतिविधियों को नई गति देने वाली है। रेलवे अधिकारियों के अनुसार, यह कदम घाटी के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और वहां के उद्योगों को राष्ट्रीय बाजारों से जोड़ने में अहम भूमिका निभाएगा।
रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी हिमांशु शेखर उपाध्याय ने जानकारी दी कि 7 अगस्त की रात 11:14 बजे सीमेंट लदान का आदेश (इंडेंट) दिया गया था। इसके बाद रात 9:40 बजे रेक (ट्रेन) की व्यवस्था की गई और शाम 6:10 बजे लदान का कार्य पूरा कर लिया गया। उसी शाम 6:55 बजे ट्रेन रूपनगर के गुजरात अंबुजा सीमेंट लिमिटेड (GACL) फैक्ट्री से रवाना हुई और लगभग 18 घंटे की यात्रा के बाद अनंतनाग पहुंची। इस सफलता के साथ कश्मीर घाटी अब माल ढुलाई की तेज, सस्ती और आधुनिक व्यवस्था से जुड़ गई है, जो यहां के व्यापारिक परिदृश्य को बदलने में सक्षम है।
कृषि और व्यापार जगत में इस उपलब्धि को लेकर खासा उत्साह है। सोपोर फल मंडी के अध्यक्ष फ़याज़ अहमद मलिक ने कहा कि अब तक दिल्ली तक फलों की ढुलाई में छह दिन लगते थे और प्रति डिब्बा 100 रुपये से अधिक खर्च होता था। लेकिन मालगाड़ी सेवा के शुरू होने से यह लागत घटकर लगभग 30 रुपये रह जाएगी और समय भी केवल 30 घंटे लगेगा। इसका सीधा लाभ सेब, चेरी, और अन्य बागवानी उत्पादों को मिलेगा, जिससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी और उनके उत्पाद समय पर और ताजगी के साथ बाजार तक पहुंच सकेंगे।
इस पहल का सबसे बड़ा असर घाटी के निर्माण और विकास कार्यों पर पड़ेगा। सीमेंट की आसान और सस्ती आपूर्ति से सड़कें, पुल, सरकारी इमारतें और आवासीय परियोजनाएं तेज रफ्तार से पूरी होंगी। यह सेवा पर्यटन, औद्योगिक निवेश और रोजगार के नए अवसर पैदा करने में मदद करेगी। रेलवे मंत्रालय का मानना है कि यह कदम ‘उधमपुर–श्रीनगर–बरामूला रेल लिंक (USBRL)’ के पूर्ण संचालन के बाद घाटी को आर्थिक मुख्यधारा में शामिल करने का अगला महत्वपूर्ण पड़ाव है।
यह ऐतिहासिक मालगाड़ी केवल सीमेंट नहीं लेकर आई है, बल्कि अपने साथ एक संदेश भी लाई है — कश्मीर अब विकास, व्यापार और कनेक्टिविटी के एक नए अध्याय में प्रवेश कर चुका है, जहां समय, संसाधन और अवसर की कोई कमी नहीं होगी। आने वाले समय में, यह रेल सेवा घाटी को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय व्यापार मानचित्र पर और अधिक सशक्त उपस्थिति दिलाने का जरिया बनेगी।