शामली (उत्तर प्रदेश) 3 नवंबर 2025
ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ प्रशासनिक सख्ती के बीच शामली जिले के एक गांव में मस्जिद के इमाम के खिलाफ लाउडस्पीकर निर्धारित सीमा से अधिक आवाज़ में बजाने के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई है। पुलिस के अनुसार, इमाम पर यह भी आरोप है कि उन्होंने कई बार चेतावनी मिलने के बावजूद लाउडस्पीकर की आवाज़ कम नहीं की, जिसके चलते गांव में असंतोष और कानून-व्यवस्था को लेकर शिकायतें बढ़ने लगीं। यह मामला ऐसे समय में सामने आया है जब यूपी सरकार ने बार-बार यह स्पष्ट किया है कि धार्मिक स्थलों पर ध्वनि विस्तारक यंत्रों के इस्तेमाल पर Supreme Court और High Court के दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन होना चाहिए, चाहे वह किसी भी धर्म से संबंधित हो।
स्थानीय लोगों और शिकायतकर्ताओं का कहना है कि सुबह और देर रात के समय भी लाउडस्पीकर की आवाज़ बेहद तेज़ रहती थी, जिससे स्कूली बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। पुलिस ने गांव में सुरक्षा बढ़ा दी है और यह सुनिश्चित किया है कि घटना को धार्मिक रंग न दिया जाए। प्रशासनिक अधिकारियों के मुताबिक, यह कार्रवाई ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण कानून के तहत की गई है, और नियमों का उल्लंघन करने वालों पर अब किसी भी स्तर पर नरमी नहीं बरती जाएगी।
पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर के बाद गांव में राजनीतिक और सामाजिक चर्चाओं का दौर तेज हो गया है। कुछ लोग इसे कानून का सीधा-सीधा पालन मान रहे हैं, जबकि कुछ इसे धार्मिक भावनाओं से जोड़ते हुए प्रशासन पर偏भाव का आरोप लगा रहे हैं। जिला प्रशासन लगातार अपील कर रहा है कि लोग न्यायिक प्रक्रिया पर विश्वास रखें और किसी भी अफवाह या भड़काऊ बयानबाज़ी से दूर रहें। अधिकारी यह भी कह रहे हैं कि राज्य सरकार की नीति साफ है — धर्म से ऊपर कानून — और अगर कोई भी व्यक्ति, संस्था या धार्मिक स्थल निर्धारित ध्वनि सीमा का उल्लंघन करेगा तो कार्रवाई अनिवार्य होगी।
यूपी पुलिस का दावा है कि ध्वनि प्रदूषण को लेकर राज्यभर में अभियान चल रहा है और सभी धर्मस्थलों पर मानक लागू कराए जा रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि अगर अन्य जगहों से भी ऐसी शिकायतें आती हैं तो बिना किसी भेदभाव के कार्रवाई की जाएगी। इस मामले के बाद कई अन्य क्षेत्रों में भी प्रशासन एक्टिव हो गया है और धार्मिक संस्थानों को लिखित नोटिस देकर चेतावनी जारी की जा रही है।
चाहे वह पूजा-पाठ हो, अजान हो या कोई अन्य धार्मिक आयोजन — ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ शासन और प्रशासन का रुख अब सख्त और स्पष्ट है। शामली का यह मामला केवल एक घटना नहीं, बल्कि संदेश है कि कानून की नजर में सब बराबर हैं और नियमों का उल्लंघन करने वालों को अब विशेष छूट नहीं मिलेगी।





