लखनऊ 19 सितंबर 2025
घोटाले का खुलासा और FIR का असर
लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) से जुड़े भूमि घोटाले में उत्तर प्रदेश की राजनीति में भूचाल आ गया है। लखनऊ पुलिस ने इस घोटाले की जांच के दौरान कई नामचीन लोगों को आरोपी बनाते हुए FIR दर्ज की है। इसमें सबसे अहम नाम है उत्तर प्रदेश महिला आयोग की उपाध्यक्ष और भाजपा नेता अपर्णा यादव की मां का। कुल मिलाकर पांच लोगों पर यह FIR दर्ज हुई है। इस कार्रवाई से साफ है कि मामला अब बेहद गंभीर हो चुका है और प्रशासन को मजबूर होकर कानूनी कदम उठाना पड़ा है।
अपर्णा यादव कौन हैं और क्यों है मामला संवेदनशील
अपर्णा यादव का नाम राजनीति और समाजसेवा दोनों ही क्षेत्रों में जाना-पहचाना है। वे पहले समाजवादी पार्टी से जुड़ी थीं और मुलायम सिंह यादव परिवार की बहू हैं। लेकिन बाद में उन्होंने भाजपा का दामन थामा और फिलहाल उत्तर प्रदेश महिला आयोग की उपाध्यक्ष हैं। अपर्णा यादव की पहचान एक मुखर और सक्रिय महिला नेता की है। यही वजह है कि इस घोटाले में उनकी मां का नाम सामने आने से यह मामला बेहद संवेदनशील हो गया है। विपक्ष इस पर सीधे भाजपा और योगी सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा है।
एलडीए घोटाला आखिर है क्या?
लखनऊ विकास प्राधिकरण यानी एलडीए लंबे समय से विवादों में रहा है। आरोप है कि जमीनों की खरीद-फरोख्त, अवैध कब्ज़े, और दस्तावेज़ों में हेरफेर के जरिए करोड़ों रुपये का गोरखधंधा हुआ। यह कोई साधारण मामला नहीं बल्कि सत्ताधारी लोगों, प्रभावशाली परिवारों और प्रशासनिक मिलीभगत का खेल माना जा रहा है। पुलिस जांच में जब कड़ी दर कड़ी खुली, तो नामचीन परिवारों तक इसकी गूंज पहुंची। यही वजह है कि अब अपर्णा यादव की मां समेत पांच लोगों पर FIR दर्ज होना पूरे घोटाले को और बड़ा बना देता है।
राजनीति में उठा तूफ़ान और विपक्ष का हमला
जैसे ही यह खबर फैली, विपक्षी दलों ने इस पर तीखे बयानबाज़ी शुरू कर दी। सपा, कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों ने सवाल उठाया कि भाजपा सरकार में बैठी महिला आयोग की उपाध्यक्ष अपर्णा यादव का परिवार जब इस तरह के आरोपों में घिरा है, तो सरकार निष्पक्ष जांच कैसे करवा पाएगी? विपक्ष का कहना है कि यह “भ्रष्टाचार और सत्ता के गठजोड़” का ताज़ा उदाहरण है। दूसरी ओर भाजपा समर्थक यह दलील दे रहे हैं कि FIR होना ही इस बात का सबूत है कि कानून सबके लिए बराबर है।
जनता की उम्मीद और न्याय की मांग
यह मामला अब सिर्फ राजनीति तक सीमित नहीं है, बल्कि जनता भी इसे गहराई से देख रही है। आम लोगों का कहना है कि जब इतनी ऊंची कुर्सियों और रसूखदार परिवारों के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है, तो यह लोकतंत्र और न्याय व्यवस्था की जीत होगी। लेकिन लोग यह भी पूछ रहे हैं कि क्या जांच वाकई निष्पक्ष होगी या फिर सत्ता के दबाव में धीमी पड़ जाएगी। यदि यह घोटाला पूरी तरह से उजागर हुआ और दोषियों को सज़ा मिली, तो यह उत्तर प्रदेश की न्याय व्यवस्था के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा।