इस्लामाबाद/काबुल 16 अक्टूबर 2025
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच एक बार फिर सीमा पर गोलियों की गूंज सुनाई दी है। खैबर पख्तूनख्वा के तोरखम बॉर्डर पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच भीषण झड़प हुई, जिसमें कई सैनिकों के घायल होने की खबर है। यह झड़प इतनी तीव्र थी कि कई घंटों तक रुक-रुक कर गोलीबारी और मोर्टार फायरिंग चलती रही।
स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, यह टकराव तब शुरू हुआ जब अफगान पक्ष की ओर से पाकिस्तानी सीमा पर नई चौकियां बनाने और फेंसिंग हटाने का प्रयास किया गया। पाकिस्तानी रेंजर्स ने इसे “सीमा उल्लंघन” बताया और जवाबी फायरिंग शुरू कर दी। देखते ही देखते दोनों ओर से भारी हथियारों से गोलाबारी शुरू हो गई।
कई इलाकों में दहशत, सीमा व्यापार ठप
सीमा के आसपास बसे गांवों में दहशत का माहौल है। स्थानीय लोगों ने बताया कि फायरिंग के दौरान गोलियां कई घरों तक जा पहुंचीं। सुरक्षा कारणों से तोरखम बॉर्डर को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया है, जिससे अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच व्यापार पूरी तरह ठप हो गया है।
कबूतरों के बजाय बारूद — रिश्ते फिर तनाव में
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच यह कोई पहली मुठभेड़ नहीं है। पिछले कुछ महीनों से दोनों देशों के रिश्ते लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। पाकिस्तान सरकार का आरोप है कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल आतंकी संगठन TTP (Tehrik-e-Taliban Pakistan) द्वारा किया जा रहा है, जबकि काबुल इसे सिरे से नकारता रहा है।
विश्लेषकों का मानना है कि तालिबान सरकार और पाकिस्तान की आईएसआई के रिश्ते अब विश्वास की कमी के दौर से गुजर रहे हैं। खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में आतंकी हमलों की बढ़ती घटनाओं ने इस अविश्वास को और गहरा कर दिया है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंता
संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका ने दोनों देशों से संयम बरतने और बातचीत से विवाद सुलझाने की अपील की है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि इस क्षेत्र में सीमाई राजनीति, तस्करी और आतंकवाद का जटिल ताना-बाना इसे बारूद के ढेर पर बैठा क्षेत्र बना चुका है।
कुल मिलाकर, खैबर पख्तूनख्वा की यह झड़प सिर्फ गोलियों की नहीं, बल्कि दो पड़ोसी देशों के भरोसे के टूटने की आवाज़ है — जो दक्षिण एशिया की स्थिरता पर गहरा सवाल छोड़ रही है।