मंगलुरु, 11 अगस्त 2025
कर्नाटक के मंगलुरु में एक रिटायर्ड महिला के साथ हुए डिजिटल ठगी का मामला सामने आया है, जिसने सभी को हैरान कर दिया है। महिला सात महीनों तक ‘डिजिटल अरेस्ट’ की आड़ में ठगों के जाल में फंसी रही और इस दौरान उसने करीब 3.9 करोड़ रुपये गंवा दिए। पुलिस के अनुसार, ठगों ने महिला को फोन कर बताया कि उसके नाम से विदेश से ड्रग्स भेजे गए हैं और इस मामले में वह फंसी हुई है। ठगों ने खुद को पुलिस अधिकारी और अन्य सरकारी एजेंसियों का अधिकारी बताया, जिससे महिला भयभीत हो गई।
ठगों ने महिला को डिजिटल माध्यम से नियंत्रित करते हुए उसे लगातार कॉल, वीडियो चैट और मैसेज के जरिए मानसिक तौर पर दबाव में रखा। महिला से लगातार कहा जाता रहा कि वह किसी से संपर्क न करे और उनके निर्देशों का पालन करे। ठगों ने महिला से बड़ी-बड़ी रकम मांगनी शुरू कर दी, जिसे महिला ने डर के कारण अपने बैंक खातों से ट्रांसफर कर दिया। ठगों ने यह विश्वास दिलाया कि यह पैसा जांच प्रक्रिया का हिस्सा है और बाद में लौटाया जाएगा।
लगभग सात महीने तक इस डर और धोखे में फंसी महिला ने अंततः स्थानीय पुलिस से संपर्क किया और मामला उजागर हुआ। पुलिस ने तुरंत जांच शुरू कर दी है और साइबर ठगी के खिलाफ चेतावनी जारी की है। पुलिस का कहना है कि इस तरह के डिजिटल अरेस्ट के मामले बढ़ रहे हैं, जहां अपराधी मनोवैज्ञानिक दबाव बनाकर बड़ी रकम ऐंठते हैं।
पुलिस ने आम जनता से अपील की है कि यदि किसी को भी ऐसा कोई फोन कॉल या मैसेज आता है, जिसमें सरकारी अधिकारी होने का दावा कर डराया-धमकाया जाए, तो तुरंत पुलिस या साइबर क्राइम सेल से संपर्क करें। किसी भी संदिग्ध मांग को बिना जांच के पूरा न करें। डिजिटल दुनिया में बढ़ रहे इस तरह के फ्रॉड से बचने के लिए सतर्कता बेहद जरूरी है।
यह मामला न केवल साइबर अपराध की जटिलताओं को दर्शाता है, बल्कि डिजिटल जागरूकता की आवश्यकता को भी उजागर करता है, ताकि ऐसे शातिर ठगों से आम लोगों की सुरक्षा हो सके।