नई दिल्ली
18 जुलाई 2025
यूरोपीय संघ (EU) ने यूक्रेन पर चल रहे रूसी हमले के खिलाफ अपनी प्रतिक्रिया को और कड़ा करते हुए रूस पर 18वां प्रतिबंध पैकेज लागू कर दिया है। इस नए पैकेज का मकसद सीधा और स्पष्ट है—रूस की ऊर्जा आधारित अर्थव्यवस्था की रीढ़ तोड़नी। इसके तहत यूरोपीय संघ ने रूसी कच्चे तेल की बिक्री पर मूल्य सीमा को और सख्त कर दिया है, अब इसे $60 प्रति बैरल से घटाकर $47.6 कर दिया गया है। इससे रूस की आय में और गिरावट आने की संभावना है। इससे पहले के प्रतिबंधों से भी रूस को पहले ही अरबों यूरो की क्षति हो चुकी है, लेकिन यह नया कदम एक प्रकार से उसकी तेल निर्यात की रणनीति पर सीधा वार है।
‘शैडो फ्लीट’ पर प्रतिबंध: रूस की छिपी चाल पर लगाम लगाने की कोशिश
इस बार की कार्रवाई की सबसे खास बात है—रूस की उस रहस्यमय ‘शैडो फ्लीट’ पर प्रतिबंध लगाना, जो प्रतिबंधों से बचकर तेल और गैस को गुपचुप तरीके से विश्व के विभिन्न देशों तक पहुंचा रही थी। ये ऐसे जहाज होते हैं जो अपने स्वामित्व, बीमा और लोकेशन की जानकारी छिपाकर संचालन करते हैं, जिससे उन्हें वैश्विक प्रतिबंधों से बचने में मदद मिलती है। रूस ने इन जहाजों का इस्तेमाल खासकर भारत, चीन और कुछ अन्य एशियाई देशों में रियायती तेल भेजने के लिए किया था। अब EU ने ऐसे 100 से ज्यादा जहाजों को प्रतिबंधित कर दिया है, जिससे रूस की गुप्त लॉजिस्टिक रणनीति को गंभीर झटका लगा है। इससे न केवल आर्थिक दबाव बढ़ेगा, बल्कि यूरोप का यह संदेश भी स्पष्ट है कि वह अब केवल कूटनीतिक नहीं, बल्कि रणनीतिक मोर्चे पर भी आक्रामक होने को तैयार है।
रूस की आय पर असर: अब तक अरबों यूरो का नुकसान
इन प्रतिबंधों का असर रूस की जेब पर साफ देखा जा सकता है। आंकड़ों के मुताबिक, पिछले प्रतिबंधों के चलते रूस की ऊर्जा आय में भारी गिरावट आई है। अकेले मार्च 2025 में ऊर्जा से प्राप्त राजस्व में 13.7% की गिरावट दर्ज की गई, जो मार्च 2022 की तुलना में करीब 20.3% कम है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस नई मूल्य सीमा और छाया बेड़े पर रोक लगाने से रूस की विदेशी मुद्रा भंडार पर और अधिक दबाव पड़ेगा। इसके साथ-साथ सैन्य अभियान चलाने की उसकी क्षमता भी कमजोर हो सकती है, जो युद्ध की गति को धीमा कर सकती है। EU का यह प्रयास रूस को आर्थिक रूप से झुकाने का एक दीर्घकालिक खेल है, जिससे यूक्रेन में शांति स्थापित करने की दिशा में कूटनीतिक दबाव बढ़े।
राजनीतिक सहमति और भू-राजनीतिक संकेत
इस प्रतिबंध पैकेज को लागू करने में EU के सभी सदस्य देश सहमत हुए, हालांकि कुछ देशों—जैसे स्लोवाकिया—ने शुरुआत में इसका विरोध किया था। स्लोवाकिया अभी भी रूसी गैस पर आंशिक रूप से निर्भर है, लेकिन यूरोपीय आयोग ने उसे ऊर्जा सुरक्षा संबंधी आश्वासन देकर समर्थन प्राप्त कर लिया। इस कदम से यह भी स्पष्ट होता है कि EU अब पूरी एकजुटता से रूस की हर आर्थिक चाल का जवाब देने के लिए प्रतिबद्ध है। साथ ही यह अमेरिका, यूके और अन्य G7 देशों को भी यह संकेत देता है कि रूस को अंतरराष्ट्रीय मंच पर आर्थिक रूप से अलग-थलग करना अब सामूहिक जिम्मेदारी है।
रूस की प्रतिक्रिया और आगे की संभावना
रूस ने इस प्रतिबंध को अवैध और आक्रामक बताया है। क्रेमलिन ने कहा है कि वह अपनी अर्थव्यवस्था को पश्चिमी दबाव से बचाने के लिए वैकल्पिक बाजारों और सहयोगियों पर ध्यान केंद्रित करेगा। कुछ रूसी अधिकारियों ने दावा किया है कि इन प्रतिबंधों से पश्चिम को ही दीर्घकालिक ऊर्जा संकट झेलना पड़ेगा, खासकर सर्दियों के मौसम में। लेकिन यूरोपीय संघ का कहना है कि अब उसका जोर हर उस छेद को बंद करने पर है, जिससे रूस तेल बेचकर युद्ध के लिए पैसा जुटा रहा है। आने वाले समय में अगर इन प्रतिबंधों की निगरानी और क्रियान्वयन में सख्ती रही, तो यह रूस की युद्ध नीति और रणनीति को पंगु बना सकता है।
यूरोपीय संघ का यह नया प्रतिबंध पैकेज केवल आर्थिक हमला नहीं, बल्कि एक रणनीतिक दबाव है। यह दिखाता है कि पश्चिम अब केवल शब्दों से नहीं, बल्कि ठोस आर्थिक उपायों से रूस के आक्रामक रवैये का जवाब देने के लिए तैयार है। इससे यूक्रेन को मदद मिलने की संभावना बढ़ेगी, और अगर वैश्विक साझेदार साथ देते हैं, तो यह प्रतिबंध यूक्रेन में स्थायी शांति की दिशा में निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है।