नई दिल्ली 24 सितंबर 2025
चुनाव आयोग (ECI) ने बुधवार को एक अहम घोषणा करते हुए कहा कि जम्मू और कश्मीर से रिक्त पड़ी चार राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव आगामी 24 अक्टूबर 2025 को आयोजित किए जाएंगे। आयोग की अधिसूचना के अनुसार, इन चुनावों की पूरी प्रक्रिया 6 अक्टूबर से शुरू होगी और उसी दिन अधिसूचना जारी कर दी जाएगी। नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 13 अक्टूबर तय की गई है, जबकि नामांकन पत्रों की जांच 14 अक्टूबर को की जाएगी। नाम वापसी की आखिरी तारीख 16 अक्टूबर होगी। मतदान 24 अक्टूबर को सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक चलेगा और मतगणना उसी दिन शाम पांच बजे शुरू कर दी जाएगी।
ये चार सीटें फरवरी 2021 में रिक्त हुई थीं, जब तत्कालीन सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो गया था। जम्मू-कश्मीर में 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने और राज्य के पुनर्गठन के बाद से राजनीतिक परिदृश्य में व्यापक बदलाव आए थे। इस पुनर्गठन के तहत राज्यसभा में जम्मू और कश्मीर का प्रतिनिधित्व अब चार सीटों तक सीमित कर दिया गया था। हालांकि विधानसभा और अन्य राजनीतिक प्रक्रियाओं में देरी के कारण इन सीटों पर लंबे समय से चुनाव नहीं हो सके। अब चुनाव आयोग की इस घोषणा ने जम्मू और कश्मीर की राजनीति में एक नया अध्याय खोल दिया है।
इन चारों सीटों पर चुनाव एक साथ नहीं होंगे, बल्कि इन्हें तीन अलग-अलग चक्रों में आयोजित किया जाएगा। इसका कारण यह है कि ये सीटें अलग-अलग समयावधि में रिक्त हुई थीं। राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि इस चुनाव के नतीजे जम्मू-कश्मीर में भविष्य की सियासत की दिशा तय करेंगे। क्योंकि राज्यसभा में चुने जाने वाले सदस्य न केवल राष्ट्रीय स्तर पर जम्मू और कश्मीर का प्रतिनिधित्व करेंगे, बल्कि दिल्ली की सत्ता समीकरणों को भी प्रभावित कर सकते हैं।
इस घोषणा का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा खत्म होने के बाद पहली बार इतने बड़े स्तर पर राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होने जा रहे हैं। इससे पहले उपचुनाव की तारीखों को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं, लेकिन अब चुनाव आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि पूरी प्रक्रिया पारदर्शी और समयबद्ध तरीके से संपन्न होगी। मतदान और मतगणना एक ही दिन कराए जाने का निर्णय भी राजनीतिक दृष्टि से अहम है, ताकि परिणामों को लेकर किसी प्रकार की अनिश्चितता न रहे।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इन चुनावों में विभिन्न दलों की रणनीति देखने लायक होगी। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इस क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश में है, जबकि क्षेत्रीय दल जैसे नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी अपने परंपरागत वोट बैंक को बचाए रखने की चुनौती से जूझ रहे हैं। वहीं, कांग्रेस भी इन चुनावों को अपने पुनर्जीवन का अवसर मानकर मैदान में उतर सकती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि गठबंधन की राजनीति किस तरह आकार लेती है और कौन-सा दल राज्यसभा में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में सफल होता है। यह चुनाव न केवल जम्मू और कश्मीर की राजनीति बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी अहम साबित हो सकता है, क्योंकि राज्यसभा की ताकत संतुलन पर इसका सीधा असर पड़ेगा।