नई दिल्ली 17 सितम्बर 2025
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) को लेकर जहां एक ओर विवाद और अदालत की सख्त टिप्पणियां सुर्खियों में रही हैं, वहीं अब चुनाव आयोग ने इस पर बड़ा बयान दिया है। आयोग के अधिकारियों का कहना है कि देश के अधिकांश राज्यों में आधे से ज्यादा मतदाताओं को सूची पुनरीक्षण के दौरान किसी भी दस्तावेज की जरूरत नहीं पड़ेगी।
अधिकारियों के मुताबिक, इसका कारण यह है कि मतदाताओं का पूरा ब्योरा पहले ही पिछली गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया में दर्ज किया जा चुका है। ऐसे में बार-बार दस्तावेजों की मांग की आवश्यकता नहीं होगी।
बिहार से उठी थी बहस
बिहार में हुए एसआईआर के दौरान गड़बड़ियों के आरोप सामने आए थे। मामला इतना बढ़ा कि सुप्रीम कोर्ट को दखल देना पड़ा। अदालत ने साफ कहा था कि अगर गड़बड़ी साबित हुई तो पूरी प्रक्रिया रद्द कर दी जाएगी।
देशभर में लागू होगी प्रक्रिया
चुनाव आयोग पहले ही साफ कर चुका है कि बिहार के बाद अब पूरे देश में एसआईआर लागू किया जाएगा। इस प्रक्रिया के तहत पुरानी सूचियों को आधार बनाकर नई वोटर लिस्ट तैयार की जाएगी, ताकि किसी मतदाता का नाम छूटे नहीं और डुप्लीकेट नाम हटाए जा सकें।
दस्तावेज नहीं, डिजिटल डेटा आधार
अधिकारियों का कहना है कि राज्यों में डिजिटल रिकॉर्ड और पहले से उपलब्ध डेटा को ही आधार बनाया जाएगा। इससे मतदाताओं को फिजूल की दौड़भाग से राहत मिलेगी और पारदर्शिता भी बनी रहेगी।
राजनीतिक महत्व
बिहार चुनाव के ठीक पहले आया यह बयान विपक्ष और सत्ता पक्ष, दोनों के लिए अहम है। जहां विपक्ष आयोग पर पारदर्शिता का दबाव बनाए हुए है, वहीं आयोग यह दावा कर रहा है कि नई प्रक्रिया से मतदाता सूची और ज्यादा भरोसेमंद बनेगी। अब देखना यह होगा कि सुप्रीम कोर्ट की सख्त निगरानी और आयोग के दावों के बीच मतदाता सूची का यह नया प्रयोग कितना सफल होता है।