भारत ने वस्तु एवं सेवा कर (GST) व्यवस्था के आठ वर्ष पूरे होने का ऐतिहासिक दिन मनाया। यह दिन न केवल एक कर सुधार की स्मृति लेकर आया, बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता, राजस्व वृद्धि और संघीय समरसता के अद्वितीय उदाहरण के रूप में स्थापित हो गया। आठ वर्षों में, विशेषकर पिछले पाँच वर्षों में, GST ने जिस रफ्तार से आर्थिक विकास और राजस्व वृद्धि को संबल दिया है, वह किसी आर्थिक चमत्कार से कम नहीं है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में भारत का कुल GST संग्रह 22 लाख करोड़ रुपये से अधिक दर्ज किया गया है, जो कि 2019-20 की तुलना में लगभग दोगुना है। यह न केवल सरकार के लिए स्थिर और सशक्त राजस्व आधार बना रहा है, बल्कि राज्य सरकारों के वित्तीय आत्मनिर्भरता की दिशा में भी एक बड़ा क़दम है। जहाँ एक ओर आर्थिक गतिविधियों में गतिशीलता आई है, वहीं दूसरी ओर ईमानदार करदाताओं की संख्या में भी जबरदस्त वृद्धि हुई है।
विशेष उल्लेखनीय तथ्य यह है कि 30 अप्रैल 2025 तक सक्रिय जीएसटी करदाताओं की संख्या बढ़कर 1,51,80,087 हो गई है, जो कि जीएसटी लागू होने के समय की तुलना में तीन गुना अधिक है। इसका अर्थ यह है कि अब भारत में व्यापार, सेवाओं और विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में छोटे-बड़े उद्यम अधिक पारदर्शिता के साथ कार्य कर रहे हैं और टैक्स नेट में शामिल हो रहे हैं।
GST प्रणाली की सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही है कि इसने देश को “एक राष्ट्र, एक कर, एक बाजार” के सिद्धांत पर संगठित कर दिया है। पहले जहां राज्यों के बीच अलग-अलग कर दरें और जटिलताएं थीं, अब एकीकृत कर प्रणाली के कारण माल और सेवाओं की निर्बाध आवाजाही संभव हो पाई है। इससे न केवल लॉजिस्टिक लागत में कमी आई है, बल्कि उपभोक्ताओं तक सस्ता और तेज़ सेवा वितरण सुनिश्चित हुआ है।
पिछले पाँच वर्षों में GST संग्रह में दोगुनी वृद्धि के पीछे कई कारण माने जा रहे हैं:
- ई–इनवॉइसिंग और ई–वे बिल प्रणाली के व्यापक प्रयोग से कर चोरी पर अंकुश लगा है।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डेटा एनालिटिक्स आधारित निगरानी प्रणाली ने कर अनुपालन को सख्त और प्रभावी बनाया है।
- जीएसटीएन (GSTN) प्लेटफॉर्म की लगातार तकनीकी उन्नति और टैक्स फाइलिंग प्रक्रिया का सरलीकरण करदाताओं के लिए लाभकारी सिद्ध हुआ है।
- रेवेन्यू ऑडिट, सैक्टरल विश्लेषण और फील्ड इंस्पेक्शन जैसे कदमों ने सिस्टम को अधिक जवाबदेह बनाया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर एक ट्वीट में कहा:
“GST ने भारत की कर प्रणाली को सरल, पारदर्शी और आधुनिक बनाया है। यह करदाताओं की सहभागिता का प्रमाण है कि हम 22 लाख करोड़ के राजस्व को पार कर चुके हैं। यह ‘ईमानदार करदाताओं का भारत’ है, यह आत्मनिर्भर भारत की पहचान है।”
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने वक्तव्य में कहा कि “GST अब केवल एक कर प्रणाली नहीं, बल्कि भारत के संघीय ढांचे की साझा जिम्मेदारी और आर्थिक समृद्धि की रीढ़ बन चुकी है। राज्यों को मिलने वाले GST मुआवज़े और हिस्सेदारी ने उन्हें भी विकास की गति दी है।” उन्होंने बताया कि राज्यों को GST राजस्व के हिस्से के रूप में 2024-25 में अब तक 10.28 लाख करोड़ रुपये वितरित किए गए हैं।
जीएसटी के कारण छोटे व्यापारियों और MSMEs को भी औपचारिक अर्थव्यवस्था में स्थान मिला है। कंपोजिशन स्कीम, QRMP योजना और आसान रिटर्न प्रणाली ने छोटे करदाताओं के लिए अनुपालन को सरल बनाया है। इसके अलावा, आयात-निर्यात क्षेत्र में भी GST क्रेडिट व्यवस्था ने व्यावसायिक दक्षता में वृद्धि की है।
उद्योग जगत ने भी जीएसटी की आठवीं वर्षगांठ पर प्रशंसा व्यक्त की है। फिक्की, सीआईआई और ASSOCHAM जैसे संस्थानों ने संयुक्त बयान में कहा कि “GST ने भारत को कारोबारी दृष्टि से अधिक प्रतिस्पर्धी, प्रभावी और अनुकूल बनाया है।”
वर्तमान समय में जब वैश्विक आर्थिक संकटों और आपूर्ति श्रृंखला के तनाव ने कई देशों की राजस्व व्यवस्था को झकझोर दिया है, भारत का मजबूत और सतत बढ़ता GST संग्रह यह दिखाता है कि आर्थिक नीतियों की निरंतरता, डिजिटल अनुपालन और जनभागीदारी के सम्मिलन से देश किसी भी चुनौती से पार पा सकता है।
1 जुलाई 2025 को जब भारत ने GST के आठ साल पूरे किए, तो यह दिन केवल एक नीतिगत प्रयोग की वर्षगांठ नहीं था, बल्कि यह उस साझी यात्रा की झलक है जिसमें सरकार, उद्योग, करदाता और आम जनता — सभी ने भागीदारी कर, देश की आर्थिक नींव को और अधिक मजबूत किया है। अगले दशक में, यह प्रणाली भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में निर्णायक भूमिका निभाएगी — ऐसा विश्वास हर स्तर पर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।